कानपुर: कुछ माह पहले जब कानपुर के बांसमंडी स्थित कपड़ा बाजार में आग लगी तो मानो पूरे देश और दुनिया में इस अग्निकांड की चर्चा हुई. वहीं, बीते सोमवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के मूल्यांकन भवन में आग से ढेरों दस्तावेज स्वाहा हो गए. शहर में आगजनी से जुड़े यह दो मामले तो महज बानगी भर हैं, चीफ फायर ऑफिसर कार्यालय में पिछले माह जो आगजनी के आंकड़े दर्ज हुए, उनके मुताबिक 250 स्थानों पर आग लग चुकी है.
सोचिए एक दिन में औसतन आठ स्थानों पर आग लग रही है. अफसर तो दबी जुबां से यह कह रहे हैं कि कानपुर बारुद के ढेर पर है. वहीं, बात बचाव की करें तो अग्निशमन अधिकारियों ने इस तरह का खाका खींचा है कि अब आग की सूचना पर एक साथ कई फायर स्टेशन की गाड़ियां मूव कर रही हैं. घने व संकरे बाजारों में बाइक से पेट्रोलिंग शुरू हो गई है. रिस्पांस टाइम को कम से कम और एक स्थान पर अधिक से अधिक दमकलकर्मियों को पहुंचाया जा रहा है, जिससे आगजनी की घटना पर जल्द से जल्द काबू पाया जा सके.
कर्नलगंज व लाटूश रोड फायर स्टेशन वाले क्षेत्र बेहद संवेदनशील: सीएफओ दीपक शर्मा ने बताया कि शहर में कर्नलगंज व लाटूश रोड फायर स्टेशन से जो भी एरिया कवर होते हैं, वह बहुत अधिक संवेदनशील हैं. उन्होंने कहा कि यहां तो छोटी सी भी घटना पर वह खुद पहुंच जाते हैं. वहीं, बाइक से पेट्रोलिंग करने वाले दमकलकर्मी अब आग की स्थिति को देखकर मौके से ही कंट्रोल रूम को सूचना देने लगे हैं.
अधिकतर घटनाओं में शार्ट सर्किट ही मुख्य वजह: सीएफओ ने बताया कि अधिकतर घटनाओं में कारण शार्ट सर्किट ही सामने आता है. हालांकि, कई स्थान, बाजार, गलियां, कार्यालय ऐसे हैं जहां आग से बचाव के सटीक प्रबंध नहीं हैं.