कानपुर: जब बात सरकारी विद्यालयों खासतौर से परिषदीय स्कूलों की होती है तो लोगों के मन में खंडहरनुमा भवन, स्कूल परिसर के अंदर उगी झाड़ियां, टूटी खिड़कियां, टाटपट्टी पर बैठे हुए बच्चों की कल्पना की जाती है. हालांकि, इस तस्वीर को बदलकर एक नया रूप देने के लिए शहर में डीएम विशाख अय्यर ने 200 स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाने का फैसला किया है.
पहले चरण में इन स्कूलों को चिन्हित कर 95 फीसदी काम पूरा हो चुका है. उनका कहना है कि यह स्कूल इस तरह से दिखेंगे जैसे की कांवेंट स्कूल दिखाई पड़ते हैं. इन स्कूलो में हर वह सुविधा उपलब्ध होगी जो कि निजी स्कूलों में होती है. कुल 21 अलग-अलग बिंदुओं पर कायाकल्प कर स्कूलों की सूरत को बदला जा रहा है.
होगी इंटरनेट की सुविधा, खिलाड़ी बनेंगे बच्चे: डीएम विशाख अय्यर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि इन स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा के साथ स्मार्ट क्लासेस का संचालन होगा. खेल के मैदान इस तरह से बनाये जायेंगे, जिससे बच्चों को खिलाड़ी के रूप में तैयार किया जा सके. इसके अलावा बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय, मुख्य द्वार पर इंटरलाकिंग, स्कूल परिसर की फर्श पर टाइल्स, आधुनिक हैंडवाश सिस्टम, एमडीएम शैड्स आदि बनाए जाएंगे. ताकि, बच्चों व अभिभावकों को कहीं से यह न लगे कि, वह सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
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दूसरे चरण में 184 स्कूल शामिल: डीएम विशाख अय्यर ने बताया कि पहले चरण में जहां 200 स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाने की कवायद लगभग पूरी हो चुकी है, वहीं अब दूसरे चरण में 184 अन्य स्कूलों को भी शामिल किया गया है. इन स्कूलों के जो शिक्षक हैं, उन्हें यूनिसेफ की टीम के सदस्यों ने प्रशिक्षित किया है. शिक्षकों को बताया गया है कि कैसे वह बच्चों को रोचक ढंग से पढ़ा सकते हैं. बच्चों के साथ किस तरह दोस्ताना व्यवहार कर सकते हैं. इस प्रशिक्षण व स्कूल के बदले माहौल से यह उम्मीद भी है कि इन स्कूलों में छात्रों की संख्या में इजाफा जरूर होगा.
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