कानपुर: जिले के बिकरू गांव में पुलिस और विकास दुबे गैंग के बीच हुए मुठभेड़ के बाद कानपुर पुलिस ने विकास दुबे के खजांची कहे जाने वाले व्यापारी जय बाजपेई को गिरफ्तार कर लिया है. तीन दिन पहले एसटीफ ने पूछताछ के बाद जय बाजपेई को कानपुर पुलिस को सुपुर्द कर दिया था. आज देर शाम पुलिस ने जय बाजपेई को छोड़ दिया था, लेकिन उसके बाद उसे दोबारा हिरासत में लिया और फिर गिरफ्तार कर लिया.
हालांकि सोशल मीडिया सहित तमाम स्थापित मीडिया में जय बाजपेई को छोड़े जाने पर कानपुर पुलिस पर सवाल उठने लगे, जिसके बाद पुलिस ने जय बाजपेई को दोबारा हिरासत में ले लिया. पुलिस ने सफाई देते हुए कहा कि जय बाजपेई को छोड़ा नहीं गया था, बल्कि पुलिस जय बाजेपई को लेकर उसको उसके घर दस्तावेजों की छानबीन करने गई थी.
बता दें कि कानपुर मुठभेड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में पड़ी याचिकाओं से सरकार बैकफुट पर आ गई है. यूपी पुलिस और एसटीएफ 15 दिन तक जय बाजपेई को हिरासत में रखने के बाद आनन-फानन में छोड़ने का फैसला किया था. एसटीएफ और कानपुर पुलिस कल तक जय बाजपई को विकास दुबे का खजांची बता रही थी.
जिले में आठ पुलिसकर्मियों के हत्यारे विकास दुबे के साथी रहे जय बाजपेई पर ईडी और टैक्सेशन विभाग की जांच अभी भी चल रही है. विकास दुबे जैसे हार्डकोर क्रिमिनल की अकूत काली कमाई को इन्वेस्ट करने और करोड़ों की मनी-लॉन्ड्रिंग के आरोप उस पर लग चुके हैं. इसके बावजूद कानपुर पुलिस अपराधी विकास दुबे के इस फंड मैनेजर को बाइज्जत उसके घर छोड़ने आई पहुंच गई. चर्चा है कि उसकी काली कमाई को खपाने में एक्सपर्ट हो चुके जय बाजपेई को पीछे से कोई पॉलिटिकल सपोर्ट मिल रहा है. कहा जा रहा है कि पुलिस ने उसको क्लीनचिट दे दी.
कानपुर पुलिस के सबसे बड़े अपराधी के फण्ड मैनेजर को ससम्मान घर तक छोड़ कर आने पर पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने भी घोर आश्चर्य प्रकट किया है. उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से आश्चर्य प्रकट करते हुए लिखा है कि आखिर क्या सोच रही होगी शहीद हुए 8 पुलिस वालों की आत्मा.