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अब फैक्ट्री में श्रमिकों को धूल और धुएं से मिलेगी राहत, दूषित वातारण को शुद्ध करेगी ये मशीन - dust fume guard

आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र ने औद्योगिक इकाइयों में काम कर रहे श्रमिकों को धूल, धुएं और कार्बन उत्सर्जन से बचाने के लिए एक डस्टफ्यूम गार्ड को बनाया है. इसकी मदद से दूषित वातावरण को पल भर में पूरी तरह से शुद्ध किया जा सकेगा.

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डस्टफ्यूम गार्ड
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Published : Apr 1, 2023, 3:52 PM IST

इसकी मदद से औद्योगिक इकाइयों का दूषित वातावरण पूरी तरह से शुद्ध हो जाएगा.

कानपुर: अक्सर ही यह देखने और सुनने को मिलता है कि औद्योगिक इकाइयों, कारखानों में काम करने वाले श्रमिक धूल, धुएं और कार्बन उत्सर्जन की चपेट में आकर या तो जान गवां देते हैं, या इतना अधिक बीमार हो जाते हैं कि परिवार के अन्य सदस्यों का जीवन उनकी देखरेख में बीत जाता है. ऐसे में इकाई संचालकों पर कभी कार्रवाई होती है तो कभी लाचार सिस्टम से वह बच जाते हैं, लेकिन अब आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र ने इस समस्या का समाधान ढूंढ निकाला है.

बता दें कि आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र व इंक्यूबेटेड कंपनी ई स्पिन नैनोटेक प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक डॉ. संदीप पाटिल व उनकी टीम ने एक ऐसा डस्टफ्यूम गार्ड (एक तरह की स्प्रे मशीन) तैयार की है. इसकी मदद से औद्योगिक इकाइयों का दूषित वातावरण पूरी तरह से शुद्ध हो जाएगा. ऐसे में श्रमिक सुरक्षित होकर वहां काम कर सकेंगे और वर्षों तक उनके फेफड़े नहीं खराब होंगे.

मशीन की खासियतः
आईआईटी के पूर्व छात्र व ई स्पिन नैनोटेक प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर डॉ. संदीप पाटिल (स्वासा मास्क तैयार करने वाले) ने बताया उनकी कंपनी हमेशा से ही नैनोफाइबर पर काम करती है. इसलिए इस डस्टफ्यूम गार्ड में नैनोफाइबर से बना हुआ मेम्ब्रेन लगा हुआ है, जिसमें फेडरेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग भी किया गया है. उन्होंने कहा कि इस डस्टफ्यूम गार्ड को बनाने से पहले कई माह तक औद्योगिक इकाइयों में जाकर सर्वे किया.

बुनियादी तौर पर जरूरत को समझा, फिर निष्कर्ष निकाला और डस्टफ्यूम गार्ड बना दिया. उन्होंने बताया कि इससे संचालकों को यह फायदा होगा कि उन्हें किसी श्रमिक को लेकर किसी तरह का तनाव नहीं लेना होगा. वहीं, जब श्रमिक फिट रहेंगे तो लाजिमी है कि वह इकाई में बेहतर ढंग से अच्छे माहौल के बीच काम कर सकेंगे. श्रमिकों का यह डर खत्म हो जाएगा, कि वहां का कार्बन उन्हें नुकसान कर सकता है.

डस्टफ्यूम गार्ड कैसे काम करता है?
डॉ. संदीप पाटिल का कहना है कि डस्टफ्यूम गार्ड एक ऐसा सिस्टम है, जिसका उपयोग हमें उस स्थान पर करना होगा, जहां धूल के कण दिख रहे हैं. धुआं नजर आ रहा है या जहां कार्बन जम गया है. उन्होंने बताया कि इसका सिस्टम हवा को नैनोफाइबर मेंब्रेन में ले जाकर उस हवा को शुद्ध करके फिर से उसी वातावरण में आपको शुद्ध हवा देगा और जो भी धूल के कण या प्रदूषण कारक तत्व निकलेंगे, वह एक स्थान पर जमा हो जाएंगे.

