कानपुरः एनजीटी ने पर्यावरण सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए सख्त रुख अपनाया है. गंगा को स्वच्छ करने के लिए अरबों रुपये खर्च किए, लेकिन अभी तक गंगा का जल स्वच्छ नहीं हो पाया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार पर 10 करोड़ का जुर्माना लगाया है. वहीं एनजीटी ने जल निगम को दोषी मानते हुए 1 करोड़ का जुर्माना लगाया है.
एनजीटी द्वारा 22 टेनरियों पर 220 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. एनजीटी द्वारा वसूली गई जुर्माने की राशि को पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ में इस्तेमाल किया जाएगा. जानकारी के अनुसार, एनजीटी की जांच टीम ने कानपुर के बाबा घाट का दौरा किया. जांच टीम को बाबा घाट पर बनाई गई एसटीपी पूरी तरह से बंद मिली.
सीवरेज का पानी सीधे गंगा में गिर रहा था. गंदे नाले के पानी का संपर्क सीधे नदी के पानी से होने के कारण नदी का जल लगातार दूषित हो रहा है. एनजीटी प्रमुख की अगुवाई वाली पीठ ने बढ़ते जल प्रदूषण के लिए यूपी सरकार को जिम्मेदार माना है. पीठ ने कहा है कि पिछले 43 सालों से समस्या का निदान नहीं किया गया है. जिसके चलते भूजल दूषित हो गया है.इसके आसपास रहने वाले लाखों लोगों का स्वास्थ व जीवन प्रभावित हो रहा है. ट्रिब्यूनल ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पेश रिपोर्ट पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया है.