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IIT Kanpur: विशेषज्ञों ने खोजा C5A & R2 प्रोटीन रिसेप्टर, अब आसान होगा शरीर के अंदरूनी सूजन का इलाज

आणविक और कोशिका जीवविज्ञान पर समीक्षा करने वाली अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिका 'मॉलिक्यूलर सेल' में प्रकाशित शोधपत्र में प्रोटीन रिसेप्टर C5a और R2 पर नई रोशनी डाली गई है.

IIT Kanpur: विशेषज्ञों ने खोजा C5A & R2 प्रोटीन रिसेप्टर, अब आसान होगा शरीर के अंदरूनी सूजन का इलाज
IIT Kanpur: विशेषज्ञों ने खोजा C5A & R2 प्रोटीन रिसेप्टर, अब आसान होगा शरीर के अंदरूनी सूजन का इलाज
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Published : Oct 2, 2021, 10:54 PM IST

Updated : Oct 2, 2021, 11:01 PM IST

कानपुर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT-K) और द यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड (UQ) की संयुक्त शोधटीम ने शरीर के अंदरूनी हिस्सों में होने वाले सूजन के इलाज के संबंध में एक महत्वपूर्ण शोध किया है. आणविक और कोशिका जीवविज्ञान पर समीक्षा करने वाली अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिका 'मॉलिक्यूलर सेल' में प्रकाशित शोधपत्र में प्रोटीन रिसेप्टर C5a और R2 पर नई रोशनी डाली गई है.

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए नामित आइआइटी के बायोलाजिकल साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अरुण शुक्ला व उनकी टीम की इस खोज से शरीर के अंदरूनी सूजन का इलाज अब आसान हो गया है. उन्होंने कोशिकाओं में C5a और R2 प्रोटीन रिसेप्टर के कार्य, एक्टिव होने व सिग्नलिंग करने के तरीके पर शोध किया है.

शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल मालीक्युलर सेल में प्रकाशित किया गया है. निदेशक प्रो. अभय करंदीकर समेत अन्य फैकल्टी ने टीम को बधाई दी है. प्रो. शुक्ला ने यूनिवर्सिटी आफ क्वींसलैंड, आस्ट्रेलिया के सहयोग से शोध किया. उनकी टीम में जापान के तोहोकू यूनिवर्सिटी के असुका इनौ और कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के स्टीफन ए लापोर्टे शामिल रहे.

विशेषज्ञों ने खोजा C5A & R2 प्रोटीन रिसेप्टर, अब आसान होगा शरीर के अंदरूनी सूजन का इलाज
विशेषज्ञों ने खोजा C5A & R2 प्रोटीन रिसेप्टर, अब आसान होगा शरीर के अंदरूनी सूजन का इलाज

यह भी पढ़ें : डेंगू ने पसारे पांव, कानपुर के जिला अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़

इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रो. शुक्ला ने बताया कि सी5ए आर 2 की सिग्नलिंग को कई तरह के रोगों की पुष्टि के लिए देखा जाता था. सी5ए आर 2 प्रोटीन रिसेप्टर को अब तक निष्क्रिय माना जाता था. शोध में उसके सक्रिय होने का पता चला. कोरोना संक्रमण में जब रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत तेजी से कार्य करने लगती है.

उस समय साइटोकाइन स्टार्म की समस्या हो जाती है. इस स्थिति में रोगी के फेफड़े में सूजन आ जाती है और ऑक्सीजन कम होती चली जाती है. सी5ए आर 2 प्रोटीन रिसेप्टर इस स्थिति में सक्रिय रहता है. सूजन की समस्या लिवर, दिल, गुर्दे, गठिया में भी हो जाती है.

बताया कि शोध के निष्कर्ष सूजन की नई दवाओं के विकास और शोध में मददगार साबित होंगे. C5a एक शक्तिशाली प्रतिरक्षा अणु है जो कैंसर, रूमेटोइड गठिया, सेप्सिस और यहां तक कि कोविड-19 जैसे कई प्रतिरक्षा से जुड़े सूजन संबंधी बीमारियों से जुड़ा हुआ है.

