कानपुर: कानपुर जू में सोमवार को साढ़े 19 साल की बाघिन त्रुशा की सांसें थम गई. एकाएक यह जानकारी जब देशभर के जू और शासन में पहुंची तो आला अफसरों के फोन घनघनाए और सभी के मुंह से बस एक बात निकली... त्रुशा नहीं रही. जू निदेशक केके सिंह ने बाघिन त्रुशा की मौत की पुष्टि की है. उन्होंने बताया बाघिन त्रुशा को जूनागढ़ के शक्करबाग जू से दो जनवरी 2010 को कानपुर जू में लाया गया था. साल 2016 में बाघिन त्रुशा ने एक साथ तीन शावकों को जन्म दिया था. उनमें से शावकों के नाम फिल्म के आधार पर अमर, अकबर और एंथनी रखे गए थे. उस समय भी त्रुशा की चर्चा पूरे देश में हुई थी. त्रुशा के तीन शावकों में से एक शावक को अहमदाबाद जू में भेजा गया था, जहां उसे बादशाह नाम दिया गया था. खुद पीएम मोदी ने त्रुशा के शावक संग फोटो खिंचवाई थी.
आंखों समेत कई अंंगों से बह रहा था खून: जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि त्रुशा का उपचार पिछले साल से चल रहा था. हालांकि, कानपुर जू के अस्पताल में उसे 25 मई को शिफ्ट किया था. शरीर के पिछले भाग की मांसपेशियां कमजोर होने के चलते उसे चलने-फिरने में दिक्कत हो रही थी. उसके दायीं ओर जबड़े का डेंटल पैड खत्म हो गया था. इस वजह से वह ठीक से कुछ खा पी नहीं पा रही थी. कानपुर जू के चिकित्सकों के अलावा आईवीआरआई बरेली और मथुरा के चिकित्सक और विशेषज्ञ भी त्रुशा का इलाज कर रहे थे. लेकिन, सोमवार को शाम 5.10 बजे त्रुशा ने दम तोड़ दिया.
हर दर्शक का दिल जीत लेती थी बाघिन त्रुशा: जू के प्रशासनिक अफसरों ने बताया कि आमतौर पर बाघ की औसत उम्र 15 साल होती है. हालांकि, त्रुशा को देख सभी बेहद खुश होते थे. त्रुशा सभी दर्शकों का दिल जीत लेती थी. उसने कभी किसी दर्शक को मायूस नहीं किया.
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