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कानपुर के इसी कॉलेज ने अटल जी को सिखाया था राजनीति का ककहरा

कानपुर के डीएवी कॉलेज से देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी ने पढ़ाई की थी. उन्होंने अपने कॉलेज में प्रथम स्थान प्राप्त करके कॉलेज का नाम रोशन किया था. जिस कमरे में उन्होंने पढ़ाई की थी उसको संरक्षित किया गया था. इस कमरे को अटल बिहारी बाजपेयी की याद में उनके शोध केंद्र के रूप में सरकार द्वारा विकसित किया जाना है.

देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी
देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी
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Published : Dec 25, 2020, 12:32 AM IST

कानपुर: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कानपुर से गहरा नाता है. कानपुर के डीएवी कॉलेज के राजनीति शास्त्र विभाग से उन्होंने राजनीति के दांव पेंच सीखे थे. यहां उन्होंने अपने छात्रजीवन के तीन साल गुजारे थे. अटल बिहार वाजपेयी ने राजनीति शास्त्र से एमए किया और वह इस कॉलेज के टॉपर रहे. डीएवी कॉलेज के राजनीति शास्त्र विभाग के बोर्ड पर आज भी अटल जी का नाम अंकित है. उनकी कक्षाएं कमरा नंबर 20 और 21 में लगा करती थीं.

कानपुर के डीएवी कॉलेज में जुड़े थे संघ से
अटल बिहारी बाजपेयी ने 1945 में डीएवी कॉलेज में एडमिशन लिया. जिसके बाद वह धीरे धीरे संघ से जुड़ने लगे और धनकुट्टी शाखा जाने लगे. 1947-1948 के बीच वह संघ के प्रचारक बन गए और देश की सेवा करनी शुरू कर दी. फिर अंतिम दम तक उन्होंने देश की सेवा की.

पिता और पुत्र एक ही क्लास में थे सहपाठी
अटल बिहारी वाजपेई जब ग्वालियर से कानपुर पढ़ने आये थे तब उनके साथ उनके पिताजी कृष्ण बिहारी लाल बाजपेयी भी चले आए थे. उन्होंने यहां से कानून की पढ़ाई की और अटल जी पॉलिटिकल साइंस और कानून दोनों की पढ़ाई कर रहे थे. जानकारों के मुताबिक जब वह यहां पढ़ने आए तो लोग के लिए यह कौतूहल का विषय था कि पिता और पुत्र एक साथ पढ़ते हैं. जब वह प्रिंसिपल से मिलने पहुंचे तो वो भी हैरान थे कि अटल जी के पिताजी भी पढ़ना चाहते हैं. जिसके बाद दोनों एक ही कमरे में रहा करते थे और एक ही क्लास में पढ़ते थे. कई बार अध्यापक मजाक उड़ाते हुए पिताजी के न आने पर अटल जी से और उनके न आने पर पिताजी से पूछते थे.

कानपुर का डीएवी कॉलेज.

बाद में बदल लिया सेक्शन
डीएवी कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस की विभागाध्यक्ष डॉ. दीपशिखा चतुर्वेदी बताती हैं कि अटल जी शुरुआत में तो अपने पिताजी के साथ पढ़ते थे, लेकिन बाद में अपने पिताजी से आपसी सहमति बाद उन्होंने अपना सेक्शन बदलवा लिया था. फिर वह कमरा नंबर 20 से कमरा नंबर 21 में पढ़ने चले गए थे, जहां से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की.

मेरिट लिस्ट में आज भी दर्ज है नाम
डॉ. दीपशिखा चतुर्वेदी बताती हैं कि अटल बिहारी वाजपेई जब यहां पढ़ने आए थे तो वह शुरुआत से ही मेधावी छात्र थे और उनकी प्रतिभा उनके गुरु जन भी मानते थे. वहीं जब अटल जी की परीक्षा के परिणाम आए तो उन्होंने पूरे कॉलेज में प्रथम स्थान प्राप्त किया और पूरी यूनिवर्सिटी में द्वितीय स्थान प्राप्त करके कॉलेज का नहीं पूरे कानपुर जनपद का भी नाम रोशन किया था. उस समय सारे कॉलेज आगरा यूनिवर्सिटी से संबद्ध हुआ करते थे. उन्होंने बताया कि आज भी मेरिट लिस्ट में अटल बिहारी बाजपेयी का नाम अंकित है, जो विभाग में लगी हुई है.

जिस कमरे की पढ़ाई वहां बन रहा शोध केंद्र
डॉ. दीपशिखा चतुर्वेदी ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेई ने अपनी पढ़ाई कॉलेज के कमरा नंबर 20 और 21 में पूरी की थी. उनके जाने के बाद इस कमरे को संरक्षित कर दिया गया था. अब कमरा नंबर 21 को अटल बिहारी वाजपेई की याद में उनके शोध केंद्र के रूप में सरकार द्वारा विकसित किया जाना है. जिसमें अटल जी से जुड़े उनके भाषणों की प्रतियां समेत सभी कुछ होगा. जिससे कि आने वाली पीढ़ी जाने कि ऐसे महान व्यक्तित्व ने इस कॉलेज और इस कमरे में पढ़ाई की थी.

