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कानपुर: लॉकडाउन में शहर की आबोहवा में हुआ सुधार, अनलॉक में फिर घुल रहा जहर

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में लॉकडाउन के समय जहां वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ था, वहीं अनलॉक होते ही फिर हवा में जहर घुलने लगा है. इससे लोग काफी परेशान हैं.

air quality index improves in kanpur in lockdown
लॉकडाउन में कानपुर शहर की आबोहवा में हुआ सुधार.
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Published : Sep 13, 2020, 7:45 PM IST

कानपुर: कोरोना के चलते लागू हुए संपूर्ण लॉकडाउन के बाद शहर की हवा में काफी सुधार हुआ था. वहीं, अनलॉक होते ही शहर की आबोहवा फिर से खराब होती जा रही है. सड़कों पर काला धुआं उगल रहे खटारा वाहन और इंडस्ट्रियल इलाकों की टेनरियां शहर की हवा में जहर घोलने का काम कर रही हैं.

लॉकडाउन में एक्यूआई में आई कमी.

शहर का एक्यूआई हुआ कम
प्रदेशभर में संपूर्ण लॉकडाउन होने के बाद से अब शहर का प्रदूषण स्तर काफी कम हो गया है. आम दिनों में कानपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) जहां 200 से 250 के आसपास रहता था. वहीं, अब यह घटकर 50 से 70 तक आ गया है. जबकि जाजमऊ, दादानगर, पनकी समेत तमाम इंडस्ट्रियल इलाकों की स्थिति अभी भी खराब है. इन इलाकों से संचालित होने वाली टेनरियों की चिमनियां हवा में काला धुआं उगल रही हैं, जिसके चलते इन इलाकों में काम करने वाले लोगों के अलावा आसपास रहने वाले लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

खटारा वाहन बढ़ा रहे प्रदूषण
शहर की सड़कों पर दौड़ रहे खटारा वाहन भी प्रदूषण बढ़ाने का काम कर रहे हैं. जिले में डग्गामार और खटारा वाहनों के रूप में जिन वाहनों का संचालन किया जा रहा है, इनमें बस, टेंपो, माल वाहन और सवारी ढोने के लिए छोटे वाहनों के साथ ही मिनी बसें भी शामिल हैं. इन वाहनों के संचालन से जहां ध्वनि प्रदूषण होता है, वहीं वाहनों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण भी भारी मात्रा में फैलता है. प्रदूषण विभाग चाहे तो ऐसे वाहनों पर लगाम लगाई जा सकती है, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर और भी कम हो सके.

फूलबाग से हटाया प्रदूषण डाटा डिस्प्ले बोर्ड
शहरियों को प्रदूषण की जानकारी हो सके इसके लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फूलबाग चौराहे पर प्रदूषण डाटा डिस्प्ले बोर्ड लगाया था, लेकिन सीवर लाइन की खुदाई के चलते डिस्प्ले बोर्ड को हटा लिया गया. स्थानीय दुकानदार प्रसन्न कुमार रावत बताते हैं कि डिस्प्ले बोर्ड लगने से आमजन को प्रदूषण की स्थिति जानने में आसानी होती थी. अब उन्हें मोबाइल पर जानकारी लेनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें: कानपुर सेंट्रल स्टेशन से 11 जोड़ी स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू
हर घंटे अपडेट होते हैं आंकड़े
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी डॉ. एसबी फ्रेंकलिन ने बताया कि शहर में प्रदूषण मापने के लिए 6 मापक मीटर हैं. इसमें 1 ऑटोमेटिक और बाकी के 5 मैनुअल हैं. उन्होंने बताया कि शहर की वायु प्रदूषण के आंकड़ों को प्रति घंटे अपडेट किया जाता है. ऑटोमेटिक प्रदूषण मापक मीटर हर एक घंटे में आंकड़ों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर अपडेट करता है.

कानपुर: कोरोना के चलते लागू हुए संपूर्ण लॉकडाउन के बाद शहर की हवा में काफी सुधार हुआ था. वहीं, अनलॉक होते ही शहर की आबोहवा फिर से खराब होती जा रही है. सड़कों पर काला धुआं उगल रहे खटारा वाहन और इंडस्ट्रियल इलाकों की टेनरियां शहर की हवा में जहर घोलने का काम कर रही हैं.

लॉकडाउन में एक्यूआई में आई कमी.

शहर का एक्यूआई हुआ कम
प्रदेशभर में संपूर्ण लॉकडाउन होने के बाद से अब शहर का प्रदूषण स्तर काफी कम हो गया है. आम दिनों में कानपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) जहां 200 से 250 के आसपास रहता था. वहीं, अब यह घटकर 50 से 70 तक आ गया है. जबकि जाजमऊ, दादानगर, पनकी समेत तमाम इंडस्ट्रियल इलाकों की स्थिति अभी भी खराब है. इन इलाकों से संचालित होने वाली टेनरियों की चिमनियां हवा में काला धुआं उगल रही हैं, जिसके चलते इन इलाकों में काम करने वाले लोगों के अलावा आसपास रहने वाले लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

खटारा वाहन बढ़ा रहे प्रदूषण
शहर की सड़कों पर दौड़ रहे खटारा वाहन भी प्रदूषण बढ़ाने का काम कर रहे हैं. जिले में डग्गामार और खटारा वाहनों के रूप में जिन वाहनों का संचालन किया जा रहा है, इनमें बस, टेंपो, माल वाहन और सवारी ढोने के लिए छोटे वाहनों के साथ ही मिनी बसें भी शामिल हैं. इन वाहनों के संचालन से जहां ध्वनि प्रदूषण होता है, वहीं वाहनों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण भी भारी मात्रा में फैलता है. प्रदूषण विभाग चाहे तो ऐसे वाहनों पर लगाम लगाई जा सकती है, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर और भी कम हो सके.

फूलबाग से हटाया प्रदूषण डाटा डिस्प्ले बोर्ड
शहरियों को प्रदूषण की जानकारी हो सके इसके लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फूलबाग चौराहे पर प्रदूषण डाटा डिस्प्ले बोर्ड लगाया था, लेकिन सीवर लाइन की खुदाई के चलते डिस्प्ले बोर्ड को हटा लिया गया. स्थानीय दुकानदार प्रसन्न कुमार रावत बताते हैं कि डिस्प्ले बोर्ड लगने से आमजन को प्रदूषण की स्थिति जानने में आसानी होती थी. अब उन्हें मोबाइल पर जानकारी लेनी पड़ती है.

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हर घंटे अपडेट होते हैं आंकड़े
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी डॉ. एसबी फ्रेंकलिन ने बताया कि शहर में प्रदूषण मापने के लिए 6 मापक मीटर हैं. इसमें 1 ऑटोमेटिक और बाकी के 5 मैनुअल हैं. उन्होंने बताया कि शहर की वायु प्रदूषण के आंकड़ों को प्रति घंटे अपडेट किया जाता है. ऑटोमेटिक प्रदूषण मापक मीटर हर एक घंटे में आंकड़ों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर अपडेट करता है.

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