कानपुर: देश और दुनिया में ज्ञानवापी परिसर की चर्चा जोरों पर है. अब इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है. सोमवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि मस्जिद कहने से विवाद होगा. इसे मस्जिद नहीं ज्ञानवापी कहें. क्योंकि भीतर त्रिशूल और देवों प्रतिमाएं हैं. सीएम योगी के इस बयान पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य मो.सुलेमान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य मो.सुलेमान ने कहा कि प्रदेश के मुखिया का पुजारियों के समर्थन में दिया गया बयान पक्षकार जैसा है. उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था. सीएम विधिसम्मत कोई बात कहते तो वह बेहतर होता. लेकिन उन्होंने जो कहा है, उसका आशय है कि वह धर्मसम्मत बात कर रहे हैं. मो.सुलेमान ने कहा कि सीएम योगी के बयान से देश के लोग उन्मादी हो सकते हैं. वह पूरे प्रदेश के मुखिया हैं. इसलिए अगर नियमों की बात करेंगे तो कोई कुछ गलत नहीं सोचेगा. उन्होंने कहा कि सीएम को सोचना चाहिए कि प्रदेश आस्था से नहीं चलेगी. मुखिया को इस तरह की बयानबाजी कहीं से शोभा नहीं देती है.
बता दें कि कुछ दिनों पहले ज्ञानवापी परिसर का सर्वे संबंधी काम आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के सदस्यों ने शुरू किया था. हालांकि उस मामले पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए 3 अगस्त तक रोक लगा दी थी. इसी बीच यह बात सामने आई की अब एएसआई टीम के सदस्यों की मदद आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ करेंगे. इस काम में वह जीपीआर तकनीक से उन उपकरणों का पता लगाएंगे. जिनकी जानकारी अभी तक नहीं हो सकी है.