कानपुर: बिकरू कांड के बाद शहर में अगर किसी घटना की सबसे अधिक चर्चा होती है, तो वह 1984 सिख दंगा है. इस मामले में शासन और कोर्ट की ओर से गठित स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) के सदस्यों ने भले ही अब तक 41 अभियुक्तों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया हो, पर पूरे मामले का सबसे अधिक चर्चित आरोपी पूर्व राज्यमंत्री शिवनाथ सिंह कुशवाहा का भतीजा राघवेंद्र सिंह अभी भी एसआईटी की पकड़ के दूर है. हालांकि, जिम्मेदारों का कहना है कि गवाहों ने 164 के आधार पर बयान दिए हैं, जो उनके पास साक्ष्यों के तौर पर हैं. ऐसे में अब उसे अरेस्ट किया जाएगा. अगर, वह लगातार भागता है तो उसके खिलाफ कुर्की की कार्रवाई होगी.
वहीं, जिम्मेदारों को डर इस बात का है, कि अगर गवाह अपने बयान से पलट गए तो उनके पास आरोपी की गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं बचेगा. एक रोचक बात यह भी है, कि आगामी 30 नवंबर तक इस मामले की रिपोर्ट शासन और कोर्ट में जानी है. ऐसी स्थिति में अब एसआईटी के सदस्यों को बचे हुए 10 से अधिक आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करना ही होगा.
एसआइटी के आला अफसर ने बताया कि जो आरोपित हैं, उन्हें कानपुर से जमानत नहीं मिल सकती. इसलिए अधिकतर आरोपी उम्र का हवाला देकर हाईकोर्ट से जमानत ले रहे हैं. वहीं, इस मामले में कुल 94 आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना था, लेकिन उनमें से 33 आरोपियों की मौत हो चुकी हैं
आंकड़ों में देखें 1984 सिख दंगा मामला
कुल मुकदमे दर्ज हुए: 1251
गंभीर अपराध वाले मामले दर्ज हुए: 40
कुल आरोपपत्र दाखिल हुए: 1103 मुकदमों में
कुल आरोपियों की गिरफ्तारी होनी है: 94
कुल आरोपियों की मौत हो चुकी: 33
अभी तक कुल आरोपी गिरफ्तार हुए: 41
बता दें कि, पूर्व राज्यमंत्री के भतीजे को गिरफ्तार करने के लिए फिलहाल पर्याप्त साक्ष्य हैं. फिर भी वरिष्ठ अफसरों से पहले एफआर एप्रूवल लेना होगा. क्योंकि उसका मामला निराला नगर के केस से न जुड़कर किदवई नगर के केस से जुड़ा है. हालांकि, यह दावा है कि आगामी 30 नवंबर तक इस मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार करके पूरी रिपोर्ट शासन को भेज देंगे.
यह भी पढ़ें- लखनऊ विश्वविद्यालय में भी अजय मिश्रा की कंपनी को हटाने की तैयारी, लगे यह आरोप