कानपुर: हर घर में जिस चीनी का उपयोग चाय, काफी या फिर अन्य व्यंजनों को तैयार किया जाता है. उसे तैयार करने में चीनी मिल संचालकों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कभी मिल से प्रदूषण फैलने की बातें सामने आती हैं, तो कभी तैयार चीनी की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं. हालांकि, अब चीनी मिलों में बेहतर गुणवत्ता की चीनी बने और प्रदूषण न के बराबर हो इसके लिए देश के नामचीन चीनी उद्योगों को राष्ट्रीय शक्कर संस्थान (एनएसआई) के विशेषज्ञ परामर्श की सुविधा देंगे. फिलहाल पहले चरण में संस्थान के पास तमिलनाडु चीनी निगम, निगरानी शुगर्स लिमिटेड कर्नाटक से प्रस्ताव आ गए हैं. एनएसआई के विशेषज्ञ यहां इथेनाल इकाइयों की स्थापना, चीनी इकाइयों के आधुनिकीकरण, जैव-ऊर्जा इकाइयों को उनकी दक्षता में सुधार लाने संबंधी तमाम कवायदें शुरू करेंगे.
125 चीनी इकाइयों का होगा सर्वे: एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि उक्त कवायद के अलावा सीपीसीबी ने एनएसआई को निर्देश दिए हैं कि उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे बसीं 125 चीनी और एल्कोहल इकाइयों में संचालित इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार कराई जाए. इससे यह पता लग सके कि उक्त इकाइयों में प्लांट काम कर भी रहे हैं या नहीं. इसके बाद पूरे मामले पर सीपीसीबी के अफसर अपने स्तर से फैसला लेंगे.
नाइजीरिया व इंडोनेशिया जाएंगे विशेषज्ञ: एनएसआई के विशेषज्ञ इसी साल केन्या, नाइजीरिया व इंडोनेशिया भी जाएंगे. वहां की चीनी मिलों की क्षमता को बढ़ाने, कार्यरत श्रमिकों को प्रशिक्षित करने समेत कई अन्य कवायद करेंगे. साथ ही साथ चीनी उद्योगों को अपनी सेवाएं देंगे. संस्थान के निदेशक प्रो.नरेंद्र मोहन ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में एनएसआई 250 से अधिक चीनी इकाइयों, मिलों व डिस्टलरी इकाइयों को अपनी सेवा देगा. इसके एवज में संस्थान को पहले चरण में दो करोड़ रुपये आय होने की उम्मीद है, जिसका उपयोग संस्थान के विकास कार्यों में किया जाएगा.
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