कानपुर: उत्तर प्रदेश खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. बोर्ड के वरिष्ठ प्रबंधक हरिश्चंद्र मिश्रा के खिलाफ विजिलेंस टीम ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. प्रबंधक पर शहर में तैनाती के दौरान फर्जी लाभार्थियों के लोन आवेदन को बिना सत्यापित कराए ही बैंक से पैसे स्वीकृत कराने के आरोप है. इस मामले में बिना सत्यापन के 38 लाख रुपये का लोन स्वीकृत कराया गया. इसके बाद जांच में बैंक को फर्जीवाड़े की जानकारी हुई. मामले में एफआईआर की पुष्टि शहर में विजिलेंस विभाग के अफसरों ने की.
इस पूरे मामले को लेकर शासन ने 24 दिसंबर 2020 को हरिश्चंद्र मिश्रा के खिलाफ विजिलेंस को जांच के आदेश दिये थे. ऐसे में जब विजिलेंस के अफसरों ने मामले की गंभीरता से जांच की, तो मड़ियांव (लखनऊ) निवासी हरिश्चंद्र मिश्रा पर सभी आरोप सही पाए गए. शासन ने विजिलेंस को जनवरी माह में ही हरिश्चंद्र मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. मगर, प्रक्रियाओं को पूरा करने में लगे वक्त के बाद मंगलवार को हरिश्चंद्र मिश्रा के खिलाफ विजिलेंस की ओर से मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
कई अन्य अफसरों पर भी गिर सकती है गाज: हरिश्चंद्र मिश्रा के खिलाफ एफआईआर मामले में अभी कई और कर्मी व अफसर के नाम जुड़े हो सकते हैं. दरअसल खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड में पहले दो प्रकार के लोन दिए जाते थे. एक खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के जरिए और दूसरा बैंक के माध्यम से मिलते थे. उस दौरान ऑफलाइन ही आवेदन आते थे और बैंक के माध्यम से जो लोन स्वीकृत होते थे, उनकी फाइल विभाग का इंस्पेक्टर तैयार करता था. अब, कहा जा रहा है जल्द ही लखनऊ से विजिलेंस के आला अफसर भी हरिश्चंद्र मिश्रा मामले की जांच कर सकते हैं.
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