कानपुर: नवरात्रि के नौ दिनों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारणी, च्रंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिरात्रि माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इनमें मां के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी का अनोखा मंदिर कानपुर के घाटमपुर में विराजमान है. माता के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा देवी के दर्शन के लिए हर साल लाखों भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं. मान्यता है कि, मां के दरबार में हाजिरी लगाने के बाद भक्त जो भी मनोकामना मांगते हैं मां कूष्मांडा उसे पूरा करती हैं.
कानपुर नगर के घाटमपुर में बने मां कूष्मांडा देवी के इस मंदिर की गितनी सिद्धपीठों में होती है. नवरात्रि में लाखों भक्त मां का दर्शन करने के लिए दूर-दूर से यहां आते हैं. मान्यता है कि मंदिर के कुंड में स्नान करने के बाद जो भी भक्त मां दर्शन करता है, उसके सभी शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही साथ जिन लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है या फिर आखों में किसी भी प्रकार की कोई समस्या है, वे माता कूष्मांडा की मूर्ति से निकले नीर को अपनी आंखों पर लगाते हैं. मान्यता है कि इससे लोगों की आंख की बीमारी पूरी तरह ठीक हो जाती है.
शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी मंदिर प्रांगण में हर वर्ष दीपदान का आयोजन किया जाता है. इसी कड़ी में मंगलवार चतुर्थी के दिन भक्तों ने मां के दरबार में हजारों दीपों का दान किया. इस बार कोविड को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रबंधन ने कोई विशेष आयोजन नहीं किया. लेकिन भक्तों ने अपने-अपने घरों से दीप लाकर मंदिर के प्रांगण में दीप दान किया. जिसके बाद मंदिर प्रांगण दीपों की रोशनी से जगमगा उठा. इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए भक्तों का ताता लगा रहा. इस दौरान सभी भक्तों ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दीपदान के आयोजन में हिस्सा लिया.
ऐसा मान्यता है कि नवरात्र में चतुर्थी तिथि को मंदिर में माता का जन्मदिन मनाया जाता है और यह आयोजन कई वर्षों से लगातार जारी है. इस दौरान इस दीप यज्ञ में युवा, बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे समेत काफी लोग शामिल रहे. तो वहीं प्रशासन की टीमें भी चप्पे-चप्पे पर मौजूद रहीं. जिससे की मंदिर प्रांगण में ज्यादा भीड़ एक साथ एकत्र न हो सके.