कानपुर: गर्मी में कमिश्नर व डीएम ने बहुत अधिक दौड़भाग करके, शहर के कई तालाबों को पुर्नजीवित कर अमृत सरोवर योजना को सफल बनाने का जो प्लान बनाया था, उसे अधीनस्थ अफसरों ने चौपट कर दिया. लापरवाही इतनी कि अफसरों ने खुद रहे तालाबों को देखना तक मुनासिब न समझा.
जब सीडीओ ने इस योजना (Negligence in Amrit Sarovar scheme in Kanpur) से जुड़ी फाइलों को खंगाला तो सामने आया कि कहीं न तो तालाब बनाया गया, न ही मिट्टी की खुदाई का काम हुआ. अब, पहले चरण में फिलहाल ग्राम सचिव स्तर के नौ अफसरों का वेतन रोका गया है जबकि विकास भवन कार्यालय में यह चर्चा जोरों पर है, कि आने वाले समय में जल्द कई अन्य पर गाज गिरेगी.
विकास भवन के एक आला अफसर ने बताया कि एक अमृत सरोवर का पक्का निर्माण होने में तकरीबन 30 से 35 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन वर्तमान हालातों की बात की जाए तो पक्के निर्माण कार्य की बात तो छोड़िए तालाबों की खुदाई का काम भी अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. इन सरोवरों में वर्षा का जल संचयित किया जाना था. अन्य कार्यों में शामिल तालाब के किनारे बेंच लगनी थी ,लोगों के मॉर्निंग वॉक के लिए चारों तरफ ट्रैक बनने, के साथ-साथ बैरिकेडिंग और पौधरोपण का कार्य भी किया जाना था. निर्माण कार्यों में हुई देरी को लेकर जब अधिकारियों से इस बात को लेकर जब जवाब-तलब किया गया तो उन्होंने वही रटा-रटाया जवाब दिया
निरीक्षण में नप गए नौ अफसर: अमृत सरोवरों के निर्माण कार्य में हुई देरी को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने पीडीएस रामकृष्ण चौधरी से बात की तो उन्होंने बताया कि बीते दिनों भीतरगांव और सरसौल का निरीक्षण किया गया था. इसमें मौके पर सचिवों की लापरवाही सामने आई जिसके चलते 9 सचिवों के एक महीने का वेतन (Kanpur Salary of nine officers withheld) रोक दिया गया है और एक के मौके पर न मिलने पर निलंबन की कार्यवाही की गई है. उन्होंने कहा कि अगर ये लोग 30 नवम्बर तक आप काम पूरा कर लेते है तो उन्हें उनका वेतन दे दिया जाएगा.