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हम छोटे हैं तो क्या हुआ, हमारी गुर्राहट से अच्छे-अच्छे कांप जाते हैं...

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 24, 2023, 9:58 PM IST

कानपुर जू में (Kanpur Zoo Leopards) बिजनौर से रेस्क्यू कर लाए गए तेंदुए के शावकों की पूरे देश में चर्चा हो रही है. यह तेंदुए स्वभाव से बेहद गुस्सैल है. शहर के चिड़ियाघर में तेंदुओं की कुल संख्या 22 हो गई है.

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कानपुर जू में तेंदुए
जू के निदेशक केके सिंह ने दी जानकारी


कानपुर: देखन में छोटे लगे, पर घाव करें गंभीर... कवि बिहारी के दोहे की इन पंक्तियों का जो अर्थ दुनिया को बताया गया वह यही था कि कभी-कभार ऐसी परिस्थितियां मनुष्य के सामने होती हैं, जिसमें उसे कम शब्दों में ही सबकुछ कह जाना होता है, या समझ जाना होता है. शहर के चिड़ियाघर में पिछले कुछ दिनों से प्रशासनिक अफसर बिजनौर से लाए गए तेंदुओं को देखने के बाद उक्त पंक्ति को ही दोहराते दिखते हैं.

दरअसल, जो बिल्ली प्रजाति के वन्यजीव होते हैं, उनसे जब उनका प्राकृतिक वास छिन जाता है तो उनके स्वभाव में गुस्सा बढ़ जाता है. कुछ ऐसा ही कानपुर जू में उन तेंदुओं में खासतौर से देखने को मिल रहा है, जिन्हें कुछ माह पहले रेस्क्यू कर यहां लाया गया था. इनकी कुल संख्या केवल पांच जरूर है, लेकिन शेर से कहीं अधिक इनकी गुर्राहट जू के अन्य वन्यजीवों को डरा रही है.

इसे भी पढ़े-कानपुर जू में अच्छे स्वभाव वाले तेंदुओं में दोस्ती, खूंखार तेंदुए हुए तन्हा

दर्शकों में तेंदुओं की चर्चा जोरों पर: जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि पिछले दो माह के अंदर बिजनौर से कुल छह तेंदुओं को चिड़ियाघर लाया गया था. जिनमें, सबसे छोटा तेंदुआ महज साढ़े तीन माह का है. वहीं अन्य सभी की उम्र भी 3.5 से लेकर 4.5 साल के बीच है. वयस्क तेंदुओं के सामने देखने में भले ही यह काफी छोटे दिखते हों, लेकिन पिंजरे में जब इनके सामने कोई पहुंचता है तो यह अपने गुस्सैल स्वभाव से सामने वाले की कपकपी छुड़ा देते हैं. जू में आने वाले दर्शकों के बीच भी इन तेंदुओं की चर्चा जोरों पर है.

तेंदुओं की संख्या पहुंची 22, अफसरों के सामने प्रबंधन का संकट: कानपुर जू में इस समय तेंदुओं की कुल संख्या 22 पहुंच चुकी है, 17 तेंदुए जू में काफी समय से थे, जबकि पांच रेस्क्यू कर यहां पहुंचे हैं. अब इन सभी को रखने और इनकी देखरेख को लेकर प्रशासनिक अफसर काफी परेशान हैं. जू निदेशक केके सिंह ने कहा कि फिलहाल कुछ तेंदुओं को जहां अस्पताल में रखा गया है, वहीं अन्य के प्रबंधन को लेकर योजना बनाई जा रही है. इस संबंध में शासन से भी दिशा-निर्देश मांगे गए हैं.

यह भी पढ़े-लखनऊ चिड़ियाघर पहुंचे तेंदुए के तीन नन्हे शावक, दो ने खोली आंखें

जू के निदेशक केके सिंह ने दी जानकारी


कानपुर: देखन में छोटे लगे, पर घाव करें गंभीर... कवि बिहारी के दोहे की इन पंक्तियों का जो अर्थ दुनिया को बताया गया वह यही था कि कभी-कभार ऐसी परिस्थितियां मनुष्य के सामने होती हैं, जिसमें उसे कम शब्दों में ही सबकुछ कह जाना होता है, या समझ जाना होता है. शहर के चिड़ियाघर में पिछले कुछ दिनों से प्रशासनिक अफसर बिजनौर से लाए गए तेंदुओं को देखने के बाद उक्त पंक्ति को ही दोहराते दिखते हैं.

दरअसल, जो बिल्ली प्रजाति के वन्यजीव होते हैं, उनसे जब उनका प्राकृतिक वास छिन जाता है तो उनके स्वभाव में गुस्सा बढ़ जाता है. कुछ ऐसा ही कानपुर जू में उन तेंदुओं में खासतौर से देखने को मिल रहा है, जिन्हें कुछ माह पहले रेस्क्यू कर यहां लाया गया था. इनकी कुल संख्या केवल पांच जरूर है, लेकिन शेर से कहीं अधिक इनकी गुर्राहट जू के अन्य वन्यजीवों को डरा रही है.

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दर्शकों में तेंदुओं की चर्चा जोरों पर: जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि पिछले दो माह के अंदर बिजनौर से कुल छह तेंदुओं को चिड़ियाघर लाया गया था. जिनमें, सबसे छोटा तेंदुआ महज साढ़े तीन माह का है. वहीं अन्य सभी की उम्र भी 3.5 से लेकर 4.5 साल के बीच है. वयस्क तेंदुओं के सामने देखने में भले ही यह काफी छोटे दिखते हों, लेकिन पिंजरे में जब इनके सामने कोई पहुंचता है तो यह अपने गुस्सैल स्वभाव से सामने वाले की कपकपी छुड़ा देते हैं. जू में आने वाले दर्शकों के बीच भी इन तेंदुओं की चर्चा जोरों पर है.

तेंदुओं की संख्या पहुंची 22, अफसरों के सामने प्रबंधन का संकट: कानपुर जू में इस समय तेंदुओं की कुल संख्या 22 पहुंच चुकी है, 17 तेंदुए जू में काफी समय से थे, जबकि पांच रेस्क्यू कर यहां पहुंचे हैं. अब इन सभी को रखने और इनकी देखरेख को लेकर प्रशासनिक अफसर काफी परेशान हैं. जू निदेशक केके सिंह ने कहा कि फिलहाल कुछ तेंदुओं को जहां अस्पताल में रखा गया है, वहीं अन्य के प्रबंधन को लेकर योजना बनाई जा रही है. इस संबंध में शासन से भी दिशा-निर्देश मांगे गए हैं.

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