कानपुर: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कानपुर से गहरा नाता है. कानपुर के डीएवी कॉलेज के राजनीति शास्त्र विभाग से उन्होंने राजनीति के दांव पेंच सीखे थे. यहां उन्होंने अपने छात्रजीवन के तीन साल गुजारे थे. अटल बिहार वाजपेयी ने राजनीति शास्त्र से एमए किया और वह इस कॉलेज के टॉपर रहे. डीएवी कॉलेज के राजनीति शास्त्र विभाग के बोर्ड पर आज भी अटल जी का नाम अंकित है. उनकी कक्षाएं कमरा नंबर 20 और 21 में लगा करती थीं.

कानपुर के डीएवी कॉलेज में जुड़े थे संघ से
अटल बिहारी बाजपेयी ने 1945 में डीएवी कॉलेज में एडमिशन लिया. जिसके बाद वह धीरे धीरे संघ से जुड़ने लगे और धनकुट्टी शाखा जाने लगे. 1947-1948 के बीच वह संघ के प्रचारक बन गए और देश की सेवा करनी शुरू कर दी. फिर अंतिम दम तक उन्होंने देश की सेवा की.

पिता और पुत्र एक ही क्लास में थे सहपाठी
अटल बिहारी वाजपेई जब ग्वालियर से कानपुर पढ़ने आये थे तब उनके साथ उनके पिताजी कृष्ण बिहारी लाल बाजपेयी भी चले आए थे. उन्होंने यहां से कानून की पढ़ाई की और अटल जी पॉलिटिकल साइंस और कानून दोनों की पढ़ाई कर रहे थे. जानकारों के मुताबिक जब वह यहां पढ़ने आए तो लोग के लिए यह कौतूहल का विषय था कि पिता और पुत्र एक साथ पढ़ते हैं. जब वह प्रिंसिपल से मिलने पहुंचे तो वो भी हैरान थे कि अटल जी के पिताजी भी पढ़ना चाहते हैं. जिसके बाद दोनों एक ही कमरे में रहा करते थे और एक ही क्लास में पढ़ते थे. कई बार अध्यापक मजाक उड़ाते हुए पिताजी के न आने पर अटल जी से और उनके न आने पर पिताजी से पूछते थे.

कानपुर का डीएवी कॉलेज.

बाद में बदल लिया सेक्शन
डीएवी कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस की विभागाध्यक्ष डॉ. दीपशिखा चतुर्वेदी बताती हैं कि अटल जी शुरुआत में तो अपने पिताजी के साथ पढ़ते थे, लेकिन बाद में अपने पिताजी से आपसी सहमति बाद उन्होंने अपना सेक्शन बदलवा लिया था. फिर वह कमरा नंबर 20 से कमरा नंबर 21 में पढ़ने चले गए थे, जहां से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की.

मेरिट लिस्ट में आज भी दर्ज है नाम
डॉ. दीपशिखा चतुर्वेदी बताती हैं कि अटल बिहारी वाजपेई जब यहां पढ़ने आए थे तो वह शुरुआत से ही मेधावी छात्र थे और उनकी प्रतिभा उनके गुरु जन भी मानते थे. वहीं जब अटल जी की परीक्षा के परिणाम आए तो उन्होंने पूरे कॉलेज में प्रथम स्थान प्राप्त किया और पूरी यूनिवर्सिटी में द्वितीय स्थान प्राप्त करके कॉलेज का नहीं पूरे कानपुर जनपद का भी नाम रोशन किया था. उस समय सारे कॉलेज आगरा यूनिवर्सिटी से संबद्ध हुआ करते थे. उन्होंने बताया कि आज भी मेरिट लिस्ट में अटल बिहारी बाजपेयी का नाम अंकित है, जो विभाग में लगी हुई है.

जिस कमरे की पढ़ाई वहां बन रहा शोध केंद्र
डॉ. दीपशिखा चतुर्वेदी ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेई ने अपनी पढ़ाई कॉलेज के कमरा नंबर 20 और 21 में पूरी की थी. उनके जाने के बाद इस कमरे को संरक्षित कर दिया गया था. अब कमरा नंबर 21 को अटल बिहारी वाजपेई की याद में उनके शोध केंद्र के रूप में सरकार द्वारा विकसित किया जाना है. जिसमें अटल जी से जुड़े उनके भाषणों की प्रतियां समेत सभी कुछ होगा. जिससे कि आने वाली पीढ़ी जाने कि ऐसे महान व्यक्तित्व ने इस कॉलेज और इस कमरे में पढ़ाई की थी.

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