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अनोखी मिसाल: खुद की आंखों में रोशनी नहीं लेकिन रोशन कर रहे देश का भविष्य

जिंदगी में असंभव नाम की कोई चीज नही होती है. इस बात को साकार कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के दिव्यांग शिक्षक शैलेन्द्र सिंह. आंखों में रोशनी न होने के बावजूद वह सैकड़ों बच्चों की जिंदगी रोशन कर रहे हैं.

दिव्यांग शिक्षक शैलेन्द्र सिंह
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Published : Oct 6, 2019, 11:19 AM IST

कानपुर देहात: इंसान अगर चाह ले तो पत्थर को भी पिघलाकर मोम बना सकता है. जनपद के कपराहट कहिंजरी के दिव्यांग शिक्षक शैलेन्द्र सिंह की आंखों में रोशनी नहीं है. लेकिन फिर भी वे अपनी शिक्षा से सैकड़ों बच्चों की जिंदगी को रोशन कर रहे हैं. आंखों से दिव्यांगता के बाद भी कुशल शिक्षण कार्य के लिए शैलेन्द्र सिंह को आज पूरे जिले में जाना जा रहा है. लेकिन शिक्षक शैलेन्द्र सिंह आज सभी शिक्षकों के लिए बड़ी मिसाल बने हुए हैं. समाज में ऐसे जज्बा और जुनून वाले शिक्षक बहुत कम देखने को मिलते हैं.

दिव्यांग शिक्षक शैलेन्द्र सिंह बन रहे लोगों के लिए मिसाल.

शिक्षकों के लिए बन रहे प्रेरणा

  • जनपद के रसूलाबाद क्षेत्र के कपराहट के जिले में स्थित प्राथमिक विद्यालय में शैलेंद्र सिंह भदौरिया पढ़ाते हैं.
  • आंखों से दिव्यांग शैलेंद्र सिंह कपराहट गांव के ही रहने वाले हैं.
  • विशिष्ट बीटीसी करने के बाद उन्होंने प्राथमिक विद्यालय कपराहट में ही प्रशिक्षण लिया.
  • 2009 में उन्होंने शिक्षक की नौकरी पाई.
  • वह सहायक अध्यापक के पर कई वर्षों तक तैनात रहे और अब प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं.
  • बच्चे बोर्ड पर लिखते हैं तो शैलेन्द्र सिंह इशारों में और उंगली से जोड़कर उन्हें अच्छे से सिखा देते हैं.

इसे भी पढ़ें - लखनऊ: प्रशासन ने मांगी तीन मांगे, 30 घंटे बाद पानी की टंकी से नीचे उतरा परिवार

नहीं गया किसी अधिकारी का ध्यान
शैलेन्द्र सिंह गत 10 वर्षों से विद्यालय में शिक्षण की सेवा दे रहे हैं. लेकिन आज तक जिले के अधिकारियों की नजर उनके मेहनत पर नहीं गई. सवाल यह भी उठता है कि शिक्षा के स्तर को उठाने वाले अध्यापक शैलेन्द्र सिंह क्या किसी सम्मान के हकदार नहीं.

कानपुर देहात: इंसान अगर चाह ले तो पत्थर को भी पिघलाकर मोम बना सकता है. जनपद के कपराहट कहिंजरी के दिव्यांग शिक्षक शैलेन्द्र सिंह की आंखों में रोशनी नहीं है. लेकिन फिर भी वे अपनी शिक्षा से सैकड़ों बच्चों की जिंदगी को रोशन कर रहे हैं. आंखों से दिव्यांगता के बाद भी कुशल शिक्षण कार्य के लिए शैलेन्द्र सिंह को आज पूरे जिले में जाना जा रहा है. लेकिन शिक्षक शैलेन्द्र सिंह आज सभी शिक्षकों के लिए बड़ी मिसाल बने हुए हैं. समाज में ऐसे जज्बा और जुनून वाले शिक्षक बहुत कम देखने को मिलते हैं.

दिव्यांग शिक्षक शैलेन्द्र सिंह बन रहे लोगों के लिए मिसाल.

शिक्षकों के लिए बन रहे प्रेरणा

  • जनपद के रसूलाबाद क्षेत्र के कपराहट के जिले में स्थित प्राथमिक विद्यालय में शैलेंद्र सिंह भदौरिया पढ़ाते हैं.
  • आंखों से दिव्यांग शैलेंद्र सिंह कपराहट गांव के ही रहने वाले हैं.
  • विशिष्ट बीटीसी करने के बाद उन्होंने प्राथमिक विद्यालय कपराहट में ही प्रशिक्षण लिया.
  • 2009 में उन्होंने शिक्षक की नौकरी पाई.
  • वह सहायक अध्यापक के पर कई वर्षों तक तैनात रहे और अब प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं.
  • बच्चे बोर्ड पर लिखते हैं तो शैलेन्द्र सिंह इशारों में और उंगली से जोड़कर उन्हें अच्छे से सिखा देते हैं.

