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अरब देशों में नूपुर शर्मा के बयान पर रार पर कानपुर के प्रोडक्ट से प्यार, माजरा क्या है?

एक ओर नुपूर शर्मा के विवादित बयान को लेकर खाड़ी देशों में भारतीय सामानों के बहिष्कार की अपील की जा रही है तो वहीं दूसरी ओर इन देशों में कनपुरिया उत्पादों की मांग पहले से भी काफी ज्यादा हो गई है. आखिर इसकी वजह क्या है, चलिए जानते हैं.

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अरब देशों में नुपूर शर्मा के बयान पर रार पर कानपुर के प्रोडक्ट से प्यार, माजरा क्या है?
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Published : Jun 18, 2022, 8:34 PM IST

Updated : Jun 18, 2022, 8:45 PM IST

कानपुर: एक तरफ खाड़ी देशों में नुपूर शर्मा के बयान को लेकर विरोध किया जा रहा है, वहां के शॉपिंग मॉल्स में भारतीय सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है. वहीं, इन सबके बीच भारतीय प्रोडक्ट की डिमांड काफी बढ़ गई है. कानपुर से अरब देशों को निर्यात किए जाने वाले उत्पादों की मांग में अचानक उछाल आ गया है. उद्योगों के संगठन फियो की माने तो बीते एक माह में करीब 13 फीसदी के निर्यात में उछाल आया है. ऐसे में खाड़ी देशों की नाराजगी से डरे उद्यमियों के चेहरे अब बढ़ते मुनाफे की खुशी से चमकने लगे हैं.

फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन (फियो) की माने तो कानपुर से यूएई, यमन, जार्डन, बहरीन, कुवैत, कतर को चमड़ा, मसाले, बासमती व सामान्य चावल निर्यात किया जाता है. बीते एक साल में कानपुर से किए गए निर्यात में 29 फीसदी का उछाल आया है, वही अगर बात बीते एक माह की कि जाए तो निर्यात में अभी तक 13 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इन आंकड़ों ने कानपुर के उद्योग जगत को खासी राहत दी है. दरअसल, नुपूर शर्मा के बयान के बाद उठे विवाद से खाड़ी देशों की नाराजगी और वहां की जा रही भारतीय सामान के बहिष्कार की अपील ने शहर के उद्यमियों को सकते में ला दिया था. अचानक डिमांड बढ़ने से इन उद्यमियों की ये चिंता दूर हो गई है.

फियो के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने दी यह जानकारी.


कहीं ये वजह तो नहीं...
इस बारे में फियो के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत को बताया कि विवादित बयानबाजी का माहौल पूरे देश-दुनिया में जरूर था लेकिन, इसी बीच भारत-यूएई के बीच सीपा करार (कॉम्प्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट) हुआ. इसके तहत अब निर्यातकों को नए बाजार मिल गए है. कई ऐसे उत्पाद थे, जिनपर निर्यातकों को इंपोर्ट ड्यूटी के तौर पर पांच से 10 फीसदी तक कर देना होता था, तब उनके उत्पाद अरब देशों में बिकते थे. सीपा करार के तहत यह कर घटकर शून्य से पांच फीसदी कर दिया गया है. इससे शहर के उद्यमियों को बड़ी राहत मिली है.

शहर के उद्यमी बोले
काउंसिल फार लेदर एक्सपोर्ट के पूर्व चेयरमैन मुख्तारुल अमीन का कहना है कि अब वह समय है, जब देश-दुनिया के कारोबारी अपने व्यापार-कारोबार को बढ़ाना चाहते हैं. विवादित बयानबाजी से जो देश-दुनिया का माहौल खराब कर रहे हैं, उन्हें गंभीरता से सोचना होगा. निर्यातकों को इस तरह की घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ा. सभी ने संयम के साथ अपना काम किया है.

इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य का कहना है कि कानपुर से अरब देशों में बासमती चावल, कई प्रकार के मसालों का निर्यात होता है. यहां के कारोबारी सालाना हजारों करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं. ऐसे में विवादित बयानबाजी के बाद बिगड़े माहौल से डरे जरूर थे, लेकिन स्थितियां बदलीं और व्यापार बेहतर ढंग से संचालित हो रहा है.

