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दीपावली पर उल्लू का शिकार किया तो सीधे होगी जेल, वन विभाग की टीमें अलर्ट - hunting owl on diwali

उल्लू का शिकार करने पर अब (Jail for hunting owl) सीधे जेल होगी. वन विभाग की टीमें इसको लेकर अब अलर्ट मोड पर है. मान्यता है दीपावली पर उल्लू के (auspicious to see owl on Diwali) दर्शन करना शुभ होता है, इसलिए उल्लू का शिकार किया जाता है.

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उल्लू का शिकार करने पर जेल
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 11, 2023, 8:42 PM IST


कानपुर: जिस तरह दशहरा पर मान्यता है कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन से लोगों को लाभ होता है. उसी तरह दीपावली पर मान्यता है कि उल्लू के दर्शन करना शुभ होता है. इसलिए उल्लू का शिकार किया जाता है. वन विभाग के अफसर इसको लेकर पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं. उनका यही कहना है कि अगर कहीं उल्लू का शिकार किया जाता है तो अब सीधे जेल की हवा खानी होगी. वन्यजीव अधिनियम के तहत आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

वन विभाग के रेंज अफसर नावेद इकराम ने बताया कि कानपुर और आसपास के अन्य जिलों में सबसे अधिक चोटीदार उल्लू पाए जाते हैं. वहीं, दीपावली पर इन्हीं प्रजाति के उल्लू का सबसे अधिक शिकार भी किया जाता है. ऐसे में अफसरों को आशंका है कि दीपावली का पर्व देखते हुए शिकारी सक्रिय हो गए हैं. खासतौर से कानपुर से सटे गंगा बैराज, बिठूर, मंधना, रमईपुर जैसे खुले स्थानों पर चोरीछिपे इनकी बिक्री भी शुरू हो जाती है. लेकिन, अफसरों का कहना है कि अगर कहीं सूचना मिली, तो फौरन ही छापा मारकर शिकारियों को पकड़ लिया जाएगा.

इसे भी पढ़े-White Owl in Kanpur : जटायु के बाद अब कानपुर में दिखा लक्ष्मी जी का वाहन सफेद उल्लू

15 से अधिक नीलकंठ पक्षी पकड़े गए थे: डीएफओ दिव्या ने बताया कि दशहरा वाले दिन ही कानपुर में अलग-अलग स्थानों पर 15 नीलकंठ पक्षियों को पकड़ा गया था. इनका शिकार करने वालों के खिलाफ भी वन्यजीव अधिनियमों के तहत विधिक कार्रवाई की गई. कई मंदिरों में शिकारियों ने छुप-छुप कर इन पक्षियों को पकड़कर रखा था, जिन्हें बाद में मुक्त भी कराया गया था.

कानपुर जू में तीन प्रकार के हैं उल्लू: जू के प्रशासनिक अफसर नावेद इकराम ने बताया कि कानपुर जू में तीन प्रकार के उल्लू मौजूद हैं. इनमें काठ उल्लू, चोटीदार उल्लू और बर्न आउल शामिल है. जू के अंदर भी किसी तरह की समस्या न हो, इसके लिए उल्लू बाड़े की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

यह भी पढ़े-दुर्लभ प्रजाति के उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा


कानपुर: जिस तरह दशहरा पर मान्यता है कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन से लोगों को लाभ होता है. उसी तरह दीपावली पर मान्यता है कि उल्लू के दर्शन करना शुभ होता है. इसलिए उल्लू का शिकार किया जाता है. वन विभाग के अफसर इसको लेकर पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं. उनका यही कहना है कि अगर कहीं उल्लू का शिकार किया जाता है तो अब सीधे जेल की हवा खानी होगी. वन्यजीव अधिनियम के तहत आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

वन विभाग के रेंज अफसर नावेद इकराम ने बताया कि कानपुर और आसपास के अन्य जिलों में सबसे अधिक चोटीदार उल्लू पाए जाते हैं. वहीं, दीपावली पर इन्हीं प्रजाति के उल्लू का सबसे अधिक शिकार भी किया जाता है. ऐसे में अफसरों को आशंका है कि दीपावली का पर्व देखते हुए शिकारी सक्रिय हो गए हैं. खासतौर से कानपुर से सटे गंगा बैराज, बिठूर, मंधना, रमईपुर जैसे खुले स्थानों पर चोरीछिपे इनकी बिक्री भी शुरू हो जाती है. लेकिन, अफसरों का कहना है कि अगर कहीं सूचना मिली, तो फौरन ही छापा मारकर शिकारियों को पकड़ लिया जाएगा.

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15 से अधिक नीलकंठ पक्षी पकड़े गए थे: डीएफओ दिव्या ने बताया कि दशहरा वाले दिन ही कानपुर में अलग-अलग स्थानों पर 15 नीलकंठ पक्षियों को पकड़ा गया था. इनका शिकार करने वालों के खिलाफ भी वन्यजीव अधिनियमों के तहत विधिक कार्रवाई की गई. कई मंदिरों में शिकारियों ने छुप-छुप कर इन पक्षियों को पकड़कर रखा था, जिन्हें बाद में मुक्त भी कराया गया था.

कानपुर जू में तीन प्रकार के हैं उल्लू: जू के प्रशासनिक अफसर नावेद इकराम ने बताया कि कानपुर जू में तीन प्रकार के उल्लू मौजूद हैं. इनमें काठ उल्लू, चोटीदार उल्लू और बर्न आउल शामिल है. जू के अंदर भी किसी तरह की समस्या न हो, इसके लिए उल्लू बाड़े की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

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