कानपुर : भले ही कोरोना महामारी का असर देश-दुनिया में कम हो गया हो, लेकिन इस वायरस ने अब पेट के मरीजों की संख्या बढ़ा दी है. कानपुर में प्रदूषण, मौसम में असमय बदलाव समेत अन्य कारणों के चलते लोगों को पेट से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वह अब एंटीबायोटिक दवाओं से दूर होकर आयुर्वेदिक दवाओं से अपना इलाज करा रहे हैं. ऐसा ही मामला शहर के गीता नगर स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में देखने को मिला.
चिकित्साधिकारी डाॅ.अर्पिता सी राज ने बताया कि मौसमी बीमारियों वायरल, खांसी-जुकाम, गले में खराश के साथ ही पेट में संक्रमण, फैटी लिवर के मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों के अंदर करीब 1500 मरीजों का डाटा सामने आया है, जिन्हें पेट की समस्या थी. हालांकि, सभी का दवाइयां देकर इलाज किया जा रहा है.
डाॅ.अर्पिता सी राज ने बताया कि चिकित्सालय में एक रुपये का पर्चा बनता है और निशुल्क दवाइयां दी जाती हैं. सरकार ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के मकसद से यह कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि गीता नगर क्षेत्र के आसपास युवाओं की अधिकता है. यहां से लगे काकादेव क्षेत्र में कोचिंग मंडी है, जिसमें अन्य शहरों के युवा भी रहते हैं. वह युवा बाहर के खानपान से बीमार हो रहे हैं. लेकिन, जब भी कोई मरीज के तौर पर आता है तो उसका बेहतर ढंग से इलाज किया जाता है.
डाॅ.अर्पिता सी राज ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान कई लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) घट गई. उन्होंने कहा कि अगर बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रखनी है तो उन्हें फल-सब्जियां, बादाम, नट्स खिलाएं. इसी तरह वयस्क व महिलाएं गिलोय, आंवला को अपने खानपान में शामिल करें.
उन्होंने बताया कि आंवला एक प्राकृतिक स्रोत है, जिससे बहुत तेजी से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इसे किसी भी रूप में खाया जा सकता है.
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