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वाह! गांधीजी का चरखा सिखाएगा बिजली बनाना, चार्ज करेगा मोबाइल...पढ़िए पूरी खबर

देश में अब तेजी से नवाचार हो रहे हैं. आए दिन नए-नए अविष्कार हो रहे हैं. इसी कड़ी में कानपुर के एक छात्र ने तैयार किया है एक खास किस्म का चरखा. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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वाह! गांधीजी के चरखे से अब मोबाइल भी चार्ज हो सकेगा...पढ़िए पूरी खबर
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Published : Jan 30, 2022, 3:38 PM IST

कानपुर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (mahatma gandhi) का चरखा (spinning wheel) अब सूत कातने तक ही सीमित नहीं रहा. इस चरखे की उपयोगिता अब काफी बढ़ गई है. इस बहुउपयोगी बनाने में सफलता पाई है जय नारायण विद्या मंदिर इंटर कालेज के 11वीं के छात्र राघवेंद्र मिश्रा ने. उन्होंने इसका नाम ई चरखा रखा है.

छात्र राघवेंद्र मिश्रा ने बताया कि यह ई चरखा खासकर 9वीं और 12वीं के छात्रों के लिए तैयार किया है. अभी तक उनको यह नहीं पता चल पाता था कि आखिर बिजली किस तरह से तैयार होती है. किताबों में पढ़ी हुई चीजों पर प्रयोग करने का कोई जरिया ही नहीं था. ऐसे में सोचा कि क्यों न इनके लिए कुछ ऐसा तैयार किया जाए जो इनके लिए मददगार हो. इसके बाद ही मैं इसे बनाने में लग गया. इसे तैयार करने में मैंने गांधी जी के चरखे को मॉडल के रूप में अपनाया. इसके बाद इस चरखे को विकसित करना शुरू कर दिया. काफी मशक्कत के बाद यह ई चरखा तैयार हो गया.

ई चरखा इस तरह से करता है काम.

उन्होंने बताया कि इस ई चरखे को घुमाने भर से बिजली तैयार होने लगेगी. इससे मोबाइल को आसानी से चार्ज किया जा सकेगा. इसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन तकनीक से तैयार किया गया है. राघवेंद्र ने विकास नगर स्थित टिंकर इंडिया लैब में इसे तैयार किया है.

ऐसे करता है काम
राघवेंद्र ने बताया कि जैसे डैम में पानी ऊपर से नीचे गिरता है और फिर मैग्नेट के बीच में रखीं क्वायल्स घूमतीं और बिजली बनती है, ठीक वैसे ही इस इलेक्ट्रिसिटी चरखा को हमें हाथ से घुमाना होता है. औसतन दो से पांच मिनट तक घुमाने पर पांच वोल्ट तक बिजली बन जाती है. इससे लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक मोबाइल की बैट्री को चार्ज किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस इलेक्ट्रिसिटी चरखे में भी इंडक्शन क्वायल्स, कॉपर वायर व मैग्नेट का उपयोग कर इसे तैयार किया गया है. महज पांच से छह दिनों में तैयार होने वाले इस इलेक्ट्रिसिटी चरखे को बनाने में करीब 1200 रुपए का खर्च आया है.

ये भी पढ़ेंः UP Election 2022: सपा-बसपा के कई नेताओं ने थामा BJP का दामन, देखें लिस्ट...

सोशल मीडिया प्लेटफार्म से देशभर के छात्रों को जोड़ेंगे
टिंकर इंडिया लैब के संस्थापक सदस्य व जय नारायण विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में भौतिक विज्ञान के शिक्षक कौस्तुभ ओमर ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी चरखा अपने आप में एक नवीन प्रयोग है. इसके सिद्धांत को समझकर नौवीं से 12वीं तक के लाखों छात्रों को काफी फायदा होगा. बोले, लैब के फेसबुक पेज व यू-ट्यूब चैनल पर इस इलेक्ट्रिसिटी चरखा के माडल की पूरी जानकारी उपलब्ध कराएंगे. इससे देशभर के छात्रों को बिजली बनाने के विषय में एक लाइव माडल से सारी सूचना मिल सकेगी.

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कानपुर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (mahatma gandhi) का चरखा (spinning wheel) अब सूत कातने तक ही सीमित नहीं रहा. इस चरखे की उपयोगिता अब काफी बढ़ गई है. इस बहुउपयोगी बनाने में सफलता पाई है जय नारायण विद्या मंदिर इंटर कालेज के 11वीं के छात्र राघवेंद्र मिश्रा ने. उन्होंने इसका नाम ई चरखा रखा है.

छात्र राघवेंद्र मिश्रा ने बताया कि यह ई चरखा खासकर 9वीं और 12वीं के छात्रों के लिए तैयार किया है. अभी तक उनको यह नहीं पता चल पाता था कि आखिर बिजली किस तरह से तैयार होती है. किताबों में पढ़ी हुई चीजों पर प्रयोग करने का कोई जरिया ही नहीं था. ऐसे में सोचा कि क्यों न इनके लिए कुछ ऐसा तैयार किया जाए जो इनके लिए मददगार हो. इसके बाद ही मैं इसे बनाने में लग गया. इसे तैयार करने में मैंने गांधी जी के चरखे को मॉडल के रूप में अपनाया. इसके बाद इस चरखे को विकसित करना शुरू कर दिया. काफी मशक्कत के बाद यह ई चरखा तैयार हो गया.

ई चरखा इस तरह से करता है काम.

उन्होंने बताया कि इस ई चरखे को घुमाने भर से बिजली तैयार होने लगेगी. इससे मोबाइल को आसानी से चार्ज किया जा सकेगा. इसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन तकनीक से तैयार किया गया है. राघवेंद्र ने विकास नगर स्थित टिंकर इंडिया लैब में इसे तैयार किया है.

ऐसे करता है काम
राघवेंद्र ने बताया कि जैसे डैम में पानी ऊपर से नीचे गिरता है और फिर मैग्नेट के बीच में रखीं क्वायल्स घूमतीं और बिजली बनती है, ठीक वैसे ही इस इलेक्ट्रिसिटी चरखा को हमें हाथ से घुमाना होता है. औसतन दो से पांच मिनट तक घुमाने पर पांच वोल्ट तक बिजली बन जाती है. इससे लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक मोबाइल की बैट्री को चार्ज किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस इलेक्ट्रिसिटी चरखे में भी इंडक्शन क्वायल्स, कॉपर वायर व मैग्नेट का उपयोग कर इसे तैयार किया गया है. महज पांच से छह दिनों में तैयार होने वाले इस इलेक्ट्रिसिटी चरखे को बनाने में करीब 1200 रुपए का खर्च आया है.

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सोशल मीडिया प्लेटफार्म से देशभर के छात्रों को जोड़ेंगे
टिंकर इंडिया लैब के संस्थापक सदस्य व जय नारायण विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में भौतिक विज्ञान के शिक्षक कौस्तुभ ओमर ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी चरखा अपने आप में एक नवीन प्रयोग है. इसके सिद्धांत को समझकर नौवीं से 12वीं तक के लाखों छात्रों को काफी फायदा होगा. बोले, लैब के फेसबुक पेज व यू-ट्यूब चैनल पर इस इलेक्ट्रिसिटी चरखा के माडल की पूरी जानकारी उपलब्ध कराएंगे. इससे देशभर के छात्रों को बिजली बनाने के विषय में एक लाइव माडल से सारी सूचना मिल सकेगी.

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