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मोबाइल-लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल बना रहा बीमार - बच्चों और युवाओं में टेस्ट नेक सिंड्रोम बीमारी का खतरा

मोबाइल और लैपटॉप का अधिक इस्तेमाल बढ़ने से युवा और बच्चे टेक्सट नेक सिंड्रोम नामक बीमारी के शिकार हो रहे हैं. इस तरह के मरीज जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में पहुंच रहे हैं. ओपीडी में पहुंच रहे मरीजों में पीठ में लगातार दर्द और हाथ सुन्न होने की शिकायत अधिक रहती है.

कानपुर मेडिकल कॉलेज.
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Published : Nov 26, 2020, 12:15 PM IST

Updated : Nov 26, 2020, 1:11 PM IST

कानपुरः डिजिटल युग में मोबाइल का अधिक इस्तेमाल युवाओं से लेकर बच्चों तक को बीमार कर रहा है. मोबाइल और लैपटॉप का अधिक इस्तेमाल बढ़ने से युवा और बच्चे टेक्सट नेक सिंड्रोम नामक बीमारी के शिकार हो रहे हैं. इस बीमारी से ग्रसित लोगों में रीढ़ की हड्डी में उभार के साथ दर्द की भी शिकायत सामने आ रही है.

मोबाइल और लैपटॉप के अधिक इस्तेमाल से बीमारियों का खतरा.

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉ. प्रग्नेश कुमार का कहना है कि ओपीडी में अब ऐसे मरीज ज्यादा आ रहे हैं, जिनमें पीठ में लगातार दर्द और हाथ सुन्न होने की शिकायत है. इन सबकी वजह सबसे ज्यादा एक ही पॉश्चर में गैजेट का अधिक उपयोग करना है. डॉ प्रग्नेश ने बताया कि अभी लैपटॉप और मोबाइल के लगातार बढ़ते यूज को 5 से 6 साल हुए हैं. इसलिए अभी तो बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता कि इसके क्या दुष्परिणाम होंगे. लेकिन आने वाले समय में अगर इसके यूज़ टाइम में कमी नहीं आयी तो कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

शुरुआत में होती है यह तकलीफ
डॉ. प्रग्नेश कुमार ने बताया कि टेक्स्ट नेक सिंड्रोम में गर्दन का झुकाव लगातार आगे की ओर होने से रीढ़ की हड्डी में उभार आ जाता है. इसी के साथ सिर दर्द, कंधे दर्द जैसी तकलीफ लगातार बनी रहती है. कई बार पीठ में स्थायी दर्द बना रहता है और ज्यादातर में तो गर्दन की मसल्स में अकड़न संग दर्द और हाथ सुन्न तक होने लगते हैं.

हैप्पी हॉर्मोन का सीक्रेशन हो जाता है बंद
डॉ. प्रग्नेश ने बताया कि गर्दन के एक ही दिशा में बराबर झुके रहने से मरीज को पता नहीं चलता है कि मसल्स क्षतिग्रस्त हो रही है. नजर अंदाज करने से स्पांडिलाइसिस भी हो सकता है. मोबाइल पर लगातार यूज से दिल की धड़कनों और ब्लड प्रेशर पर भी प्रभाव पड़ता है. इससे आगे चलकर कई बार हैप्पी हॉर्मोन का सीक्रेशन बंद होने तक की नौबत आ जाती है.

एंगल बदलते ही सिर पर आ जाता है इतना वजन
0 डिग्री- 5 किलो
15 डिग्री- 12.24 किलो
30 डिग्री- 18 किलो
45 डिग्री- 22 किलो
60 डिग्री- 27 किलो

इस तरह करें बचाव
डॉ. प्रग्नेश कुमार ने बताया कि पहले तो मोबाइल, लैपटॉप और टेबलेट का यूज़ कम करें. उन्होंने बताया कि मोबाइल, लैपटॉप और टेबलेट का यूज़ करते वक्त मसल पेन हों तो स्थिति बदलें और काम करते समय बीच में ब्रेक लेते रहें. लगातार टाइपिंग करने से बचें. एक हाथ में बराबर मोबाइल न लिए रहे. पेन किलर बिना डॉक्टर की सलाह के न लें.

