कानपुर देहात: 2017 के विधानसभा चुनाव में जनपद की चारो सीटे भाजपा के खाते में आने से सपा और बसपा का सूपड़ा साफ हो गया था. सपा और बसपा ने कही जातीय समीकरण तो कही जोड़तोड़ की राजनीति का रास्ता अपनाया, लेकिन मोदी लहर का ऐसा जादू चला कि जिले की चारों सीटों पर कमल खिलने से कोई रोक नहीं सका. इसी तरह भोगनीपुर सीट पर भाजपा के विनोद कटियार की जीत में भी सर्वाधिक मोदी फैक्टर माना जा रहा है.
विनोद कटियार ने पहली बार विधायक बनकर राजनीति में कदम रखा. हालांकि, वह सिकन्दरा विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांग कर रहे थे, लेकिन भाजपा हाईकमान ने उन्हें भोगनीपुर विधानसभा से भाजपा की टिकट दी. टिकट मिलने के बाद उन्होंने क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियों का आंकलन कर भ्रमण शुरू कर दिया था. अपनों के विरोध के बीच कम समय में उनकी मेहनत ने भी असर दिखाया और 18,989 मतों से अपने प्रतिद्वंद्वी बसपा के धर्मपाल सिंह को हराकर जीत सुनिश्चित की.
भोगनीपुर विधानसभा सीट से सपा से विधायक रहे योगेंद्र पाल को आपदा राहत राशि वितरण का पक्षपात भारी पड़ गया था. इससे इस चुनाव में उनकी लुटिया डूब गई और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. योगेंद्र पाल 47785 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. पिछले 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा का गढ़ कहे जाने वाले क्षेत्र में उन्हें खुलकर नाराजगी का सामना करना पड़ा था.
2012 विधानसभा चुनाव
भोगनीपुर से पुखरायां निवासी योगेंद्र पाल सिंह सपा प्रत्याशी थे. सरवनखेड़ा के गजनेर, सरवनखेड़ा कौसम, आलापुर, भदेसा, पतरा, नाही, जूनिया, दुआरी आदि गांवों से भारी मत लेकर वह 57555 वोटो से विधायक बने थे. बसपा से प्रतिद्वंद्वी धर्मपाल सिंह को 4653 मतों से हराया था. इस बार उन्हें महज 48181 वोट मिले. धर्मपाल सिंह 52155 मत पाकर फिर से दूसरे स्थान पर रहे, जबकि योगेंद्र पाल सिंह तीसरे स्थान पर चले गए. अमरौधा के जुनैद पहलवान खान ने 18380 वोट पाए थे. इन वोटो को सपा और बसपा के खाते में जाने का अनुमान लगाया गया था. वहीं नीतम सचान को जो कांग्रेस से प्रत्याशी थे, उन्हें महज 2833 वोट मिले.
गठबंधन की रार से भी मिला भाजपा को बड़ा फायदा
सपा-कांग्रेस गठबंधन के बावजूद भोगनीपुर सीट पर सपा ने योगेंद्र पाल सिंह को दोबारा टिकट दी थी, लेकिन पहले से ही मन बनाए कांग्रेस के नीतम सचान ने गठबंधन को अस्वीकार करते हुए कांग्रेस का झंडा थामकर चुनाव मैदान में कूद पड़े. दोनों प्रत्याशी पूरी दमखम से जनसंपर्क में जुट गए. वहीं वोटों का आंकड़ा एवं गठबंधन की दरार का ऐसा असर दिखा कि भाजपा काबिज हो गई. आपदा राहत राशि का प्रतिकूल असर रहा. सपा सरकार ने किसानों के ओलावर्ष्टि व सूखा से राहत से राहत राशि वितरित कराई थी, लेकिन ग्रामीणों का आरोप रहा कि अतिवृष्टि सहायता राशि वितरण में भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र से जुड़े सरवनखेड़ा ब्लाक के गांवों को तवज्जो नहीं मिली. विधायक योगेंद्र पाल सिंह के निवास स्थान पुखरायां के आसपास के गांवों में राहत राशि वितरण कर दी गई. यह आरोप ग्रामीण खुलेआम लगाते थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में जनसंपर्क के समय भी ग्रामीणों ने नाराजगी दिखाई थी जो सपा की हार का सबसे बड़ा कारण माना गया.
2017 विधानसभा चुनाव
भोगनीपुर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी विनोद कटियार ने 19005 वोटों से जीत दर्ज की. बसपा के धर्मपाल भदौरिया को हार का सामना करना पड़ा था. धर्मपाल भदौरिया को 52461 वोट ही मिले. भोगनीपुर विधानसभा सीट के जाति समीकरण की बात करें तो कुल आबादी चार लाख है और निर्णायक भूमिका में भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र में दो जातिया महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं, पहली मुस्लिम और दूसरी यादव. भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 336000 है. भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र में आबादी की बात की जाए तो दलित वोटर 70000, ब्राम्हण वोटर 25000, ठाकुर वोटर 20000, मुस्लिम वोटर 60,000, यादव वोटर 55000 और कुर्मी वोटर 20000 है. बंजारा, मुनिया, सैनी, सविता को मिलाकर कुल वोटर 20000 है. अन्य को मिला-जुलाकर अनुमानित वोटर 60 से 65 हजार जिसमें कायस्थ, लोधी, काछी, बनिया और नट जाति के लोग समिलित हैं. मतदाताओं की संख्या का प्रकाशन 2022 में 5 जनवरी को होगा जो निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाएगा.