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काशी जैसा कानपुर का यह काल भैरव मंदिर, प्रसाद में चढ़ती शराब - कानपुर की ताजी न्यूज

कानपुर के भैरव घाट पर स्थित 800 साल पुराने काल भैरव मंदिर का नाम संत शिरोमणि तुलसीदास से जुड़ा है. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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Published : May 12, 2023, 6:52 PM IST

Updated : May 12, 2023, 8:54 PM IST

कानपुर: वैसे तो कानपुर में काशी की तर्ज पर भगवान भोलेनाथ का आनंदेश्वर मंदिर कई सौ साल पुराना है तो शहर के आउटर क्षेत्र में संकटमोचन भगवान बजरंगबली के मंदिर में लाखों भक्तों का तांता लगता है लेकिन कानपुर में एक काल भैरव का भी मंदिर है, जो लगभग 800 साल पुराना है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां गोस्वामी तुलसीदास भजन करते थे. मान्यता है कि उसी समय मंदिर की स्थापना हुई थी. इस काल भैरव के मंदिर में कानपुर के अलावा बहुत दूर-दूर से अच्छी संख्या में भक्त पहुंचते हैं और दर्शन करते हैं.

कानपुर का काल भैरव मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है.

मूर्ति के ठीक सामने कल-कल करती गंगा बह रही हैं. 100 मीटर की दूरी पर चिताएं जलतीं हैं. कानपुर के भैरोघाट पर बने इस काल भैरव मंदिर को लेकर महंत मायाराम दास ने बताया कि भगवान की मूर्ति के ठीक सामने सदियों से कल-कल करती गंगा बह रही हैं. मंदिर से जुड़े भक्त बताते हैं, कि वैसे तो सावन के समय गंगा का पानी अपने ऊफान पर होता है लेकिन, कभी गंगा का पानी मंदिर तक नहीं पहुंचा. सीढ़ियां जरूर पूरी तरह से डूब जाती हैं.

वहीं, कहा जाता है कि इस मंदिर में ही मोक्ष मिलता है. मंदिर से महज 100 मीटर की दूरी पर हमेशा चिताएं जलती रहतीं हैं. शहर में सबसे ज्यादा शवों का दाह संस्कार इसी घाट पर होता है. भक्त कहते हैं, जिस तरह काशी में विश्वनाथ दरबार से कुछ दूरी पर मणिकर्णिका घाट है, ठीक वैसे ही दृश्य कानपुर के भैरोघाट पर दिखता है.

मंदिर से जुड़े भक्त यह भी बताते हैं, कि इस मंदिर में भोग की परंपरा अनूठी है. यहां भक्त बेसन के लड्डू, पेड़ा या बर्फी के बजाए मदिरा का भोग लगाते हैं. सालों से ही काल भैरव को यहां मदिरा का भोग लग रहा है.

ये भी पढ़ेंः चलती बाइक पर बुजुर्ग को आया हार्ट अटैक, 4 सेकेंड में मौत, देखें वीडियो

कानपुर: वैसे तो कानपुर में काशी की तर्ज पर भगवान भोलेनाथ का आनंदेश्वर मंदिर कई सौ साल पुराना है तो शहर के आउटर क्षेत्र में संकटमोचन भगवान बजरंगबली के मंदिर में लाखों भक्तों का तांता लगता है लेकिन कानपुर में एक काल भैरव का भी मंदिर है, जो लगभग 800 साल पुराना है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां गोस्वामी तुलसीदास भजन करते थे. मान्यता है कि उसी समय मंदिर की स्थापना हुई थी. इस काल भैरव के मंदिर में कानपुर के अलावा बहुत दूर-दूर से अच्छी संख्या में भक्त पहुंचते हैं और दर्शन करते हैं.

कानपुर का काल भैरव मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है.

मूर्ति के ठीक सामने कल-कल करती गंगा बह रही हैं. 100 मीटर की दूरी पर चिताएं जलतीं हैं. कानपुर के भैरोघाट पर बने इस काल भैरव मंदिर को लेकर महंत मायाराम दास ने बताया कि भगवान की मूर्ति के ठीक सामने सदियों से कल-कल करती गंगा बह रही हैं. मंदिर से जुड़े भक्त बताते हैं, कि वैसे तो सावन के समय गंगा का पानी अपने ऊफान पर होता है लेकिन, कभी गंगा का पानी मंदिर तक नहीं पहुंचा. सीढ़ियां जरूर पूरी तरह से डूब जाती हैं.

वहीं, कहा जाता है कि इस मंदिर में ही मोक्ष मिलता है. मंदिर से महज 100 मीटर की दूरी पर हमेशा चिताएं जलती रहतीं हैं. शहर में सबसे ज्यादा शवों का दाह संस्कार इसी घाट पर होता है. भक्त कहते हैं, जिस तरह काशी में विश्वनाथ दरबार से कुछ दूरी पर मणिकर्णिका घाट है, ठीक वैसे ही दृश्य कानपुर के भैरोघाट पर दिखता है.

मंदिर से जुड़े भक्त यह भी बताते हैं, कि इस मंदिर में भोग की परंपरा अनूठी है. यहां भक्त बेसन के लड्डू, पेड़ा या बर्फी के बजाए मदिरा का भोग लगाते हैं. सालों से ही काल भैरव को यहां मदिरा का भोग लग रहा है.

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Last Updated : May 12, 2023, 8:54 PM IST
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