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नहीं गया किसी अधिकारी का ध्यान
शैलेन्द्र सिंह गत 10 वर्षों से विद्यालय में शिक्षण की सेवा दे रहे हैं. लेकिन आज तक जिले के अधिकारियों की नजर उनके मेहनत पर नहीं गई. सवाल यह भी उठता है कि शिक्षा के स्तर को उठाने वाले अध्यापक शैलेन्द्र सिंह क्या किसी सम्मान के हकदार नहीं.

Intro:एंकर - इंसान अगर चाह ले तो पत्थर को भी पिघलाकर मोम बना सकता है। जिंदगी में असंभव नाम की कोई चीज नही होती है.... यह साकार कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर देहात के कपराहट कहिंजरी के दिव्यांग शिक्षक शैलेन्द्र सिंह ने। बतौर शैलेन्द्र सिंह की आंखों में रोशनी नही है लेकिन फिर भी वे अपनी शिक्षा से सैकड़ों बच्चों की जिंदगी को रोशन कर रहे है। आंखों से दिव्यांगता के बाद भी कुशल शिक्षण कार्य के लिए शैलेन्द्र सिंह को आज पूरे जनपद में जाना जा रहा है। लेकिन शिक्षक शैलेन्द्र सिंह आज सभी शिक्षकों के लिए बड़ी मिसाल बने हुए है। समाज मे ऐसे जज्बा और जुनून वाले शिक्षक बहुत कम देखने को मिलते है....Body:वी0ओ0 - इंसान के अंदर अगर जज्बा है तो वह हर मुश्किल को आसान कर सकता है। कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र के कपराहट के जिले में स्थित प्राथमिक विद्यालय के शैलेंद्र सिंह भदौरिया ने ऐसा ही कर दिखाया है.... नेत्रों से दिव्यांग शैलेंद्र सिंह कपराहट गांव के ही रहने वाले हैं.... विशिष्ट बीटीसी करने के बाद उन्होंने प्राथमिक विद्यालय कपराहट में ही प्रशिक्षण किया। उन्होंने चित्रकूट में भी शिक्षा पाई। 2009 में उन्होंने शिक्षक की नौकरी पाई। सहायक अध्यापक पर कई वर्षों तक तैनात रहे.... और अब प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक और जज्बे ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि इंसान के अंदर जज्बा और जुनून हो तो उसके लिए दिव्यांग का और विकलांगता कोई मायने नहीं रखती।Conclusion:वी0ओ0_उन्होंने कहा कि जितना अच्छा और बेहतर तरीके से कोई कार्य विकलांग और दिव्यांग कर सकता है वह कार्य एक सही सलामत व्यक्ति तक नहीं कर सकता। आलम यह है कि शैलेंद्र सिंह शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा बने हैं। इस बात को इस विद्यालय के शिक्षकों ने स्वयं स्वीकार किया। शैलेंद्र सिंह जन्म से ही आंखों से दिव्यांग। उन्हें आंखों से कुछ नहीं दिखाई देता। उनके पढ़ाये बच्चे शिक्षा में अग्रणी है। इसकी बानगी हमें तब देखने को मिली जब शैलेन्द्र सिंह बच्चों को पढ़ा रहे थे। बच्चे बोर्ड पर लिखते थे तो शैलेन्द्र सिंह इशारों में और उंगली से जोड़कर अच्छे से सिखा देते थे। बच्चा-बच्चा एक सुर में गणित के सवाल लगाकर उन्हें बता देता। वही स्कूल के बच्चे शैलेन्द्र सिंह से ही ज्यादा पढ़ने की इच्छा रखते हैं। जब बच्चों से बात की तो उन्होंने भी बताया कि शैलेन्द्र सिंह सबसे अच्छे अध्यापक हैं। शैलेन्द्र सिंह आज समाज में उन लोगों के लिए प्रेरणा बने हैं जो विकलांगता को अभिशाप मानते हैं जबकि विकलांग होना कोई अभिशाप नहीं है। विकलांग व्यक्ति कभी भी बुद्धि और मन से विकलांग नहीं हो सकता। शैलेंद्र सिंह के हौसलों से विकलांग लोगों में भी प्रेरणा है। शैलेन्द्र सिंह कपराहट गांव के ही निवासी है। उन्होंने कहा कि मैं और बेहतर शिक्षण कार्य करने की कोशिश करूंगा। गौरतलब हो कि गत 10 वर्षों से विद्यालय में शिक्षण कार्य दे रहे हैं। विकलांग होने के बावजूद बेहतर शिक्षण कार्य दे रहे हैं। लेकिन आज तक जिले के अधिकारियों की इस ओर नजर नहीं गई। क्या शैलेन्द्र सिंह जिले के किसी सम्मान के हकदार नहीं है। लेकिन जिले के आला अधिकारियों की नजर नहीं जाती। जिले के अधिकारियों को ऐसी प्रतिभाओं का सम्मान करना चाहिए ताकि कोई व्यक्ति यह सोचकर जीवन न जिये कि वह विकलांग है और वह कुछ नहीं कर सकता। शैलेन्द्र सिंह के कारण कई लोगों को प्रेरणा मिली।

बाइट - उदित मिश्रा ( शिक्षक)

बाइट - शैलेंद्र सिंह भदौरिया ( नेत्रहीन शिक्षक)

Date - 05-010-2019

Center - Kanpur Dehat

Reporter - HImanshu sharma
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