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साड़ों से अधिक नगर निगम और जिला प्रशासन छात्र प्रखर की मौत के जिम्मेदार, सिर्फ कागजों में चल रहा अभियान - सांड के वार से छात्र की मौत

कानपुर में नगर निगम (Kanpur Municipal Corporation) आवारा पशुओं को पकड़ने का अभियान (campaign to catch stray animals) चला रहा है. इसके बाद भी सड़क पर साड़, बैल और गाय घूम रहे हैं. एक दिन पहले ही एक युवक की साड़ की टक्कर से मौत हो गई थी.

पनकी गंगागंज रोड
पनकी गंगागंज रोड
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 3, 2023, 5:50 PM IST

कानपुर में किदवई नगर थाना क्षेत्र में आवारा घूमते पशु

कानपुर: शहर में अगर अब भी नगर निगम और जिला प्रशासन के अफसर न चेते तो शायद आने वाले दिनों में कई ऐसे लोग होंगे. जिन्हें सांड़, गाय या किसी दूसरे आवारा पशु की टक्कर का शिकार होना होगा. फिर चोट गंभीर लगी, तो लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है. लेकिन, आपके परिवार का सदस्य भले जीवित न रहे पर कानपुर नगर निगम के अफसरों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. सालों पहले वह जिस तरह अपने पुराने ढर्रे पर कागजी आंकड़े तैयार करके काम कर रहे थे, वैसे ही करते रहेंगे. हादसे होंगे, तो उनका रटारटाया जवाब होगा- मामले को दिखवा लेंगे या इसकी जांच कराएंगे.

छात्र की मौत हो गई, पशु चिकित्साधिकारी बोले हम तो अभियान चला रहे: ईटीवी भारत संवाददाता ने शुक्रवार को नगर निगम के कैटल केचिंग दस्ते की गतिविधियों को लेकर शहर में पड़ताल की. शहर के किदवई नगर, बारादेवी, विजय नगर, शास्त्री नगर समेत अन्य मोहल्लों में सांड़, गाय और कई आवारा पशु आराम से घूमते दिखे. राहगीरों को खुद इनसे बचकर निकलना पड़ा. वहीं, गुरुवार देर रात शहर के पनकी थाना क्षेत्र में सांड़ की टक्कर से एक 12वीं के छात्र की मौत हो गई थी. जब इस मामले को लेकर संवाददाता ने मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डा.आरके निरंजन से कैटल केचिंग दस्ते की गतिविधियों को लेकर सवाल पूछा, तो जवाब मिला कि हम तो शहर में आवारा पशुओं को पकड़ने का अभियान चला रहे हैं. सोचिए, एक ओर आवारा पशु आराम से सड़क पर घूम रहे हैं और नगर निगम के अफसर अभियान के नाम पर साफतौर से झूठ बोल रहे हैं.

60 लाख की आबादी, दस्ते में केवल चार वाहन: कानपुर की कुल आबादी करीब 60 लाख के आसपास है. शहर में नगर निगम के 110 वार्ड हैं. ऐसे में आवारा पशुओं से लोगों को बचाने के लिए नगर निगम के पास चार कैटल केचर (वाहन) हैं. जबकि पांच नए कैटल केचर जल्द ही विभाग को मिलने वाले हैं.
अब, इसी बात से अंदाजा लगाइए कि जब कैटल केचर ही पर्याप्त नहीं होंगे, तो कहां से आवारा पशु पकड़े जाएंगे?

इन आंकड़ों का अफसरों ने किया दावा: शहर में पिछले पांच साल के अंदर 6000 से ज्यादा आवारा पशु पकड़े गए है. जिसमें पिछले एक साल के अंदर 1000 से ज्यादा आवारा जानवर पकड़े गए. शहर में सितंबर माह में 500 से अधिक और अक्टूबर में 400 से अधिक आवारा पशु पकड़े गए है. नगर निगम द्वारा पकड़े गए आवारा पशुओं को अभी जाजमऊ, पनकी समेत अन्य क्षेत्रों में रखा जा रहा है.

कानपुर में किदवई नगर थाना क्षेत्र में आवारा घूमते पशु

कानपुर: शहर में अगर अब भी नगर निगम और जिला प्रशासन के अफसर न चेते तो शायद आने वाले दिनों में कई ऐसे लोग होंगे. जिन्हें सांड़, गाय या किसी दूसरे आवारा पशु की टक्कर का शिकार होना होगा. फिर चोट गंभीर लगी, तो लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है. लेकिन, आपके परिवार का सदस्य भले जीवित न रहे पर कानपुर नगर निगम के अफसरों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. सालों पहले वह जिस तरह अपने पुराने ढर्रे पर कागजी आंकड़े तैयार करके काम कर रहे थे, वैसे ही करते रहेंगे. हादसे होंगे, तो उनका रटारटाया जवाब होगा- मामले को दिखवा लेंगे या इसकी जांच कराएंगे.

छात्र की मौत हो गई, पशु चिकित्साधिकारी बोले हम तो अभियान चला रहे: ईटीवी भारत संवाददाता ने शुक्रवार को नगर निगम के कैटल केचिंग दस्ते की गतिविधियों को लेकर शहर में पड़ताल की. शहर के किदवई नगर, बारादेवी, विजय नगर, शास्त्री नगर समेत अन्य मोहल्लों में सांड़, गाय और कई आवारा पशु आराम से घूमते दिखे. राहगीरों को खुद इनसे बचकर निकलना पड़ा. वहीं, गुरुवार देर रात शहर के पनकी थाना क्षेत्र में सांड़ की टक्कर से एक 12वीं के छात्र की मौत हो गई थी. जब इस मामले को लेकर संवाददाता ने मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डा.आरके निरंजन से कैटल केचिंग दस्ते की गतिविधियों को लेकर सवाल पूछा, तो जवाब मिला कि हम तो शहर में आवारा पशुओं को पकड़ने का अभियान चला रहे हैं. सोचिए, एक ओर आवारा पशु आराम से सड़क पर घूम रहे हैं और नगर निगम के अफसर अभियान के नाम पर साफतौर से झूठ बोल रहे हैं.

60 लाख की आबादी, दस्ते में केवल चार वाहन: कानपुर की कुल आबादी करीब 60 लाख के आसपास है. शहर में नगर निगम के 110 वार्ड हैं. ऐसे में आवारा पशुओं से लोगों को बचाने के लिए नगर निगम के पास चार कैटल केचर (वाहन) हैं. जबकि पांच नए कैटल केचर जल्द ही विभाग को मिलने वाले हैं.
अब, इसी बात से अंदाजा लगाइए कि जब कैटल केचर ही पर्याप्त नहीं होंगे, तो कहां से आवारा पशु पकड़े जाएंगे?

इन आंकड़ों का अफसरों ने किया दावा: शहर में पिछले पांच साल के अंदर 6000 से ज्यादा आवारा पशु पकड़े गए है. जिसमें पिछले एक साल के अंदर 1000 से ज्यादा आवारा जानवर पकड़े गए. शहर में सितंबर माह में 500 से अधिक और अक्टूबर में 400 से अधिक आवारा पशु पकड़े गए है. नगर निगम द्वारा पकड़े गए आवारा पशुओं को अभी जाजमऊ, पनकी समेत अन्य क्षेत्रों में रखा जा रहा है.

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