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कानपुर IIT के सुझाव, नदी किनारे जैविक खेती से जल प्रदूषण पर लगेगा ब्रेक

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में अब नदी किनारे आईआईटी कानपुर जैविक खेती को बढ़ावा देगा. वहीं पांचवें भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन में आईआईटी के प्रोफेसर और कृषि वैज्ञानिकों ने सुझाव दिए हैं.

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आईआईटी कानपुर नदी किनारे करेगा जैविक खेती.
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Published : Dec 16, 2020, 2:48 PM IST

कानपुर: आईआईटी ने जल प्रदूषण को रोकने के लिए लिए एक पहल की है. वहीं आईआईटी के प्रोफेसर और कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि नदियों किनारे जैविक खेती करने से जल प्रदूषण पर ब्रेक लगाया जा सकता है. पांचवें भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन में आईआईटी के प्रोफेसर और कृषि वैज्ञानिकों ने जल प्रदूषण पर अंकुश लगाने के उपाय बताए हैं.

नदियों किनारे जैविक खेती से कम होगा जल प्रदूषण

नदी के प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए नदियों के किनारों जैविक खेती मील का पत्थर साबित हो सकती है. बढ़ते जल प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है. गंगा नदी प्रबंधन एवं अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में भारत जल प्रभाव शिखर का ऑनलाइन सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और आईआईटी के प्रोफेसरों से कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग में अतिरिक्त सचिव डॉ. अलका भार्गव ने जल प्रदूषण के विषय पर बात की.

डॉ. नीलम पटेल और नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार ने पोषण सुरक्षा के स्थान पर फसल विविधिकरण पर जोर दिया. उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2018 के बाद से नीति आयोग प्राकृतिक खेती और फसल नुकसान को कम करने के लिए सामुदायिक खेती की संपत्ति विकसित करने की सिफारिश कर रहा है.

कानपुर: आईआईटी ने जल प्रदूषण को रोकने के लिए लिए एक पहल की है. वहीं आईआईटी के प्रोफेसर और कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि नदियों किनारे जैविक खेती करने से जल प्रदूषण पर ब्रेक लगाया जा सकता है. पांचवें भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन में आईआईटी के प्रोफेसर और कृषि वैज्ञानिकों ने जल प्रदूषण पर अंकुश लगाने के उपाय बताए हैं.

नदियों किनारे जैविक खेती से कम होगा जल प्रदूषण

नदी के प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए नदियों के किनारों जैविक खेती मील का पत्थर साबित हो सकती है. बढ़ते जल प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है. गंगा नदी प्रबंधन एवं अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में भारत जल प्रभाव शिखर का ऑनलाइन सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और आईआईटी के प्रोफेसरों से कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग में अतिरिक्त सचिव डॉ. अलका भार्गव ने जल प्रदूषण के विषय पर बात की.

डॉ. नीलम पटेल और नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार ने पोषण सुरक्षा के स्थान पर फसल विविधिकरण पर जोर दिया. उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2018 के बाद से नीति आयोग प्राकृतिक खेती और फसल नुकसान को कम करने के लिए सामुदायिक खेती की संपत्ति विकसित करने की सिफारिश कर रहा है.

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