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IIT का सॉफ्टवेयर बताएगा, बच्चों में ऑटिज्म बीमारी है कि नहीं

कानपुर आईआईटी अपने अविष्कारों और शोधों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बना चुका है. इसी क्रम में अब कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिक ने ऑटिज्म पीड़ित बच्चों की पहचान करने के लिए अनोखा सॉफ्टवेयर तैयार किया है. इसकी मदद से ऑटिज्म पीड़ित बच्चों की पहचान करना बहुत ही आसान हो जाएगा.

कानपुर आईआईटी
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Published : Jan 20, 2021, 8:38 PM IST

कानपुर: ऑटिज्म बीमारी से पीड़ित बच्चों की पहचान करने के लिए कानपुर आईआईटी ने एक नया शोध कर सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से लैश है. अब इस सॉफ्टवेयर की मदद से बच्चों में पनपने वाली ऑटिज्म की बीमारी का बड़ी ही आसानी से पता चल जाएगा.

जानकारी देते सॉफ्टवेयर बनाने वाले प्रोफेसर.

इस सॉफ्टवेयर की मदद से 5 से 15 मिनट के अंदर ही पता चल जाएगा कि कौन से बच्चे को इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है. इतना ही नही कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिक इस सॉफ्टवेयर के एडवांस वर्जन पर भी काम करने की योजना बना रहे हैं.

जानिए कैसे काम करता है यह सॉफ्टवेयर
आईआईटी कानपुर में विकसित हुआ सॉफ्टवेयर 'कोआर्डनिट जियोमेट्री' एक्स और वाई के आधार पर काम करता है. यह सॉफ्टवेयर बच्चों की गतिविधियों की रिकार्ड इम्युनिटी एंड सोशल साइंसेज के सिद्धांत पर काम करता है, जो कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बड़ी ही आसानी से ऑटिज्म की बीमारी का पता लगा लेता है.

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर बृजभूषण और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के. एस वेंकटेश के निर्देशन में इस सॉफ्टवेयर को तैयार किया गया है, जिसमें तीन और चार साल के बच्चों पर शोध किया गया. इसमें बच्चों के कंधे को एक्स अक्षर और नाक, मुंह, गले से रीढ़ की हड्डी को वाई अक्षर माना गया. इसके बाद उन्होंने ऑटिज्म और सामान्य बच्चों की गतिविधियों को देखा.

उनके चलने के अंदाज, हाथ-पांव की हरकत, खास तौर पर गर्दन मोड़ने के तरीके को भी रिकार्ड किया. इस शोध में करीब 100 बच्चों पर अध्ययन किया गया. सॉफ्टवेयर में वीडियो एक तरह से ऑटोमेटिक रखकर फ्रेम के रूप में परिवर्तित हो जाएगा और सॉफ्टवेयर खुद निर्णय लेगा कि कौन सा बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित है.

कानपुर: ऑटिज्म बीमारी से पीड़ित बच्चों की पहचान करने के लिए कानपुर आईआईटी ने एक नया शोध कर सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से लैश है. अब इस सॉफ्टवेयर की मदद से बच्चों में पनपने वाली ऑटिज्म की बीमारी का बड़ी ही आसानी से पता चल जाएगा.

जानकारी देते सॉफ्टवेयर बनाने वाले प्रोफेसर.

इस सॉफ्टवेयर की मदद से 5 से 15 मिनट के अंदर ही पता चल जाएगा कि कौन से बच्चे को इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है. इतना ही नही कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिक इस सॉफ्टवेयर के एडवांस वर्जन पर भी काम करने की योजना बना रहे हैं.

जानिए कैसे काम करता है यह सॉफ्टवेयर
आईआईटी कानपुर में विकसित हुआ सॉफ्टवेयर 'कोआर्डनिट जियोमेट्री' एक्स और वाई के आधार पर काम करता है. यह सॉफ्टवेयर बच्चों की गतिविधियों की रिकार्ड इम्युनिटी एंड सोशल साइंसेज के सिद्धांत पर काम करता है, जो कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बड़ी ही आसानी से ऑटिज्म की बीमारी का पता लगा लेता है.

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर बृजभूषण और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के. एस वेंकटेश के निर्देशन में इस सॉफ्टवेयर को तैयार किया गया है, जिसमें तीन और चार साल के बच्चों पर शोध किया गया. इसमें बच्चों के कंधे को एक्स अक्षर और नाक, मुंह, गले से रीढ़ की हड्डी को वाई अक्षर माना गया. इसके बाद उन्होंने ऑटिज्म और सामान्य बच्चों की गतिविधियों को देखा.

उनके चलने के अंदाज, हाथ-पांव की हरकत, खास तौर पर गर्दन मोड़ने के तरीके को भी रिकार्ड किया. इस शोध में करीब 100 बच्चों पर अध्ययन किया गया. सॉफ्टवेयर में वीडियो एक तरह से ऑटोमेटिक रखकर फ्रेम के रूप में परिवर्तित हो जाएगा और सॉफ्टवेयर खुद निर्णय लेगा कि कौन सा बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित है.

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