कानपुर: विकास दुबे की मौत के बाद बिकरू गांव में 25 साल से बंधक बना लोकतंत्र फिर से जिंदा हो गया है. कुख्यात विकास दुबे की 25 सालों तक लगातार बिकरू में पंचायत चुनाव में भी बादशाहत चलती थी. बीते 25 सालों से गांव की प्रधानी विकास की कोठी से होकर गुजरती थी. विकास दुबे का अंत होने के बाद इस बार ग्रामीणों में मतदान करने को लेकर एक खासा उत्साह देखने को मिल रहा है.
विकास की दबंगई के चलते निर्विरोध चुने जाते थे प्रधान
1995 में कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने अपनी दबंगई के चलते पंचायत चुनाव जीतने के दौरान क्षेत्र के आसपास अपनी धमक बना ली थी. विकास दुबे की दबंगई इस कदर थी कि सांसद से लेकर विधायक के चुनाव तक आसपास के 15 गांवों में उसका ही फरमान चलता था. साल 2000 में घिमउ से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद विकास ने बिकरू से अपने नौकर की पत्नी गायत्री देवी को निर्विरोध प्रधान बनावा दिया था.
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विकास का खौफ खत्म होने के दौरान ग्रामीणों में उत्साह
इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में विकास की दबंगई का खौफ खत्म होने के कारण ग्रामीणों में खासा उत्साह है. जिसके चलते सुबह से ही मतदान केंद्रों पर मतदाता बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. इस बार बिकरू गांव में अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित 10 प्रत्याशी मैदान में हैं. वहीं भीटी गांव में पिछड़ा वर्ग की महिला सीट के लिए 8 आरक्षित प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. ग्रामीणों के अनुसार, अभी तक प्रधान से लेकर बीडीसी सदस्य के चुनाव नहीं होते थे, लेकिन इस बार वह अपने अनुसार प्रधान चुन सकेंगे.
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पुलिस व्यवस्था रही चाक चौबंद
पंचायत चुनाव के दौरान बिकरू और भीटी गांव में माहौल सामान्य बना हुआ है. हालांकि शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए गांव में अतरिक्त फोर्स और पुलिस बल तैनात किया गया है. दूसरी ओर कोविड नियमों का भी पालन कराया जा रहा है. केंद्रों पर पुलिस के जवान तैनात हैं, लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है. शांतिपूर्ण ढंग से मतदान कराने के लिए पुलिस प्रशासन की व्यवस्था चाक चौबंद है.