कानपुर: गंगा बैराज से नदी में कूदकर सुसाइड करने वाली छात्रा का शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया. वहीं सुसाइड करने वाली एमबीबीएस लास्ट ईयर की छात्रा का लिखा सुसाइड नोट जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में उसके हॉस्टल के कमरे से बरामद हुआ है. सुसाइड करने से पहले छात्रा ने अपनी कमजोरी और तनाव का जिक्र किया है. साथ ही माता-पिता से इस बात के लिए मॉफी भी मांगी.
मुझे माफ करना मैं बहुत कमजोर हो गई हूं. पता नहीं कैसे, लेकिन मुझे अपने से ही डर लगने लगा है. मेरे पास सब कुछ है दर्द, डर और तनाव. अब इस दर्द को रोज-रोज बर्दाश्त नहीं कर सकती हूं. आखिर में, मैं सभी से माफी मांगती हूं. मैं बहादुर नहीं बन सकी.
यह बातें एमबीबीएस छात्रा अमृता सिंह ने अपने साढ़े चार पेज के सुसाइड नोट में लिखी हैं. ये डर, दर्द और तनाव अमृता को इतना क्यों हुआ कि उसने जान दे दी. इसका सवाल न तो नोट में है और न ही उनके परिजन, सहपाठियों और पुलिस के पास.
सुसाइड नोट में अमृता ने लिखा है कि जब वह सातवीं कक्षा में थी तो जीके की मौखिक परीक्षा हुई. इस दौरान वह खुद को बहुत डर व तनाव में महसूस कर रही थी. उसने खुदकुशी करने की सोची थी. फिर जब वह दसवीं कक्षा में पहुंची तो सोशल साइंस विषय की तैयारी बेहतर नहीं थी.
अमृता ने मम्मी-पापा के लिए सुसाइड नोट में लिखा है कि किस्मत अभी भी नहीं है, पर किस्मत रहने भी नहीं देती है. अगला जन्म होगा भी या नहीं. अगले जन्म में आप जैसे माता-पिता व परिवार मिलेगा भी या नहीं. वहीं मृतक छात्रा के परिजनों का कहना है कि छात्रा के सुसाइड में मेडिकल कॉलेज प्रशासन भी जिम्मेदार है.
ये भी पढ़ें: कानपुर: नदी में उतराता मिला जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की छात्रा का शव