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कानपुर के इस मंदिर में 'ताला' लगाने से पूरी होती है मन की मुराद

कानपुर के शिवाला में बंगाली मोहाल स्थित मां काली का मंदिर है. जिसका अपना एक अनूठा इतिहास है.

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Published : Jun 22, 2023, 7:02 AM IST

कानपुर : देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका अपना महत्व है. उन मंदिरों में भक्तों की अटूट आस्था भी रहती है. यही वजह है, कि भक्त अपनी जिंदगी में उन मंदिरों में जाकर जरूर दर्शन करना चाहते हैं. शहर में भी तमाम ऐसे मंदिर हैं, जिसका अपना एक अनूठा इतिहास है. भक्त बताते हैं कि शहर के शिवाला में रावण का मंदिर ऐसा है, जो केवल दशहरा पर्व पर ही खुलता है और इस दिन यहां रावण के दर्शन करने को भक्तों का तांता लगता है. इसी शिवाला में बंगाली मोहाल स्थित मां काली का ऐसा मंदिर है, जिसमें यह मान्यता है कि अगर कोई भक्त ताला लगाकर अपने मन की मुराद पूरी करने को मां से गुहार लगाता है तो उसकी मुराद पूरी हो जाती है. कई लोग ऐसे हैं, जो इसे अंधभक्ति से जोड़ते हैं मगर मंदिर से लगाव रखने वाले और मां काली के भक्त यहां ताला लगाते हैं.

मंदिर में 'ताला' लगाने से पूरी होती है मन की मुराद
मंदिर में 'ताला' लगाने से पूरी होती है मन की मुराद
दीपावली पर होता विशेष पूजन : शिवाला निवासी व मंदिर से करीब 20 साल से जुड़े भक्त अनुज पांडे बताते हैं, कि 'सन् 1980 में एक महिला दर्शन करने आई थी. महिला ने दर्शन करने के बाद मंदिर के गेट पर ताला लगा दिया. करीब एक माह बाद वह लौटी और उस ताले को खोल दिया. फिर महिला ने ही मंदिर में मौजूद भक्तों को बताया था कि ताला लगाते समय उसने अपने मन की मुराद मां काली से कही. इसके बाद जब वह महिला लौटी तो मुराद पूरी हो गई थी. बस फिर क्या था कानपुर के अलावा तमाम अन्य शहरों से अब भक्त आकर मां काली के दर्शन तो करते ही हैं, साथ में ताला लगाना नहीं भूलते.

दीपावली पर होता विशेष पूजन : मंदिर के भक्तों ने बताया कि 'दीपावली की रात में मां काली के मंदिर में विशेष पूजन होता है. इस दिन मंदिर में भक्तों की अच्छी खासी संख्या देखने को मिलती है. इसके अलावा हर माह की अमावस्या पर भी विशेष पूजन का विधान है. कहा तो यह भी जाता है कि इस मंदिर के समीप ही कभी दशकों पहले मां गंगा नदीं बहती थीं. इसी वजह से शिवाला के मुख्य गेट पर आज भी गंगा फाटक लिखा है.

यह भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव से पहले लखनऊ में पांच दिन प्रवास करेंगे संघ प्रमुख, जानिए रणनीति

कानपुर : देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका अपना महत्व है. उन मंदिरों में भक्तों की अटूट आस्था भी रहती है. यही वजह है, कि भक्त अपनी जिंदगी में उन मंदिरों में जाकर जरूर दर्शन करना चाहते हैं. शहर में भी तमाम ऐसे मंदिर हैं, जिसका अपना एक अनूठा इतिहास है. भक्त बताते हैं कि शहर के शिवाला में रावण का मंदिर ऐसा है, जो केवल दशहरा पर्व पर ही खुलता है और इस दिन यहां रावण के दर्शन करने को भक्तों का तांता लगता है. इसी शिवाला में बंगाली मोहाल स्थित मां काली का ऐसा मंदिर है, जिसमें यह मान्यता है कि अगर कोई भक्त ताला लगाकर अपने मन की मुराद पूरी करने को मां से गुहार लगाता है तो उसकी मुराद पूरी हो जाती है. कई लोग ऐसे हैं, जो इसे अंधभक्ति से जोड़ते हैं मगर मंदिर से लगाव रखने वाले और मां काली के भक्त यहां ताला लगाते हैं.

मंदिर में 'ताला' लगाने से पूरी होती है मन की मुराद
मंदिर में 'ताला' लगाने से पूरी होती है मन की मुराद
दीपावली पर होता विशेष पूजन : शिवाला निवासी व मंदिर से करीब 20 साल से जुड़े भक्त अनुज पांडे बताते हैं, कि 'सन् 1980 में एक महिला दर्शन करने आई थी. महिला ने दर्शन करने के बाद मंदिर के गेट पर ताला लगा दिया. करीब एक माह बाद वह लौटी और उस ताले को खोल दिया. फिर महिला ने ही मंदिर में मौजूद भक्तों को बताया था कि ताला लगाते समय उसने अपने मन की मुराद मां काली से कही. इसके बाद जब वह महिला लौटी तो मुराद पूरी हो गई थी. बस फिर क्या था कानपुर के अलावा तमाम अन्य शहरों से अब भक्त आकर मां काली के दर्शन तो करते ही हैं, साथ में ताला लगाना नहीं भूलते.

दीपावली पर होता विशेष पूजन : मंदिर के भक्तों ने बताया कि 'दीपावली की रात में मां काली के मंदिर में विशेष पूजन होता है. इस दिन मंदिर में भक्तों की अच्छी खासी संख्या देखने को मिलती है. इसके अलावा हर माह की अमावस्या पर भी विशेष पूजन का विधान है. कहा तो यह भी जाता है कि इस मंदिर के समीप ही कभी दशकों पहले मां गंगा नदीं बहती थीं. इसी वजह से शिवाला के मुख्य गेट पर आज भी गंगा फाटक लिखा है.

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