कानपुर: बीते साल दिसंबर में सचेंडी क्षेत्र स्थित एसबीआई बैंक की भौंती शाखा में चोरी की घटना को अंजाम दिया गया था. पुलिस फरार चोरों को अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है. इसके बाद से पुलिस की लगातार किरकिरी हो रही है. इस चोरी की घटना के संबंध में पुलिस को जनवरी और मार्च में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा पत्र भी भेजे गए. लेकिन, उन अज्ञात पत्रों के माध्यम से भी पुलिस को आरोपियों का कोई सुराग पता नहीं चल रहा है.
सचेंडी थाना क्षेत्र स्थित एसबीआई बैंक की भौंती शाखा में बीते साल 23 दिसंबर को चोरों ने बैंक के बगल में पड़े खाली प्लाट में सुरंग के रास्ते फिल्मी स्टाइल से बैंक में प्रवेश किया था. इस दौरान चोर 29 लोगों का करीब 2 किलो सोना लेकर फरार हो गए थे. बैंक अधिकारियओं की शिकायत के बाद भी पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. इस घटना के 3 माह बाद भी चोर पुलिस की गिरफ्तारी से दूर हैं. वहीं, चोरी की इस घटना के संबंध में पुलिस को जनवरी और मार्च में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा 2 पत्र भी भेजा गया था. इस पत्र के माध्यम से बैंक में हुई चोरी के संबंध में 13 व्यक्तियों के सम्मिलित होने के बारे में बताया गया था.
इस अज्ञात पत्र में जिन 13 लोगों के नाम लिखे गए थे, पुलिस ने उनमें से 7 लोगों की पहचान की है. उनके नाम हैं सुलेमान (45), रामानन्द (39), सोनू नेता (35) और विक्रांत (34) ये सभी रावतपुर के रहने वाले हैं. जबकि, शनि (22), छुट्टन (46) और अमित उर्फ मुन्ना लाल (35) ये सभी मस्वानपुर के रहने वाले हैं. पुलिस ने सभी को हिरासत में लेकर पुछताछ की. पुलिस ने बताया कि इन लोगों से बैंक चोरी की घटना में संलिप्त होने के कोई साक्ष्य नहीं पाए गए.
सचेंडी थाना एसएचओ शैलेंद्र सिंह ने बताया कि एसबीआई बैंक में चोरी की घटना के संबंध में जनवरी और मार्च में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा 2 पत्र भेजे गए थे. उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा जांच में पता चला कि दोनों पत्रों में प्रयुक्त कागज व उनकी हैंडराइटिंग एक समान है, जिससे स्पष्ट है कि दोनों ही पत्र संभवत एक ही व्यक्ति द्वारा लिखे गए हैं. इस अज्ञात पत्र में 13 लोगों के सम्मिलित होने के बारे में बताया गया था. इसमें से 7 लोगों की पहचान कर पुलिस उनसे पूछताछ कर चुकी है. इसके अलावा मोबाइल सर्विलांस के माध्यम से भी इन लोगों का बैंक में चोरी करने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है. इसके अलावा 6 अन्य लोगों की तलाश की जा रही है.
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