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यूक्रेन से लौटे छात्र ने सुनाई आपबीती, कहा-सायरन बजते ही बंकर में छिपने के लिए भागना पड़ता था - यूक्रेन और रूस युद्ध

यूक्रेन में फंसा कन्नौज के डुडवाबुजुर्ग गांव का छात्र भारत सरकार की मदद से वापस अपने घर लौट आया है. घर आने के बाद छात्र ने जो आपबीती सुनाई, वह चौंकाने वाली है.

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मो.आकिल
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Published : Mar 2, 2022, 8:26 PM IST

कन्नौज: जिले के डुडवाबुजुर्ग गांव का रहने वाला छात्र सकुशल यूक्रेन से वापस घर लौट आया है. वापस लौटे छात्र ने बताया कि एअर स्ट्राइक होने पर जब सायरन बजता तब बंकर की ओर भागना पड़ता था. बंकर तक पहुंचने में दो से तीन मिनट लगते थे. उस दौरान डर लगता था कि कहीं कोई हमला न कर दें. केंद्र सरकार की ओर से मिली मदद की छात्र ने तारीफ की है. साथ ही अन्य छात्रों को जल्द से जल्द भारत लाए जाने की भी गुहार लगाई है.



गुरसहायगंज कोतवाली क्षेत्र (Gursahaiganj Kotwali Area) के डुडवाबुजुर्ग गांव निवासी महफूज आलू व्यापारी है. उनका बेटा मो.आकिल यूक्रेन के विनितिया शहर में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के कारण वह वहीं फंस गया था. बेटे को लेकर परिजन परेशान थे.

मो.आकिल

भारत सरकार की मदद से बुधवार को मो. आकिल सकुशल अपने घर वापस लौट आया. बेटे को देख माता-पिता समेत अन्य परिजन भावुक हो गए. छात्र ने बताया कि विनितिया शहर में रहकर पढ़ाई कर रहा था. उसने बताया कि एअर स्ट्राइक होती थी या सायरन बजते थे. तब बंकर में छिपने के लिए भाग कर जाना पड़ता था. बंकर में जाने में दो से तीन मिनट का समय लगता था. उस दौरान बहुत डर लगता था.

मो.आकिल
मो.आकिल

यह भी पढ़ें: ukraine russia crisis : पीएम मोदी ने कहा- दुनिया में बन रही नई व्यवस्थाएं, 'आत्मनिर्भर भारत' जरूरी

मो.आकिल ने कहा कि खार व कीव में जो छात्र फंसे है उनके लिए दुआ करता हूं. सरकार उन्हें भी जल्द से जल्द सुरक्षित निकाल लें. भारतीय दूतावास ने पांच दिन पहले हमें बताया गया था कि हम जल्द से जल्द भारत लौट जाए. लेकिन एक दिन में सिर्फ दो ही प्लेन जाते थे. जिसमें लगभग छह सौ लोग ही आ सकते थे. एक लाख से डेढ़ लाख रुपये टिकट का चार्ज था. जिसके कारण वह नहीं निकल सका. भारत सरकार ने हमारी काफी मदद की. जिसके चलते वह सुरक्षित वापस घर लौट सका. मो.आकिल ने बताया कि रूस के बार्डर के नजदीक शहरों में ज्यादा हिंसा है. वह करीब आठ किलोमीटर पैदल चलकर रोमानिया बॉर्डर तक पहुंचा था. छात्र के सकुशल घर पहुंचने पर परिजनों ने राहत की सांस ली है.



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कन्नौज: जिले के डुडवाबुजुर्ग गांव का रहने वाला छात्र सकुशल यूक्रेन से वापस घर लौट आया है. वापस लौटे छात्र ने बताया कि एअर स्ट्राइक होने पर जब सायरन बजता तब बंकर की ओर भागना पड़ता था. बंकर तक पहुंचने में दो से तीन मिनट लगते थे. उस दौरान डर लगता था कि कहीं कोई हमला न कर दें. केंद्र सरकार की ओर से मिली मदद की छात्र ने तारीफ की है. साथ ही अन्य छात्रों को जल्द से जल्द भारत लाए जाने की भी गुहार लगाई है.



गुरसहायगंज कोतवाली क्षेत्र (Gursahaiganj Kotwali Area) के डुडवाबुजुर्ग गांव निवासी महफूज आलू व्यापारी है. उनका बेटा मो.आकिल यूक्रेन के विनितिया शहर में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के कारण वह वहीं फंस गया था. बेटे को लेकर परिजन परेशान थे.

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भारत सरकार की मदद से बुधवार को मो. आकिल सकुशल अपने घर वापस लौट आया. बेटे को देख माता-पिता समेत अन्य परिजन भावुक हो गए. छात्र ने बताया कि विनितिया शहर में रहकर पढ़ाई कर रहा था. उसने बताया कि एअर स्ट्राइक होती थी या सायरन बजते थे. तब बंकर में छिपने के लिए भाग कर जाना पड़ता था. बंकर में जाने में दो से तीन मिनट का समय लगता था. उस दौरान बहुत डर लगता था.

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मो.आकिल ने कहा कि खार व कीव में जो छात्र फंसे है उनके लिए दुआ करता हूं. सरकार उन्हें भी जल्द से जल्द सुरक्षित निकाल लें. भारतीय दूतावास ने पांच दिन पहले हमें बताया गया था कि हम जल्द से जल्द भारत लौट जाए. लेकिन एक दिन में सिर्फ दो ही प्लेन जाते थे. जिसमें लगभग छह सौ लोग ही आ सकते थे. एक लाख से डेढ़ लाख रुपये टिकट का चार्ज था. जिसके कारण वह नहीं निकल सका. भारत सरकार ने हमारी काफी मदद की. जिसके चलते वह सुरक्षित वापस घर लौट सका. मो.आकिल ने बताया कि रूस के बार्डर के नजदीक शहरों में ज्यादा हिंसा है. वह करीब आठ किलोमीटर पैदल चलकर रोमानिया बॉर्डर तक पहुंचा था. छात्र के सकुशल घर पहुंचने पर परिजनों ने राहत की सांस ली है.



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