प्रो. अभय करंदीकर, निदेशक आईआईटी कानपुर ने बताया कि इस महत्वपूर्ण शोधपत्र का प्रकाशन जीव विज्ञान में चुनौतीपूर्ण अनुसंधान करने के लिए आईआईटी कानपुर की क्षमताओं का प्रमाण है. कहा कि हम आशान्वित हैं कि इन निष्कर्षों से पुरानी इंफ्लेमेटरी संबंधी बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में नई रोशनी मिलेगी.

कानपुर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT-K) और द यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड (UQ) की संयुक्त शोधटीम ने शरीर के अंदरूनी हिस्सों में होने वाले सूजन के इलाज के संबंध में एक महत्वपूर्ण शोध किया है. आणविक और कोशिका जीवविज्ञान पर समीक्षा करने वाली अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिका 'मॉलिक्यूलर सेल' में प्रकाशित शोधपत्र में प्रोटीन रिसेप्टर C5a और R2 पर नई रोशनी डाली गई है.

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए नामित आइआइटी के बायोलाजिकल साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अरुण शुक्ला व उनकी टीम की इस खोज से शरीर के अंदरूनी सूजन का इलाज अब आसान हो गया है. उन्होंने कोशिकाओं में C5a और R2 प्रोटीन रिसेप्टर के कार्य, एक्टिव होने व सिग्नलिंग करने के तरीके पर शोध किया है.

शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल मालीक्युलर सेल में प्रकाशित किया गया है. निदेशक प्रो. अभय करंदीकर समेत अन्य फैकल्टी ने टीम को बधाई दी है. प्रो. शुक्ला ने यूनिवर्सिटी आफ क्वींसलैंड, आस्ट्रेलिया के सहयोग से शोध किया. उनकी टीम में जापान के तोहोकू यूनिवर्सिटी के असुका इनौ और कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के स्टीफन ए लापोर्टे शामिल रहे.

विशेषज्ञों ने खोजा C5A & R2 प्रोटीन रिसेप्टर, अब आसान होगा शरीर के अंदरूनी सूजन का इलाज
विशेषज्ञों ने खोजा C5A & R2 प्रोटीन रिसेप्टर, अब आसान होगा शरीर के अंदरूनी सूजन का इलाज

यह भी पढ़ें : डेंगू ने पसारे पांव, कानपुर के जिला अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़

इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रो. शुक्ला ने बताया कि सी5ए आर 2 की सिग्नलिंग को कई तरह के रोगों की पुष्टि के लिए देखा जाता था. सी5ए आर 2 प्रोटीन रिसेप्टर को अब तक निष्क्रिय माना जाता था. शोध में उसके सक्रिय होने का पता चला. कोरोना संक्रमण में जब रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत तेजी से कार्य करने लगती है.

उस समय साइटोकाइन स्टार्म की समस्या हो जाती है. इस स्थिति में रोगी के फेफड़े में सूजन आ जाती है और ऑक्सीजन कम होती चली जाती है. सी5ए आर 2 प्रोटीन रिसेप्टर इस स्थिति में सक्रिय रहता है. सूजन की समस्या लिवर, दिल, गुर्दे, गठिया में भी हो जाती है.

बताया कि शोध के निष्कर्ष सूजन की नई दवाओं के विकास और शोध में मददगार साबित होंगे. C5a एक शक्तिशाली प्रतिरक्षा अणु है जो कैंसर, रूमेटोइड गठिया, सेप्सिस और यहां तक कि कोविड-19 जैसे कई प्रतिरक्षा से जुड़े सूजन संबंधी बीमारियों से जुड़ा हुआ है.

प्रो. अभय करंदीकर, निदेशक आईआईटी कानपुर ने बताया कि इस महत्वपूर्ण शोधपत्र का प्रकाशन जीव विज्ञान में चुनौतीपूर्ण अनुसंधान करने के लिए आईआईटी कानपुर की क्षमताओं का प्रमाण है. कहा कि हम आशान्वित हैं कि इन निष्कर्षों से पुरानी इंफ्लेमेटरी संबंधी बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में नई रोशनी मिलेगी.

Last Updated : Oct 2, 2021, 11:01 PM IST
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