कानपुरः जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर आए दिन जाम लगता रहता है और सड़क हादसे होते रहते हैं. वहीं शनिवार को दोपहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगे भीषण जाम ने गर्भवती और उसके गर्भस्थ शिशु की जान ले ली. इसके चलते पूरे परिवार में कोहराम मच गया.
जानिए क्या है पूरा मामला
घाटमपुर कोतवाली के अंतर्गत सिरोह गांव निवासी नरेश की 29 वर्षीय पत्नी सोनी गर्भवती थीं. पति नरेश के मुताबिक पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर, वह पत्नी को सीएचसी पतारा ले कर गए. यहां डॉक्टरों ने महिला की हालत गंभीर बताते हुए उसे कानपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया. यहां कानपुर से पहले ही रमईपुर जाम में फंस जाने की वजह से वह समय रहते अस्पताल न पहुंच सके. इससे अस्पताल पहुंचने के पहले ही गर्भवती की रास्ते में ही मौत हो गई. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने जच्चा-बच्चा दोनों को मृत घोषित कर दिया. वहीं मामले की जानकारी होते ही पूरे परिवार में मातम छा गया.
परिजनों ने लगाया यह आरोप
मृतका के पति नरेश ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पतारा के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बताया कि बीते दिन वह अपनी पत्नी को लेकर सीएचसी पतारा गए थे, लेकिन डाक्टरों द्वारा प्रसव का समय पूरा न होने के चलते उसको वापस भेज दिया गया था. वहीं प्रसव पीड़ा के दौरान आज जब वह अपनी पत्नी को लेकर सीएचसी पतारा पहुंचे तो डाक्टरों ने महिला की हालत को गंभीर बताते हुए कानपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया. यहां जाम में फंस जाने और समय रहते इलाज न मिल पाने के कारण उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई. वहीं मृतका के पति ने एम्बुलेंस के कर्मचारी पर 300 रुपये लेने का भी आरोप लगाया है.
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सीएचसी अधीक्षक ने बताया यह
सीएचसी अधीक्षक नीरज सचान ने बताया कि महिला अपने पति के साथ सीएचसी पतारा आई थी. जहां महिला की हालत को गंभीर देखने के दौरान समय रहते कानपुर जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था. रास्ते में जाम लगे होने और समय पर इलाज न मिल पाने के कारण गर्भवती की जान चली गई. गर्भस्थ शिशु भी नहीं बच सका. वहीं एंबुलेंस कर्मचारी पर पैसे लिए जाने की बात पर सीएचसी अधीक्षक नीरज सचान ने कहा कि हालांकि इस तरह की बात अभी तक उनके संज्ञान में नहीं आई है. अगर पीड़ित परिजनों से एंबुलेंस कर्मचारी ने पैसे लिए है तो परिजनों द्वारा लिखित शिकायत दिए जाने के बाद इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी.