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यूपी का एक अनोखा तालाब, जहां कछुए करते हैं मुरादें पूरी

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में स्थित यह अनोखा तालाब अब पर्यटन का केंद्र बन गया है. यहां पर दूरदराज से लोग आते हैं और कछुओं को खाना खिलाते हैं. आईए जानते हैं इस तालाब की अन्य विशेषताएं...

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Published : Jun 1, 2023, 7:25 PM IST

कानपुर के अनोखे कछुआ तालाब पर संवाददाता समीर दीक्षित की खास रिपोर्ट

कानपुर: वैसे तो आपने देश और दुनिया में कई स्थानों पर विशालकाय और हरियाली वाले तालाब देखे होंगे लेकिन, उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के पनकी क्षेत्र में सैकड़ों साल पुराने शिव मंदिर के साथ एक ऐसा तालाब है, जिसमें कछुओं की भरमार है. इसके चलते ही इसका नाम भी कछुआ तालाब पड़ गया है. मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है, मंदिर जब बना था तब से यहां तालाब है. जिसमें अपने आप कछुए आ गए, जो कभी अदृश्य नहीं हुए. यानी, इस तालाब में हमेशा कछुए मौजूद रहे, जिसके चलते इसका नाम कछुआ तालाब हो गया

तालाब की खासियत है, कि यहां सैकड़ों की संख्या में कछुए हैं और अब यह तालाब शहर के पर्यटन स्थलों में शामिल हो चुका है. नगर निगम की ओर से इस तालाब के सौंदर्यींकरण पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. नगर निगम अफसरों ने कछुओं की देखरेख के लिए तालाब के बीचोबीच बालू व मिट्टी के ढेर का टापू बनवाया है, जिससे कछुए प्रजनन कर सकें. इसके साथ ही चारों ओर पक्का घाट बना दिया गया है.

कानपुर का अनोखा कछुआ तालाब
कानपुर का अनोखा कछुआ तालाब

शौक से खाते पनीर, ब्रेड और आटा, पूरी करते मन की मुराद: इस मंदिर की देखरेख करने वाले पुजारी देवीदयाल पाठक ने बताया, कि कानपुर के अलावा दूसरे शहरों से इन कछुओं को देखने के लिए लोग यहां आते हैं. कुछ कछुए तो इतने विशालकाय हैं, कि यह सभी के आकर्षण का केंद्र होते हैं. लोग शौक से इन्हें ब्रेड, पनीर व आटा खिलाते हैं. मान्यता है कि ये कछुए मन की मुराद पूरी कर देते हैं. कछुओं को देखने के साथ ही लोग प्राचीन शिव मंदिर में दर्शन भी करते हैं.

ये भी पढ़ेंः लखनऊ में बनेगा प्रदेश का पहला ट्राइबल म्यूजियम, तीन एकड़ में बनेगा पूरा प्रोजेक्ट

कानपुर के अनोखे कछुआ तालाब पर संवाददाता समीर दीक्षित की खास रिपोर्ट

कानपुर: वैसे तो आपने देश और दुनिया में कई स्थानों पर विशालकाय और हरियाली वाले तालाब देखे होंगे लेकिन, उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के पनकी क्षेत्र में सैकड़ों साल पुराने शिव मंदिर के साथ एक ऐसा तालाब है, जिसमें कछुओं की भरमार है. इसके चलते ही इसका नाम भी कछुआ तालाब पड़ गया है. मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है, मंदिर जब बना था तब से यहां तालाब है. जिसमें अपने आप कछुए आ गए, जो कभी अदृश्य नहीं हुए. यानी, इस तालाब में हमेशा कछुए मौजूद रहे, जिसके चलते इसका नाम कछुआ तालाब हो गया

तालाब की खासियत है, कि यहां सैकड़ों की संख्या में कछुए हैं और अब यह तालाब शहर के पर्यटन स्थलों में शामिल हो चुका है. नगर निगम की ओर से इस तालाब के सौंदर्यींकरण पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं. नगर निगम अफसरों ने कछुओं की देखरेख के लिए तालाब के बीचोबीच बालू व मिट्टी के ढेर का टापू बनवाया है, जिससे कछुए प्रजनन कर सकें. इसके साथ ही चारों ओर पक्का घाट बना दिया गया है.

कानपुर का अनोखा कछुआ तालाब
कानपुर का अनोखा कछुआ तालाब

शौक से खाते पनीर, ब्रेड और आटा, पूरी करते मन की मुराद: इस मंदिर की देखरेख करने वाले पुजारी देवीदयाल पाठक ने बताया, कि कानपुर के अलावा दूसरे शहरों से इन कछुओं को देखने के लिए लोग यहां आते हैं. कुछ कछुए तो इतने विशालकाय हैं, कि यह सभी के आकर्षण का केंद्र होते हैं. लोग शौक से इन्हें ब्रेड, पनीर व आटा खिलाते हैं. मान्यता है कि ये कछुए मन की मुराद पूरी कर देते हैं. कछुओं को देखने के साथ ही लोग प्राचीन शिव मंदिर में दर्शन भी करते हैं.

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