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लंबी चली रूस-यूक्रेन जंग तो शहर के उद्यमियों को लगेगा 600 करोड़ का झटका

रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग से कानपुर के उद्यमियों को कारोबार में बड़ा झटका लग सकता है. आयात-निर्यात मिलाकर यह नुकसान करीब 600 करोड़ रुपये का हो सकता है. अभी तक 300 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हो चुका है. इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने यह जानकारी दी.

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इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य
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Published : Feb 28, 2022, 12:41 PM IST

कानपुर: रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग अगर कुछ और दिनों तक चलती रही तो कानपुर के उद्यमियों को कारोबार में बड़ा झटका लग सकता है. आयात-निर्यात मिलाकर यह नुकसान करीब 600 करोड़ रुपये का हो सकता है. अभी तक 300 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हो चुका है. ईटीवी भारत से बातचीत में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने यह जानकारी दी.

सुनील वैश्य ने बताया कि यूक्रेन व रूस से निर्यात को लेकर स्टील, केमिकल, चमड़ा उत्पाद व होजरी उत्पादों का कारोबार होता है. जबकि आयात के नजरिए से चमड़ा उत्पाद व मशीनों के पार्ट का कारोबार शामिल है. शहर के उद्यमियों की अहम जरूरते हैं जो सरकार की तरफ से पूरी नहीं हो रही हैं, इस पर उन्होंने बताया कि यहां के उद्यमियों को सस्ती दरों पर जमीनें मुहैया कराई जानी चाहिए. व्यापार नियमों को सरल किया जाना चाहिए. फ्लाइट कनेक्टिविटी की ओर ध्यान देने की जरूरत है. इसके साथ ही शहर में बाहर के उद्यमी निवेश करें, इस दिशा में काम होना चाहिए.

जानकारी देते हुए इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य

सरकार की ओर से जारी हालिया बजट में उद्यमियों को मिलने वाली सहूलियतों के बारे में उन्होंने बताया कि उद्यमी सब्सिडी में राहत चाहते थे, लेकिन सरकार ने नहीं दी. उद्यमियों को बजट ज्यादा रास नहीं आया. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर प्रदेश की स्थिति बेहतर जरूर हुई है, लेकिन उद्यमियों की जरूरतें अभी बाकी हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश व प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा कि भारत की जीडीपी में पांचवां व छठवां स्थान बरकरार रहता है. जो अच्छी बात है. यहां के उद्यमियों ने आत्मनिर्भरता को लेकर बहुत अधिक प्रयास किए हैं, वह सराहनीय हैं.

यह भी पढ़ें- जितेंद्र नारायण की रिहाई को लेकर साधु-संतों की पदयात्रा, राजघाट पर आमरण अनशन की तैयारी

सुनील वैश्य ने कहा कि हम पांच ट्रिलियन डालर इकोनामी का जो लक्ष्य है, उसके लिए बढ़ रहे हैं. मौजूदा समय में यह आंकड़ा तीन ट्रिलियन डालर का है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जीडीपी के दृष्टिकोंण से भारत में उत्तर प्रदेश का स्थान दूसरा हो गया है, जो कुछ समय पहले चौथा हुआ करता था.

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कानपुर: रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग अगर कुछ और दिनों तक चलती रही तो कानपुर के उद्यमियों को कारोबार में बड़ा झटका लग सकता है. आयात-निर्यात मिलाकर यह नुकसान करीब 600 करोड़ रुपये का हो सकता है. अभी तक 300 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हो चुका है. ईटीवी भारत से बातचीत में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने यह जानकारी दी.

सुनील वैश्य ने बताया कि यूक्रेन व रूस से निर्यात को लेकर स्टील, केमिकल, चमड़ा उत्पाद व होजरी उत्पादों का कारोबार होता है. जबकि आयात के नजरिए से चमड़ा उत्पाद व मशीनों के पार्ट का कारोबार शामिल है. शहर के उद्यमियों की अहम जरूरते हैं जो सरकार की तरफ से पूरी नहीं हो रही हैं, इस पर उन्होंने बताया कि यहां के उद्यमियों को सस्ती दरों पर जमीनें मुहैया कराई जानी चाहिए. व्यापार नियमों को सरल किया जाना चाहिए. फ्लाइट कनेक्टिविटी की ओर ध्यान देने की जरूरत है. इसके साथ ही शहर में बाहर के उद्यमी निवेश करें, इस दिशा में काम होना चाहिए.

जानकारी देते हुए इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य

सरकार की ओर से जारी हालिया बजट में उद्यमियों को मिलने वाली सहूलियतों के बारे में उन्होंने बताया कि उद्यमी सब्सिडी में राहत चाहते थे, लेकिन सरकार ने नहीं दी. उद्यमियों को बजट ज्यादा रास नहीं आया. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर प्रदेश की स्थिति बेहतर जरूर हुई है, लेकिन उद्यमियों की जरूरतें अभी बाकी हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश व प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा कि भारत की जीडीपी में पांचवां व छठवां स्थान बरकरार रहता है. जो अच्छी बात है. यहां के उद्यमियों ने आत्मनिर्भरता को लेकर बहुत अधिक प्रयास किए हैं, वह सराहनीय हैं.

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सुनील वैश्य ने कहा कि हम पांच ट्रिलियन डालर इकोनामी का जो लक्ष्य है, उसके लिए बढ़ रहे हैं. मौजूदा समय में यह आंकड़ा तीन ट्रिलियन डालर का है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जीडीपी के दृष्टिकोंण से भारत में उत्तर प्रदेश का स्थान दूसरा हो गया है, जो कुछ समय पहले चौथा हुआ करता था.

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