कानपुर देहात: देश के इतिहास में उत्तर प्रदेश का बिकरू बहुचर्चित गांव के तौर पर दर्ज होगा, ये शायद उस गांव के लोगों को इल्म नहीं था, लेकिन गांव के एक नौजवान के जुर्म की दुनिया में कदम रखते ही गांव आपराधिक इतिहास में जुड़ने की इबारत लिखने लगा था. हम जिक्र कर रहे हैं विकास दुबे से ‘मैं विकास दुबे कानपुर वाला’ तक सफर तय करने वाले अपराधी से जुड़ी गाथा की. साल दर साल कानपुर और कानपुर देहात में अपने खौफ से दहशत पैदा करने वाले विकास दुबे ने कई आम से लेकर खास लोगों को मौत की नींद सुला दी. उसका खौफ इस कदर था कि क्षेत्रीय लोग उसे विकास दुबे की जगह सिर्फ पंडित जी के नाम से पुकारने लगे. उसके अपराध और जुर्म के खिलाफ न तो कभी प्रशासन बोल पाया और न ही विरोधी, लेकिन एक ऐसे शख्स भी हैं जो विकास दुबे की ज्यादती का हमेशा विरोध करते रहे. उन्होंने ईटीवी भारत से विकास दुबे से जुड़े कुछ अहम पहलुओं पर बातचीत की...
कुख्यात अपराधी विकास दुबे अपराध की दुनिया में कैसे दाखिल हुआ. उसके अपराध से जुड़े कुछ आंखों देखे मंजर को कानपुर देहात स्थित शिवली के पूर्व चेयरमैन रहे लल्लन बाजपेयी ने साझा किया. उनकी आपबाती सुनकर यकीनन आप भी हैरत में पड़ जायेंगे. उनके हर अल्फाज यूपी की पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करते नजर आ रहे हैं. लल्लन बाजपेयी विकास दुबे के अपराध की दुनिया में कारनामों के प्रत्यक्षदर्शी हैं, लेकिन कानपुर नगर और कानपुर देहात की पुलिस आज तक अनदेखी करती रही. पुलिस की मानें तो आज तक कोई गवाह नहीं मिला जो विकास दुबे के खिलाफ कहीं भी गवाही दे, लेकिन इस खास बातचीत में विकास दुबे के कई बड़े राज लल्लन बाजपेयी ने खोल दिए हैं.
22 सालों तक शिवली क्षेत्र के चेयरमैन पद पर रहे लल्लन बाजपेयी ने बताया कि मृतक कुख्यात अपराधी विकास दुबे फिल्मी तर्ज पर जीता था. वह फिल्म अर्जुन पंडित से प्रेरित होकर खुद को पंडितजी कहलवाना पसंद करता था. लल्लन बाजपेयी ने बताया कि विकास दुबे ने क्षेत्र के कई आम से लेकर खास ब्राम्हणों की हत्या कर दी, जो सब उनके संज्ञान में है. कई हत्याएं लल्लन बाजपेयी के सामने कर दी गईं, जिनके वे प्रत्यक्षदर्शी हैं. इसमें शिवली थाने के अंदर राज्य मंत्री संतोष शुक्ला की गोली मारकर की गई हत्या भी शामिल है. लल्लन कहते हैं विकास दुबे उनके सामने एक-एक करके 10 ब्राम्हणों की हत्या को अंजाम दे चुका था. लल्लन बाजपेयी ने बताया कि विकास दुबे ने उन पर भी ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए उनके घर में बम मारे, उनके शरीर में 50 से ज्यादा छर्रे लगे. हालांकि अस्पताल में इलाज के बाद उनकी जिंदगी बच गई. वहीं उनके तीन साथियों को विकास दुबे और उसके गुर्गों ने मौत के घाट उतार दिया था.
सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपित विकास दुबे को भले ही पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया हो, लेकिन अभी भी लोग उसके बारे में काफी कुछ जानकारी चाहते हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इस गैंगस्टर की मौत के बाद भी देश और प्रदेश की राजनीति सहित पुलिस महकमे पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.