कानपुर: आपने 1970-80 के दशक की फिल्मों में अभिनेता व अभिनेत्रियों को तांगा पर बैठकर बाजार की सैर करते देखा होगा. ठीक वैसे ही कानपुर के नयागंज बाजार में वर्षों पहले इसी तरह लोग खरीदारी करने आते थे. लगभग 125 साल पुराना यह बाजार जब बसा था, तब यहां महज तीन दुकानें थी, जबकि मौजूदा समय में दुकानों की संख्या 300 के पार है.
यहां के व्यापारी बताते हैं, कि जब किसान अपना अनाज खरीदने शहर आते थे, तो इस बाजार में वह अपना भैंसा ठेला ले आते थे. सोने-चांदी की कीमतें बेहद कम होने के चलते किसान उसी भैंसा ठेला पर सोने-चांदी की सिल्लियां रखकर ले जाते थे. वहीं, लोग भी तांगे पर बैठकर यहां आते थे.
नयागंज सर्राफा कमेटी के सचिव राजीव भाटिया ने बताया कि पिछले दो सालों में कोरोना के चलते बाजार बैठ सा गया था. हालांकि, इस साल यह आस जगी है कि सर्राफा कारोबारियों का कारोबार 250 से 350 करोड़ रुपये के बीच हो सकता है. उन्होंने बताया कि इन दिनों जो लोग सोना या चांदी के जेवर खरीद रहे हैं, उनमें लाइट वेट ज्वैलरी की मांग बहुत अधिक है. इसी तरह एक ग्राम, 2 ग्राम, 5 ग्राम, 10 ग्राम, 20 ग्राम व 50 ग्राम तक के सोना व चांदी के सिक्के भी लोगों को पसंद आ रहे हैं.
पढ़ेंः 104 किमी में बसेगा नया लखनऊ, थोक बाजार जाएंगे आउटर रिंग रोड के किनारे