कानपुर: अब शातिर से शातिर अपराधी अपने चेहरे के तापमान की वजह से पुलिस की पकड़ में आ जाएंगे. चेहरे के तापमान और उसके हाव-भाव से अपराधी की सच्चाई का पता चल जाएगा. आसानी से अपराधियों की पोल खोलने के लिए कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिकों ने यह शोध किया है. शोध को अंतरराष्ट्रीय जनरल फ्रंटियर इन साइकोलॉजी में प्रकाशित किया गया है. इस तकनीक का इस्तेमाल लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट की तरह अपराधियों के जुर्म की इबारत का पता लगाने लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के जनरल को प्रस्ताव भेजा जाएगा.
ऐसे हुआ शोध
आईआईटी कानपुर के ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंसेज के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ब्रज भूषण, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर पीके पाणिग्रही समेत शोधार्थी शबनम वासु और सौरभ दत्ता की टीम ने दो चरणों में शोध किया. पहले चरण में 30 छात्रों से जिंदगी में घटित होने वाले शर्म और पश्चाताप के किस्से लिखने को कहा गया. फिर टीम के छात्रों की कहानियों का परिस्थितियों के अनुसार चित्रण तैयार किया गया. इस चित्रण को 150 नए छात्रों को दिखाया गया. वहीं चित्रण कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाए गए. उसके बाद छात्रों से राय ली गई कि उन्हें क्या महसूस हुआ. इस पर उन्होंने शर्म, पश्चाताप और प्रायश्चित होने की बात कही.
फिर हुआ जैविक विश्लेषण
पहले हिस्से को जनरल में छापा गया. दूसरे हिस्से में जैविक विश्लेषण हुआ. इस बार 31 नए छात्रों को शामिल किया गया. उन्हें वहीं चित्र दिखाए गए. हाई रेजोल्यूशन के थर्मल कैमरे लगाए गए. छात्रों के मत्थे, दोनों गाल, नाक का ऊपरी हिस्सा आंख दोनों किनारों का विश्लेषण किया गया.
जब अपराध बोध से बदला चेहरे का तापमान
आईआईटी कानपुर के ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंस के प्रोफेसर ब्रज भूषण ने बताया कि थर्मल कैमरे में तीन तरह की स्थितियों में किसी तरह के भाव आने पर चेहरे का तापमान गर्म हो गया. यह अधिकतम 0.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. इसे ठंडा होने में 15 सेकंड लगे.
यह निकला रोचक परिणाम
प्रोफेसर ब्रज भूषण ने बताया कि इस शोध में हैरान करने वाले परिणाम सामने आए. प्रायश्चित के मुकाबले अपराध बोध के मामले में गाल का दाया हिस्सा, होंठ के आसपास और मत्था अधिक गर्म हो गया था. इसी तरह शर्म के मामले में गाल का बाया हिस्सा अधिक गर्म हो गया और नाक का ऊपरी हिस्सा हल्का गर्म हुआ. इस मॉड्यूल को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के जर्नल के लिए भेजा गया है.