कानपुरः मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत हुए कार्यक्रम के दौरान प्रशासनिक अफसर उस समय हैरान रह गए. जब उन्हें मालूम हुआ कि 2 परिवार ऐसे आ गए हैं. जिनका पंजीकरण ही नहीं हुआ था. अधिकारियों ने परिवारीजनों से बात की मगर उनका कोई रिकार्ड नहीं मिला. परिजनों ने बताया कि, कुछ लोगों ने उनसे 6 हजार रुपये मांगे थे. ठगी के बात होने पर अधिकारी भी आवाक रह गए. वहीं, शादी न होने पर दोनों ही परिवारों को निराश होकर वापस लौटना पड़ा.
शहर के मोतीझील मैदान का नजारा बहुत ही आकर्षक दिख रहा था. मैदान के एक हिस्से में जहां वर पक्ष के लोग मौजूद थे. वहीं, मैदान के दूसरे हिस्से में वधु पक्ष के लोग उपस्थित थे. दोपहर 12 बजे के आसपास जैसे ही मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत आयोजित कार्यक्रम में विधायक सुरेंद्र मैथानी, एमएलसी अरुण पाठक, डीएम विशाख जी अय्यर, नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन समेत अन्य अफसर पहुंचे. वहां मौजूद 76 जोड़ों ने एक दूजे का हाथ थाम लिया. इस दौरान फिल्मी गीतों की धुन से पूरा पंडाल में गूंज गया. साथ ही ढोल-नगाड़े की थाप पर सभी वर-वधु ने सात फेरे की रस्में भी पूरी की. इस खुशी के मौके पर विधायक, डीएम, भाजपा नेताओं व प्रशासनिक अफसरों ने फूलों की बारिश कर संरक्षक के तौर पर खड़े होकर वर-वधु को आशीर्वाद दिया. एक साथ 70 से अधिक बारातें निकली हुई थी. साथ ही 4 मुस्लिम जोड़ों ने भी निकाह की रस्में पूरी की. कार्यक्रम में जनपद के तमाम नेताओं के साथ अधिकारी भी मौजूद रहे.
प्रति जोड़े के रूप में दी गई 51 हजार रुपये की राशि: नगर आयुक्त शिव शरणप्पा जीएन ने बताया कि उक्त कार्यक्रम के दौरान प्रति जोड़े के रूप में वर-वधु को 51 हजार रुपये की राशि दी गई. जिसमें 35 हजार रुपये की राशि सीधे कन्या के खाते में हस्तांतरित की गई. जबकि 10 हजार रुपये का उपहार वर-वधु को दिया जाता है. वहीं, छह हजार रुपये की राशि आकस्मिक व्यय के तौर पर खर्च होती है.
वहीं, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में बर्रा का रहने वाला एक परिवार पहुंचा था. जबकि दूसरा परिवार कर्नलगंज क्षेत्र का रहने वाला था. जिससे ठगों ने 6 हजार रूपये मांगे थे. पुलिस ने दोनों ही परिवारों से बातचीत की. वहीं, जब विवाह नहीं हुआ तो मौके से दूल्हा अपने घर वापस चला गया. जबकि दुल्हन कार्यक्रम स्थल पर ही बैठी रही.