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देवकी नंदन महाराज बोले, संस्कृति को प्रतिष्ठा मिलती तो आज भारत विश्व गुरु होता

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Published : Nov 1, 2022, 7:24 PM IST

कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर महाराज (Devkinandan Thakur Maharaj reached Kanpur) मंगलवार को श्रीमद्भागवत कथा करने कानपुर पहुंचे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि संस्कृति को अगर सम्मान और प्रतिष्ठा मिल गई होती, तो आज हम वाकई विश्व गुरु होते.

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देवकी नंदन महाराज

कानपुर: मंदाकिनी होटल में देवकीनंदन ठाकुर महाराज (Devkinandan Thakur Maharaj reached Kanpur) ने सनातन संस्कृति और संस्कारों की रक्षा को लेकर प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस भागवत कथा की मौजूदा समय में जरूरत संसद में है. अगर संसद में तिलक और कंठी पहनने वाले सांसद होते तो देश में लिव इन रिलेशनशिप का कानून कभी नहीं बनता.

कथा वाचक देवकीनंदन मंगलवार को मोतीझील स्थित मैदान में श्रीमद्भागवत कथा करने पहुंचे. वहीं, प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने भारतीय संस्कृति को हमेशा ताक पर रखा. मौजूदा समय में सनातन संस्कृति को इतना बढ़ावा मिल रहा है कि उतना अगर हमें पूर्व की सरकारों में मिला होता तो आज हम विश्व गुरु होते.

प्रेस वार्ता करते देवकी नंदन महाराज

देवकीनंदन ने कहा कि आज के समय में हिंदू सहनशील है. इसलिए वह अपने आराध्य के लिए लड़ रहा है. हम आज ज्ञानव्यापी और मथुरा के लिए लड़ रहे हैं, जो पहले से ही अपनी है. हम जानते हैं कि 1 दिन संविधान के अनुसार पूरा काशी भी शिवमय होगा और मथुरा कृष्णमय होगा. उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने ही काला कानून लाया, जिसके चलते हम अपने समुदाय को लेकर कोर्ट नहीं जा सके. हमने तो पहले ही कहा था कि अयोध्या, काशी और मथुरा दे दो और उसके बदले हमसे 300 ले लो. इस दौरान हमने कोर्ट में भी जनसंख्या की रोकथाम के लिए याचिका डाली है.

कथा वाचक देवकीनंदन ने कहा कि सनातनी अल्पसंख्यक हो गए हैं. अगर अल्पसंख्यक को सुविधाएं मिलती हैं तो उन हिंदुओं को भी मिले, उन सनातनियों को भी मिले, जो अल्पसंख्याक 9 प्रदेशों में हो गए हैं, नहीं तो इस जनसंख्या नियंत्रण कानून के तहत ये सारे व्यवधान हटने चाहिए. हमने तो इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून तो होना ही चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून इसलिए भी जरूरी है. क्योंकि देश में संसाधन की कमी है और देश में इस समय संख्या बहुत ज्यादा है. देश में 'हम दो हमारे दो' का नारा सबसे अच्छा है. इस नियम को जो पालन ना करें, उसे वोटिंग करने की भी अनुमति नहीं देनी चाहिए. साथ ही उसे भारत की नागरिकता भी नहीं मिलनी चाहिए. जो इस देश को आगे बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका नहीं निभाता है.

यह भी पढ़ें: यूपी में इलेक्ट्रिक बसों का जाल, 14 शहरों में दौड़ रहीं 583 बसें

कानपुर: मंदाकिनी होटल में देवकीनंदन ठाकुर महाराज (Devkinandan Thakur Maharaj reached Kanpur) ने सनातन संस्कृति और संस्कारों की रक्षा को लेकर प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस भागवत कथा की मौजूदा समय में जरूरत संसद में है. अगर संसद में तिलक और कंठी पहनने वाले सांसद होते तो देश में लिव इन रिलेशनशिप का कानून कभी नहीं बनता.

कथा वाचक देवकीनंदन मंगलवार को मोतीझील स्थित मैदान में श्रीमद्भागवत कथा करने पहुंचे. वहीं, प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने भारतीय संस्कृति को हमेशा ताक पर रखा. मौजूदा समय में सनातन संस्कृति को इतना बढ़ावा मिल रहा है कि उतना अगर हमें पूर्व की सरकारों में मिला होता तो आज हम विश्व गुरु होते.

प्रेस वार्ता करते देवकी नंदन महाराज

देवकीनंदन ने कहा कि आज के समय में हिंदू सहनशील है. इसलिए वह अपने आराध्य के लिए लड़ रहा है. हम आज ज्ञानव्यापी और मथुरा के लिए लड़ रहे हैं, जो पहले से ही अपनी है. हम जानते हैं कि 1 दिन संविधान के अनुसार पूरा काशी भी शिवमय होगा और मथुरा कृष्णमय होगा. उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने ही काला कानून लाया, जिसके चलते हम अपने समुदाय को लेकर कोर्ट नहीं जा सके. हमने तो पहले ही कहा था कि अयोध्या, काशी और मथुरा दे दो और उसके बदले हमसे 300 ले लो. इस दौरान हमने कोर्ट में भी जनसंख्या की रोकथाम के लिए याचिका डाली है.

कथा वाचक देवकीनंदन ने कहा कि सनातनी अल्पसंख्यक हो गए हैं. अगर अल्पसंख्यक को सुविधाएं मिलती हैं तो उन हिंदुओं को भी मिले, उन सनातनियों को भी मिले, जो अल्पसंख्याक 9 प्रदेशों में हो गए हैं, नहीं तो इस जनसंख्या नियंत्रण कानून के तहत ये सारे व्यवधान हटने चाहिए. हमने तो इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून तो होना ही चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून इसलिए भी जरूरी है. क्योंकि देश में संसाधन की कमी है और देश में इस समय संख्या बहुत ज्यादा है. देश में 'हम दो हमारे दो' का नारा सबसे अच्छा है. इस नियम को जो पालन ना करें, उसे वोटिंग करने की भी अनुमति नहीं देनी चाहिए. साथ ही उसे भारत की नागरिकता भी नहीं मिलनी चाहिए. जो इस देश को आगे बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका नहीं निभाता है.

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