कानपुर: महानगर से निकल रहा कूड़ा अब खेतों के लिए उपजाऊ बनेगा. इंडो-जर्मन करार के तहत अब रोजाना शहर में कूड़े से 6 मीट्रिक टन खाद बनाई जाएगी. कई माह पहले ही नगर आयुक्त ने जर्मनी की जीआईजेड परियोजना कंपनी से करार किया था. बुधवार को पनकी स्थित प्लांट की शुरुआत के लिए नगर आयुक्त शिव शरणप्पा जीएन ने अधीनस्थ अफसरों व जीआईजेड कंपनी के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में भूमि पूजन किया. नगर निगम के अफसरों ने बताया इंडो-जर्मन प्रोग्राम के तहत समुद्र में कूड़ा व प्लास्टिक पर लगाम लगाने के लिए कानपुर में जीआईजेड की मदद से प्लांट लगाया जा रहा है.
नगर आयुक्त शिव शरणप्पा जीएन ने बताया कि समुद्री कचरे से निपटने के लिए भारत में कई परियोजनाएं संचालित हैं. जिनका सर्वे किया गया है. उसमें यह बात सामने आई है कि गंगा नदी के जरिए समुद्र तक काफी कचरा पहुंचता है. ऐसे में अब देश में कानपुर, कोच्चि व पोर्ट ब्लेयर शहर को चुना गया है. जहां जीआईजेड प्रोग्राम के तहत सफाई कराई जाएगी. साथ ही एक करोड़ रुपये से यहा प्लांट तैयार किया जाएगा. जिसमें 50 लाख रुपये की मशीनें खरीदी जाएंगी. जो रोजाना शहर में कूड़ा इकट्ठा कर उसे प्लांट पहुंचाएंगी. साथ ही शहर में रोजाना 6 मीट्रिक टन तक खाद तैयार की जाएगी. नगर आयुक्त ने बताया कि पूरा बजट जीआईजेड कंपनी द्वारा खर्च किया जाएगा.
जीआईजेड परियोजना की प्रमुख वैशाली नंदन ने बताया कि मार्च 2023 तक इस प्लांट का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. साथ ही यहां पर पूरा फोकस होगा कि प्लास्टिक व कूड़े से खाद बनाई जाए. उन्होंने बताया कि यहां पर बनी खाद पर्यावरण व खेती के लिए अनुकूल रहेगी. उन्होंने यह भी कहा कि, नगर निगम के माध्यम से किसानों को यह खाद उपलब्ध भी कराई जाएगी.