कानपुर : कानपुर का जगन्नाथ मंदिर अनोखा और रहस्यमयी भी है. यह मंदिर पहले ही बता देता है कि बारिश आने वाली है. लेकिन आज तक यह कोई नहीं जान पाया कि आखिर इसका राज क्या है. ऐसा कहा जाता है कि जब बारिश होने वाली होती है, तो कड़ी धूप में भी मंदिर की छत से पानी टपकने लगता है. यही नहीं जैसे ही बारिश होनी शुरू होती है, मंदिर के भीतर की छत से टपकता पानी एकदम बंद हो जाता है.
आप को बता दें कि यह मंदिर कानपुर के भीतरगांव विकासखंड से करीब तीन किलोमीटर दूर बेहटा गांव में स्थित है. इस मंदिर को भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के अलावा बलदाऊ और सुभद्रा की मूर्तियां भी लगी है. ये मूर्तियां काले रंग के चिकने पत्थरों से बनी हुई हैं. मंदिर के आंगन में भगवान सूर्य और पद्मनाभम की मूर्तियां भी स्थापित हैं. स्थानीय निवासी हर साल भगवान जगन्नाथ की यात्रा भी निकालते हैं. जो यहां के लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है. यहां सैकडों लोग हर रोज भगवान के दर्शन करने आते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश होने के छह-सात दिन पहले मंदिर की छत से पानी की बूंदें टपकने लगती हैं. लोगों का ये भी कहना है कि मंदिर की छत से जितनी बड़ी बूंदें गिरती हैं, बारिश भी उतनी ही अधिक होती है. सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि जैसे ही बारिश शुरू होती है, मंदिर की छत से पानी टपकना बंद हो जाता है, और मंदिर की छत भीतर से सूख जाती है. मंदिर की छत से बिना बारिश पानी टपकना और बारिश में बंद हो जाने वाले रहस्य को आजतक कोई नहीं जान पाया.
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मंदिर के पुजारी का कहना है कि पुरातत्व विभाग के लोग भी आजतक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाए. पुरातत्व विभाग के मुताबिक इस मंदिर का जीर्णोद्धार 11वीं सदी में किया गया था. इस मंदिर की बनावट किसी बौद्ध मठ की तरह है, जिसकी दीवारें 14 फिट मोटी हैं. ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर सम्राट अशोक के शासन काल में बनाया गया था.