कानपुर: शहर में बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जिस देश में आमजन को न्याय न मिले तो मान लेना चाहिए कि वहां का संविधान खतरे में है. उन्होंने कहा, कि संविधान के जो प्रमुख सिद्धांत हैं- सम्प्रभुता, समाजवाद, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता इनका पालन नहीं हो रहा है. देश के अंदर इनका उल्लंघन हो रहा है. इसकी सबसे बड़ी बानगी है, देश के महिला पहलवानों का मामला. जिन्हें ना न्याय मिला और न ही बंधुत्व.
मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि क्या आप मौजूदा सरकार को इसका जिम्मेदार मानते है या इसकी अहम भूमिका जनता की है? इसे आप किस नजरिए से देखते हैं? जवाब में संदीप पांडेय ने कहा कि साल 2019 में भाजपा को 39 प्रतिशत वोट मिला था, जबकि बहुसंख्यक लोगों ने भाजपा को वोट नहीं दिया था. इन आंकड़ों का मतलब समझ आ जाना चाहिए.
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कश्मीर में आतंकवाद पैर पसार रहा: संदीप पांडेय से जब सवाल किया गया कि मोदी सरकार में आतंकवाद जैसे बड़े और गंभीर मुद्दे पर बहुत अधिक कवायद की गई है, इसे किस नजरिए से देखते हैं? इस सवाल के जवाब में संदीप पांडेय ने स्वीकार किया कि देश में बड़ी घटनाओं पर रोक जरूर लगी है, लेकिन कश्मीर में आतंकवाद पैर पसार रहा है. जिसका परिणाम है कि कुछ दिनों पहले ही हमारे देश के सैनिक शहीद हो गए.
इस सरकार से हमें कोई उम्मीद नहीं: संदीप पांडेय से जब सवाल किया गया, कि संविधान खतरे से बाहर हो सके इसके लिए सरकार को क्या सुझाव देना चाहेंगे? तो जवाब दिया कि इस सरकार से हमें कोई उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा, कि नवंबर में ही हमारी पार्टी (सोशलिस्ट पार्टी) ने इंडिया गठबंधन से करार किया है. मेरा मानना है, कि अगर सरकार बदलेगी तो संविधान बच सकेगा.
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