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कोरोना ने बदली ब्लाइंड बच्चों की लाइफ, टेक्नोलॉजी की मदद से कर रहे पढ़ाई

कानपुर में टेक्नोलॉजी की मदद से ब्लाइंड स्कूल के बच्चे भी ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. शुरूआत में ब्लाइंड छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज में दिक्कतें हुईं, लेकिन धीरे-धीरे इसकी छात्रों के साथ पैरेंट्स और अध्यापकों को भी आदत हो गई.

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ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे ब्लाइंड छात्र
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Published : Jan 17, 2021, 5:31 PM IST

कानपुरः कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. एक कविता की यह लाइन कानपुर के ब्लाइंड स्कूल के बच्चों की हिम्मत और पढ़ाई की ललक को साफ दिखा रही है. जब पूरा विश्व कोरोना काल के चलते बंद हो गया, तो बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेज शुरू हुई. लेकिन ब्लाइंड बच्चों की पढ़ाई को लेकर कोई कारगर व्यवस्था नहीं थी. जिससे ऐसे बच्चों के भविष्य के लिए खतरा मंडराने लगा. इन बच्चों ने न सिर्फ खुद टेक्नोलॉजी की मदद से पढ़ाई शुरू की. बल्कि अब वह सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही ये बच्चे ऑनलाइन टेस्ट भी दे रहे हैं.

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टेक्नोलॉजी की मदद से पढ़ाई

टेक्नोलॉजी के दौर में अब कुछ भी कठिन नहीं
ब्लाइंड स्कूल के मोहम्मद अब्दुल जलार का कहना है कि अब टेक्नोलॉजी के इस दौर में कुछ भी कठिन नहीं है. लॉकडाउन के दौरान शुरुआत में दिक्कत हुई, लेकिन टेक्नोलॉजी की वजह से सब कुछ आसान हो गया है. फोन के फीचर्स के माध्यम से ऑनलाइन क्लासेज ली जा रही हैं.

kanpur
पैरेंट्स कर छात्रों की मदद

क्लासमेट की मदद से पढ़ाई आसान
एक ब्लाइंड स्टूडेंट ने बताया कि पहले काफी दिक्कत हुई, हर किसी के पास फोन भी नहीं था. कुछ दिनों में स्कूल की तरफ से फोन दिया गया. जिसके बाद अपने क्लासमेट की मदद से ब्लाइंड फीचर्स के बारे में जानकारी हुई और अब पढ़ाई आसान हो गई है.

ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे नेत्रहीन छात्र

पहले खुद पढ़ते थे, फिर पढ़ाया
एक ब्लाइंड स्टूडेंट की मां नीलम यादव कहती है कि लॉकडाउन में काफी दिक्कतें हुईं. बच्चे की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. क्योंकि डॉक्टर्स ने स्क्रीन से दूर रहने को कहा था, लेकिन पढ़ाई भी करवानी थी. इसके लिए पहले अब मैं खुद पढ़ती हूं, उसके बाद बच्चे को पढ़ाती हूं. बाकी क्लासेज के दौरान किसी को बच्चे के साथ रहना पड़ता है. ताकि स्क्रीन का ज्यादा प्रभाव न पड़े.

ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में अभी भी हैं दिक्कतें
ब्लाइंड स्कूल में टीचर मुबस्सरा ने बताया कि शुरुआत में फोन न होना सबसे बड़ी दिक्कत थी. लेकिन समय के साथ स्कूल की तरफ से फोन दिलवाए गए. जिस वजह से बच्चे शुरुआत में फोन ऑपरेट नहीं कर पा रहे थे. लेकिन अब कर ले रहे हैं. हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी ये दिक्कत बनी हुई है.

कानपुरः कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. एक कविता की यह लाइन कानपुर के ब्लाइंड स्कूल के बच्चों की हिम्मत और पढ़ाई की ललक को साफ दिखा रही है. जब पूरा विश्व कोरोना काल के चलते बंद हो गया, तो बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेज शुरू हुई. लेकिन ब्लाइंड बच्चों की पढ़ाई को लेकर कोई कारगर व्यवस्था नहीं थी. जिससे ऐसे बच्चों के भविष्य के लिए खतरा मंडराने लगा. इन बच्चों ने न सिर्फ खुद टेक्नोलॉजी की मदद से पढ़ाई शुरू की. बल्कि अब वह सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही ये बच्चे ऑनलाइन टेस्ट भी दे रहे हैं.

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टेक्नोलॉजी की मदद से पढ़ाई

टेक्नोलॉजी के दौर में अब कुछ भी कठिन नहीं
ब्लाइंड स्कूल के मोहम्मद अब्दुल जलार का कहना है कि अब टेक्नोलॉजी के इस दौर में कुछ भी कठिन नहीं है. लॉकडाउन के दौरान शुरुआत में दिक्कत हुई, लेकिन टेक्नोलॉजी की वजह से सब कुछ आसान हो गया है. फोन के फीचर्स के माध्यम से ऑनलाइन क्लासेज ली जा रही हैं.

kanpur
पैरेंट्स कर छात्रों की मदद

क्लासमेट की मदद से पढ़ाई आसान
एक ब्लाइंड स्टूडेंट ने बताया कि पहले काफी दिक्कत हुई, हर किसी के पास फोन भी नहीं था. कुछ दिनों में स्कूल की तरफ से फोन दिया गया. जिसके बाद अपने क्लासमेट की मदद से ब्लाइंड फीचर्स के बारे में जानकारी हुई और अब पढ़ाई आसान हो गई है.

ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे नेत्रहीन छात्र

पहले खुद पढ़ते थे, फिर पढ़ाया
एक ब्लाइंड स्टूडेंट की मां नीलम यादव कहती है कि लॉकडाउन में काफी दिक्कतें हुईं. बच्चे की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. क्योंकि डॉक्टर्स ने स्क्रीन से दूर रहने को कहा था, लेकिन पढ़ाई भी करवानी थी. इसके लिए पहले अब मैं खुद पढ़ती हूं, उसके बाद बच्चे को पढ़ाती हूं. बाकी क्लासेज के दौरान किसी को बच्चे के साथ रहना पड़ता है. ताकि स्क्रीन का ज्यादा प्रभाव न पड़े.

ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में अभी भी हैं दिक्कतें
ब्लाइंड स्कूल में टीचर मुबस्सरा ने बताया कि शुरुआत में फोन न होना सबसे बड़ी दिक्कत थी. लेकिन समय के साथ स्कूल की तरफ से फोन दिलवाए गए. जिस वजह से बच्चे शुरुआत में फोन ऑपरेट नहीं कर पा रहे थे. लेकिन अब कर ले रहे हैं. हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी ये दिक्कत बनी हुई है.

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