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सच ही कहा है किसी ने... दाने-दाने पर लिखा होता है खाने वाले का नाम

यह कहानी है उस बेजुबान की, जिसे बहुत जोर की भूख लगी है... खाने की खोज करते-करते वह पहुंच जाता है उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री सुनील भराला की जनसुनवाई मीटिंग में... और फिर क्या होता है, देखिए ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट में...

बिल्ली के बच्चे पर स्पेशल स्टोरी.
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Published : Sep 19, 2019, 10:28 AM IST

कानपुर: किसी ने सच ही कहा है कि दाने-दाने पर लिखा होता है खाने वाले का नाम. कानपुर में उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री सुनील भराला की जनसुनवाई मीटिंग में मंत्री जी श्रमिकों की समस्याओं के निवारण के लिए जनसुवाई मीटिंग ले रहे हैं... श्रमिक उन्हें अपनी समस्याएं बता रहे हैं. सुनील भराला, उनके समर्थकों और अधिकारियों के सामने नाश्ते की प्लेट सजी है. तभी बिल्ली का एक मासूम बच्चा यहां आ जाता है.

देखें वीडियो.

शायद मंत्री जी के चटपटे नाश्ते की सुगंध इस भूखे बिल्ली के बच्चे को भी लग गई होगी. इसलिए अपनी भूख की सुनवाई करवाने के लिए यह बच्चा भी मीटिंग में आ गया. इसने सोचा होगा कि शायद मंत्री की जनसुनवाई में मेरी भूख की भी सुनवाई हो जायेगी. इसके लिए उसने मंत्री जी की टेबल से लेकर आसपास की टेबलों के नीचे हर तरफ राउंड भी लगाया, लेकिन वह शायद यह समझने में भूल कर गया कि आज के इंसानी जमात में जब इंसानों की ही सुनवाई पूरी नहीं हो पाती तो उसके जैसे बेजुबान की कौन सुनेगा...

ये भी पढ़ें: वायरल VIDEO: देखिए कैसे चोरी होती है आपके घर पहुंचने वाले सिलेंडर की गैस

बस हुआ भी यही... बिल्ली का यह बच्चा ढूंढते-ढूंढते हार गया, लेकिन टेबल पर सजी नाश्ते की प्लेटों का एक दाना भी नीचे नहीं गिरा, जो इस भूख से व्याकुल बेजुबान को कुछ राहत दे सके... आखिर हार कर वह चुपचाप वहां से चला गया... जबकि मंत्री के सहयोगी प्लेटों भरा नाश्ता यहीं छोड़कर चले गए...इस नाश्ते का शायद उनके लिए इतना महत्त्व नहीं था... जितना मायूस होकर चले गए बिल्ली के बच्चे के लिए कीमती था...लेकिन ये शायद उसके बेजुबान होने का फल था.

कानपुर: किसी ने सच ही कहा है कि दाने-दाने पर लिखा होता है खाने वाले का नाम. कानपुर में उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री सुनील भराला की जनसुनवाई मीटिंग में मंत्री जी श्रमिकों की समस्याओं के निवारण के लिए जनसुवाई मीटिंग ले रहे हैं... श्रमिक उन्हें अपनी समस्याएं बता रहे हैं. सुनील भराला, उनके समर्थकों और अधिकारियों के सामने नाश्ते की प्लेट सजी है. तभी बिल्ली का एक मासूम बच्चा यहां आ जाता है.

देखें वीडियो.

शायद मंत्री जी के चटपटे नाश्ते की सुगंध इस भूखे बिल्ली के बच्चे को भी लग गई होगी. इसलिए अपनी भूख की सुनवाई करवाने के लिए यह बच्चा भी मीटिंग में आ गया. इसने सोचा होगा कि शायद मंत्री की जनसुनवाई में मेरी भूख की भी सुनवाई हो जायेगी. इसके लिए उसने मंत्री जी की टेबल से लेकर आसपास की टेबलों के नीचे हर तरफ राउंड भी लगाया, लेकिन वह शायद यह समझने में भूल कर गया कि आज के इंसानी जमात में जब इंसानों की ही सुनवाई पूरी नहीं हो पाती तो उसके जैसे बेजुबान की कौन सुनेगा...

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बस हुआ भी यही... बिल्ली का यह बच्चा ढूंढते-ढूंढते हार गया, लेकिन टेबल पर सजी नाश्ते की प्लेटों का एक दाना भी नीचे नहीं गिरा, जो इस भूख से व्याकुल बेजुबान को कुछ राहत दे सके... आखिर हार कर वह चुपचाप वहां से चला गया... जबकि मंत्री के सहयोगी प्लेटों भरा नाश्ता यहीं छोड़कर चले गए...इस नाश्ते का शायद उनके लिए इतना महत्त्व नहीं था... जितना मायूस होकर चले गए बिल्ली के बच्चे के लिए कीमती था...लेकिन ये शायद उसके बेजुबान होने का फल था.

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for cat of kanpur


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