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कानपुर देहात: जिला प्रशासन दे रहा मनचाहा रोजगार, फिर भी मजदूर बेहाल - lockdown effect

यूपी के कानपुर देहात जिले में इन दिनों गैर राज्यों से आने वाले मजदूरों के हाल बेहाल हैं. राज्य सरकार ने इन मजदूरों को काम दिलाने का दावा किया है. जिला प्रशासन का कहना है कि 10 हजार 22 श्रमिकों को उनकी इच्छानुसार काम दे रहे हैं. वहीं मजदूरों का कहना है कि तीन महीने से कोई काम नहींं मिला है.

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काम न मिलने से परेशान मजदूर.
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Published : Jun 2, 2020, 8:57 AM IST

कानपुर देहातः जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जमालपुर गांव के मजदूर परेशान हैं. कोरोना वायरस की वजह से जबसे लॉकडाउन घोषित किया गया तब से यहां के मजदूर बेरोजगार हैं. वहीं सरकार ने कहा कि मजदूरों को उनके कार्यकुशलता के अनुरूप काम दिया जाएगा. साथ ही सरकार स्किलमैंपिंग का काम भी पूर्ण करने का दावा कर रही है, फिर भी इस गांव के मजदूरों की हालत में कोई सुधार नहीं है.

काम न मिलने से परेशान मजदूर.

वहीं मजदूरों का कहना है कि पिछले तीन महीने से कोई अधिकारी सर्वे नहीं करने आया है और न ही कोई काम मिला है. इस वजह से मजदूर परिवार भुखमरी के कगार पर खड़ा है. मजदूरों ने कहा कि उनका किसी भी तरह कोई जॉब कार्ड नहीं बना है.

इसे भी पढ़ें- अपनों की खातिर खेतों में बनाया आशियाना, खुले मैदानों में हुए क्वारंटाइन

श्रम रोजगार मनरेगा के उपायुक्त हरिश्चन्द्र का कहना है कि जनपद के 10 हजार 22 मजदूर बाहर से आए हुए हैं. इन मजदूरों की डिमांड पर उनको मनचाहा रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. साथ ही सभी मजदूरों को जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है.

उन्होने बताया कि अभी तक 7 हजार 15 जॉब कार्ड मजदूर परिवारों को दे चुके हैं, जिसमें 7 हजार 155 श्रमिक काम कर रहे हैं. उपायुक्त ने कहा कि समय से उनको मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है. श्रमिकों को कोई दिक्कत नहीं है.

कानपुर देहातः जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जमालपुर गांव के मजदूर परेशान हैं. कोरोना वायरस की वजह से जबसे लॉकडाउन घोषित किया गया तब से यहां के मजदूर बेरोजगार हैं. वहीं सरकार ने कहा कि मजदूरों को उनके कार्यकुशलता के अनुरूप काम दिया जाएगा. साथ ही सरकार स्किलमैंपिंग का काम भी पूर्ण करने का दावा कर रही है, फिर भी इस गांव के मजदूरों की हालत में कोई सुधार नहीं है.

काम न मिलने से परेशान मजदूर.

वहीं मजदूरों का कहना है कि पिछले तीन महीने से कोई अधिकारी सर्वे नहीं करने आया है और न ही कोई काम मिला है. इस वजह से मजदूर परिवार भुखमरी के कगार पर खड़ा है. मजदूरों ने कहा कि उनका किसी भी तरह कोई जॉब कार्ड नहीं बना है.

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श्रम रोजगार मनरेगा के उपायुक्त हरिश्चन्द्र का कहना है कि जनपद के 10 हजार 22 मजदूर बाहर से आए हुए हैं. इन मजदूरों की डिमांड पर उनको मनचाहा रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. साथ ही सभी मजदूरों को जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है.

उन्होने बताया कि अभी तक 7 हजार 15 जॉब कार्ड मजदूर परिवारों को दे चुके हैं, जिसमें 7 हजार 155 श्रमिक काम कर रहे हैं. उपायुक्त ने कहा कि समय से उनको मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है. श्रमिकों को कोई दिक्कत नहीं है.

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