बचपन और जवानी का स्टोर कैल्शियम बुढ़ापे में आता है काम
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय ने बताया कि बच्चों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी और कैल्शियम वाले आहार भरपूर मात्रा में लेने चाहिए. क्योंकि बचपन और जवानी का स्टोर कैल्शियम बुढ़ापे में काम आता है. उन लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है जो डायबिटीज, सांस की बीमारी और मानसिक बीमारी में लंबे समय तक चलने वाली कुछ स्टेरॉयड दवाओं का सेवन करते हैं.

कानपुरः डिजिटल युग में मोबाइल का अधिक इस्तेमाल युवाओं से लेकर बच्चों तक को बीमार कर रहा है. मोबाइल और लैपटॉप का अधिक इस्तेमाल बढ़ने से युवा और बच्चे टेक्सट नेक सिंड्रोम नामक बीमारी के शिकार हो रहे हैं. इस बीमारी से ग्रसित लोगों में रीढ़ की हड्डी में उभार के साथ दर्द की भी शिकायत सामने आ रही है.

मोबाइल और लैपटॉप के अधिक इस्तेमाल से बीमारियों का खतरा.

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉ. प्रग्नेश कुमार का कहना है कि ओपीडी में अब ऐसे मरीज ज्यादा आ रहे हैं, जिनमें पीठ में लगातार दर्द और हाथ सुन्न होने की शिकायत है. इन सबकी वजह सबसे ज्यादा एक ही पॉश्चर में गैजेट का अधिक उपयोग करना है. डॉ प्रग्नेश ने बताया कि अभी लैपटॉप और मोबाइल के लगातार बढ़ते यूज को 5 से 6 साल हुए हैं. इसलिए अभी तो बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता कि इसके क्या दुष्परिणाम होंगे. लेकिन आने वाले समय में अगर इसके यूज़ टाइम में कमी नहीं आयी तो कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

शुरुआत में होती है यह तकलीफ
डॉ. प्रग्नेश कुमार ने बताया कि टेक्स्ट नेक सिंड्रोम में गर्दन का झुकाव लगातार आगे की ओर होने से रीढ़ की हड्डी में उभार आ जाता है. इसी के साथ सिर दर्द, कंधे दर्द जैसी तकलीफ लगातार बनी रहती है. कई बार पीठ में स्थायी दर्द बना रहता है और ज्यादातर में तो गर्दन की मसल्स में अकड़न संग दर्द और हाथ सुन्न तक होने लगते हैं.

हैप्पी हॉर्मोन का सीक्रेशन हो जाता है बंद
डॉ. प्रग्नेश ने बताया कि गर्दन के एक ही दिशा में बराबर झुके रहने से मरीज को पता नहीं चलता है कि मसल्स क्षतिग्रस्त हो रही है. नजर अंदाज करने से स्पांडिलाइसिस भी हो सकता है. मोबाइल पर लगातार यूज से दिल की धड़कनों और ब्लड प्रेशर पर भी प्रभाव पड़ता है. इससे आगे चलकर कई बार हैप्पी हॉर्मोन का सीक्रेशन बंद होने तक की नौबत आ जाती है.

एंगल बदलते ही सिर पर आ जाता है इतना वजन
0 डिग्री- 5 किलो
15 डिग्री- 12.24 किलो
30 डिग्री- 18 किलो
45 डिग्री- 22 किलो
60 डिग्री- 27 किलो

इस तरह करें बचाव
डॉ. प्रग्नेश कुमार ने बताया कि पहले तो मोबाइल, लैपटॉप और टेबलेट का यूज़ कम करें. उन्होंने बताया कि मोबाइल, लैपटॉप और टेबलेट का यूज़ करते वक्त मसल पेन हों तो स्थिति बदलें और काम करते समय बीच में ब्रेक लेते रहें. लगातार टाइपिंग करने से बचें. एक हाथ में बराबर मोबाइल न लिए रहे. पेन किलर बिना डॉक्टर की सलाह के न लें.

बचपन और जवानी का स्टोर कैल्शियम बुढ़ापे में आता है काम
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय ने बताया कि बच्चों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी और कैल्शियम वाले आहार भरपूर मात्रा में लेने चाहिए. क्योंकि बचपन और जवानी का स्टोर कैल्शियम बुढ़ापे में काम आता है. उन लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है जो डायबिटीज, सांस की बीमारी और मानसिक बीमारी में लंबे समय तक चलने वाली कुछ स्टेरॉयड दवाओं का सेवन करते हैं.

Last Updated : Nov 26, 2020, 1:11 PM IST
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