डॉ. संदीप ने बताया कि मार्केट में 15 दिनों के अंदर यह स्प्रे मशीन लांच जाएगी. बाजार में आने के बाद यह डस्टफ्यूम गार्ड लोगों को लगभग 2 लाख से 2.50 लाख रुपये के बीच में उपलब्ध होगा. इस डस्टफ्यूम गार्ड का उपयोग पेंट, स्टील, आयरन समेत अन्य औद्योगिक इकाईयों में किया जा सकता है.

पढ़ेंः अब होटल में हाइजीन रेटिंग देखकर करिए ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर

इसकी मदद से औद्योगिक इकाइयों का दूषित वातावरण पूरी तरह से शुद्ध हो जाएगा.

कानपुर: अक्सर ही यह देखने और सुनने को मिलता है कि औद्योगिक इकाइयों, कारखानों में काम करने वाले श्रमिक धूल, धुएं और कार्बन उत्सर्जन की चपेट में आकर या तो जान गवां देते हैं, या इतना अधिक बीमार हो जाते हैं कि परिवार के अन्य सदस्यों का जीवन उनकी देखरेख में बीत जाता है. ऐसे में इकाई संचालकों पर कभी कार्रवाई होती है तो कभी लाचार सिस्टम से वह बच जाते हैं, लेकिन अब आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र ने इस समस्या का समाधान ढूंढ निकाला है.

बता दें कि आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र व इंक्यूबेटेड कंपनी ई स्पिन नैनोटेक प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक डॉ. संदीप पाटिल व उनकी टीम ने एक ऐसा डस्टफ्यूम गार्ड (एक तरह की स्प्रे मशीन) तैयार की है. इसकी मदद से औद्योगिक इकाइयों का दूषित वातावरण पूरी तरह से शुद्ध हो जाएगा. ऐसे में श्रमिक सुरक्षित होकर वहां काम कर सकेंगे और वर्षों तक उनके फेफड़े नहीं खराब होंगे.

मशीन की खासियतः
आईआईटी के पूर्व छात्र व ई स्पिन नैनोटेक प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर डॉ. संदीप पाटिल (स्वासा मास्क तैयार करने वाले) ने बताया उनकी कंपनी हमेशा से ही नैनोफाइबर पर काम करती है. इसलिए इस डस्टफ्यूम गार्ड में नैनोफाइबर से बना हुआ मेम्ब्रेन लगा हुआ है, जिसमें फेडरेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग भी किया गया है. उन्होंने कहा कि इस डस्टफ्यूम गार्ड को बनाने से पहले कई माह तक औद्योगिक इकाइयों में जाकर सर्वे किया.

बुनियादी तौर पर जरूरत को समझा, फिर निष्कर्ष निकाला और डस्टफ्यूम गार्ड बना दिया. उन्होंने बताया कि इससे संचालकों को यह फायदा होगा कि उन्हें किसी श्रमिक को लेकर किसी तरह का तनाव नहीं लेना होगा. वहीं, जब श्रमिक फिट रहेंगे तो लाजिमी है कि वह इकाई में बेहतर ढंग से अच्छे माहौल के बीच काम कर सकेंगे. श्रमिकों का यह डर खत्म हो जाएगा, कि वहां का कार्बन उन्हें नुकसान कर सकता है.

डस्टफ्यूम गार्ड कैसे काम करता है?
डॉ. संदीप पाटिल का कहना है कि डस्टफ्यूम गार्ड एक ऐसा सिस्टम है, जिसका उपयोग हमें उस स्थान पर करना होगा, जहां धूल के कण दिख रहे हैं. धुआं नजर आ रहा है या जहां कार्बन जम गया है. उन्होंने बताया कि इसका सिस्टम हवा को नैनोफाइबर मेंब्रेन में ले जाकर उस हवा को शुद्ध करके फिर से उसी वातावरण में आपको शुद्ध हवा देगा और जो भी धूल के कण या प्रदूषण कारक तत्व निकलेंगे, वह एक स्थान पर जमा हो जाएंगे.

डॉ. संदीप ने बताया कि मार्केट में 15 दिनों के अंदर यह स्प्रे मशीन लांच जाएगी. बाजार में आने के बाद यह डस्टफ्यूम गार्ड लोगों को लगभग 2 लाख से 2.50 लाख रुपये के बीच में उपलब्ध होगा. इस डस्टफ्यूम गार्ड का उपयोग पेंट, स्टील, आयरन समेत अन्य औद्योगिक इकाईयों में किया जा सकता है.

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