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कानपुर देहात: किसानों पर पड़ी विधाता की मार, मुआवजे के लिए लगा रहे गुहार

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Published : Nov 7, 2020, 2:04 PM IST

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में किसान काफी परेशान हैं. दरअसल, यहां धान की खेती करने वाले किसानों की फसल तो अच्छी हुई है, लेकिन उनकी बाली में दाना है ही नहीं. इस समस्या को लेकर किसान अब अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हैं.

अधिकारियों के चक्कर लगा रहे किसान.
अधिकारियों के चक्कर लगा रहे किसान.

कानपुर देहात: जिले में अन्नदाताओं पर विधाता की ऐसी मार पड़ी है कि वह अब अधिकारियों की चौखट के चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं. इसके बावजूद अधिकारी लाचार अन्नदाताओं की फरियाद को अनसुना कर रहे हैं. किसानों ने इसकी फरियाद अब सूबे के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री से की है. किसानों को चिंता है कि इस बार वह अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे.

अधिकारियों के चक्कर लगा रहे किसान.

जनपद के शिवली क्षेत्र के ज्योती गांव के रहने वाले एक किसान की मेहनत पर तब पानी फिर गया, जब उसके 13 बीघा खेत में धान की फसल उगाने के बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ. क्योंकि धान की पौध में बाली तो बड़ी अच्छी लगी, लेकिन उन बालियों में अनाज का एक भी दाना तक नहीं आया. किसानों ने आरोप लगाया कि जिले के अधिकारियों से शिकायत करने के बाद कृषि विभाग के अधिकारियों ने उन्हें टरका दिया.

मायूस किसानों ने अब इसकी शिकायत जिलाधिकारी से भी की है, लेकिन शिकायत के बाद जांच करने गई टीम ने पीड़ित किसान से अच्छी रिपोर्ट लगाने को लेकर रिश्वत की मांग की है. ऐसा आरोप किसानों ने कृषि विभाग के अधिकारियों के ऊपर लगाया है. किसानों का कहना है कि अगर पैसे नहीं दिए तो उनकी फसल को रिपोर्ट में यह लिख दिया जाएगा कि कीड़ा लगने की वजह से फसल बर्बाद गई है. फिर कोई मुआवजा नहीं मिलेगा.

गांव के ही एक किसान ने बताया कि उनके पास 13 बीघा खेती है. इसके लिए उन्होंने शिवली स्थित एग्री जंक्शन केंद्र से धान का बीज लिया था. वहां दुकानदार ने कहा कि ज्यादा पैदावार के लिए एनपीएच 567 शंकर धान का बीज बोएं. इस पर उन्होंने करीब 8 हजार रुपये कीमत का बीज ले लिया और समय पर खाद पानी देने से पौध अच्छी तैयार हुई. जब फसल पककर तैयार हुई तो उनके होश उड़ गए.

इसकी वजह है कि उनके धान की पौध में बाली तो आई है, लेकिन उसमें दाने नहीं हैं. इससे वह बहुत परेशान हैं. आरोप है कि बीज विक्रेता ने उन्हें खराब बीज दिए हैं, जिसके चलते उन्होंने जिले के विभागीय अधिकारियों से शिकायत की है. उन्होंने जिलाधिकारी को दिए प्राथना पत्र में बताया कि 13 बीघा खेत में धान की फसल उगाने में करीब चार लाख की लागत आई है, जो सब डूब गया है. उन्होंने बताया कि इस साल फसल बर्बाद होने के चलते हमारे घर परिवार के लोग क्या खायेंगे और अब हमारी कौन सुनेगा.

कानपुर देहात: जिले में अन्नदाताओं पर विधाता की ऐसी मार पड़ी है कि वह अब अधिकारियों की चौखट के चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं. इसके बावजूद अधिकारी लाचार अन्नदाताओं की फरियाद को अनसुना कर रहे हैं. किसानों ने इसकी फरियाद अब सूबे के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री से की है. किसानों को चिंता है कि इस बार वह अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे.

अधिकारियों के चक्कर लगा रहे किसान.

जनपद के शिवली क्षेत्र के ज्योती गांव के रहने वाले एक किसान की मेहनत पर तब पानी फिर गया, जब उसके 13 बीघा खेत में धान की फसल उगाने के बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ. क्योंकि धान की पौध में बाली तो बड़ी अच्छी लगी, लेकिन उन बालियों में अनाज का एक भी दाना तक नहीं आया. किसानों ने आरोप लगाया कि जिले के अधिकारियों से शिकायत करने के बाद कृषि विभाग के अधिकारियों ने उन्हें टरका दिया.

मायूस किसानों ने अब इसकी शिकायत जिलाधिकारी से भी की है, लेकिन शिकायत के बाद जांच करने गई टीम ने पीड़ित किसान से अच्छी रिपोर्ट लगाने को लेकर रिश्वत की मांग की है. ऐसा आरोप किसानों ने कृषि विभाग के अधिकारियों के ऊपर लगाया है. किसानों का कहना है कि अगर पैसे नहीं दिए तो उनकी फसल को रिपोर्ट में यह लिख दिया जाएगा कि कीड़ा लगने की वजह से फसल बर्बाद गई है. फिर कोई मुआवजा नहीं मिलेगा.

गांव के ही एक किसान ने बताया कि उनके पास 13 बीघा खेती है. इसके लिए उन्होंने शिवली स्थित एग्री जंक्शन केंद्र से धान का बीज लिया था. वहां दुकानदार ने कहा कि ज्यादा पैदावार के लिए एनपीएच 567 शंकर धान का बीज बोएं. इस पर उन्होंने करीब 8 हजार रुपये कीमत का बीज ले लिया और समय पर खाद पानी देने से पौध अच्छी तैयार हुई. जब फसल पककर तैयार हुई तो उनके होश उड़ गए.

इसकी वजह है कि उनके धान की पौध में बाली तो आई है, लेकिन उसमें दाने नहीं हैं. इससे वह बहुत परेशान हैं. आरोप है कि बीज विक्रेता ने उन्हें खराब बीज दिए हैं, जिसके चलते उन्होंने जिले के विभागीय अधिकारियों से शिकायत की है. उन्होंने जिलाधिकारी को दिए प्राथना पत्र में बताया कि 13 बीघा खेत में धान की फसल उगाने में करीब चार लाख की लागत आई है, जो सब डूब गया है. उन्होंने बताया कि इस साल फसल बर्बाद होने के चलते हमारे घर परिवार के लोग क्या खायेंगे और अब हमारी कौन सुनेगा.

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