जरा इन आंकड़ों पर भी गौर फरमा लीजिए

  • वर्ष 2021-22 में कानपुर से कुल एक्सपोर्ट: 13558 करोड़
  • वर्ष 2021-22 में यूपी से कुल एक्सपोर्ट: 156897 करोड़
  • वर्ष 2020-21 में यूपी से कुल एक्सपोर्ट: 121139 करोड़
  • अरब देशों से कानपुर का सालाना कारोबार: 1560 करोड़
  • एग्रीकल्चर व कमोडिटीज का कारोबार: 400-550 करोड़ सालाना

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कानपुर: एक तरफ खाड़ी देशों में नुपूर शर्मा के बयान को लेकर विरोध किया जा रहा है, वहां के शॉपिंग मॉल्स में भारतीय सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है. वहीं, इन सबके बीच भारतीय प्रोडक्ट की डिमांड काफी बढ़ गई है. कानपुर से अरब देशों को निर्यात किए जाने वाले उत्पादों की मांग में अचानक उछाल आ गया है. उद्योगों के संगठन फियो की माने तो बीते एक माह में करीब 13 फीसदी के निर्यात में उछाल आया है. ऐसे में खाड़ी देशों की नाराजगी से डरे उद्यमियों के चेहरे अब बढ़ते मुनाफे की खुशी से चमकने लगे हैं.

फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन (फियो) की माने तो कानपुर से यूएई, यमन, जार्डन, बहरीन, कुवैत, कतर को चमड़ा, मसाले, बासमती व सामान्य चावल निर्यात किया जाता है. बीते एक साल में कानपुर से किए गए निर्यात में 29 फीसदी का उछाल आया है, वही अगर बात बीते एक माह की कि जाए तो निर्यात में अभी तक 13 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इन आंकड़ों ने कानपुर के उद्योग जगत को खासी राहत दी है. दरअसल, नुपूर शर्मा के बयान के बाद उठे विवाद से खाड़ी देशों की नाराजगी और वहां की जा रही भारतीय सामान के बहिष्कार की अपील ने शहर के उद्यमियों को सकते में ला दिया था. अचानक डिमांड बढ़ने से इन उद्यमियों की ये चिंता दूर हो गई है.

फियो के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने दी यह जानकारी.


कहीं ये वजह तो नहीं...
इस बारे में फियो के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत को बताया कि विवादित बयानबाजी का माहौल पूरे देश-दुनिया में जरूर था लेकिन, इसी बीच भारत-यूएई के बीच सीपा करार (कॉम्प्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट) हुआ. इसके तहत अब निर्यातकों को नए बाजार मिल गए है. कई ऐसे उत्पाद थे, जिनपर निर्यातकों को इंपोर्ट ड्यूटी के तौर पर पांच से 10 फीसदी तक कर देना होता था, तब उनके उत्पाद अरब देशों में बिकते थे. सीपा करार के तहत यह कर घटकर शून्य से पांच फीसदी कर दिया गया है. इससे शहर के उद्यमियों को बड़ी राहत मिली है.

शहर के उद्यमी बोले
काउंसिल फार लेदर एक्सपोर्ट के पूर्व चेयरमैन मुख्तारुल अमीन का कहना है कि अब वह समय है, जब देश-दुनिया के कारोबारी अपने व्यापार-कारोबार को बढ़ाना चाहते हैं. विवादित बयानबाजी से जो देश-दुनिया का माहौल खराब कर रहे हैं, उन्हें गंभीरता से सोचना होगा. निर्यातकों को इस तरह की घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ा. सभी ने संयम के साथ अपना काम किया है.

इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य का कहना है कि कानपुर से अरब देशों में बासमती चावल, कई प्रकार के मसालों का निर्यात होता है. यहां के कारोबारी सालाना हजारों करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं. ऐसे में विवादित बयानबाजी के बाद बिगड़े माहौल से डरे जरूर थे, लेकिन स्थितियां बदलीं और व्यापार बेहतर ढंग से संचालित हो रहा है.

जरा इन आंकड़ों पर भी गौर फरमा लीजिए

  • वर्ष 2021-22 में कानपुर से कुल एक्सपोर्ट: 13558 करोड़
  • वर्ष 2021-22 में यूपी से कुल एक्सपोर्ट: 156897 करोड़
  • वर्ष 2020-21 में यूपी से कुल एक्सपोर्ट: 121139 करोड़
  • अरब देशों से कानपुर का सालाना कारोबार: 1560 करोड़
  • एग्रीकल्चर व कमोडिटीज का कारोबार: 400-550 करोड़ सालाना

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Last Updated : Jun 18, 2022, 8:45 PM IST
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