ETV Bharat / state

जयचंद को गद्दार साबित करने वाले को मिलेगा 5 लाख का इनाम

कहा जाता है कि जयचंद ने पृथ्वीराज पर आक्रमण करने के लिए गौरी को भारत बुलाया था और उसे सैनिक सहायता भी दी थी.

नवाब सिंह का दावा है कि जयचंद को कोई गद्दार साबित नहीं कर सकता.
author img

By

Published : Mar 5, 2019, 12:24 PM IST

कन्नौज की कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के संस्थापक नवाब सिंह यादव ने जयचंद को गद्दार साबित करने वाले को 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है और यह घोषणा कन्नौज किले के चारों ओर बाउंड्री पर लिखवा भी दी है.

नवाब सिंह का दावा है कि जयचंद को कोई गद्दार साबित नहीं कर सकता.

कन्नौज के जयचंद को चंदबरदाई ने अपनी पुस्तक में गद्दार बताया है. दरअसल तराइन युद्ध के दो वर्ष बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने कन्नौज पर आक्रमण दिया. जयचंद के पास उस समय थोड़ी सी ही सेना थी, जिससे दुर्भाग्यवश जयचंद के सीने में तीर लग गया और वह युद्ध के मैदान में ही धराशाई हो गया. इसके बाद राजा जयचंदपर पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया. कहा जाता है कि जयचंद ने पृथ्वीराज पर आक्रमण करने के लिए गौरी को भारत बुलाया था और उसे सैनिक सहायता भी दी थी.

undefined

जयचंद को गद्दार साबित करने वाले को कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के संस्थापक नवाब सिंह यादव ने नकद 5 लाख रुपये का इनाम दिए जाने की घोषणा की है. यह इनाम वह निरंतर बढ़ाते ही जा रहे हैं. उनका दावा है कि इतिहास में ऐसा कहीं भी प्रमाण नहीं है, जो जयचंद को गद्दार साबित कर सके.

कन्नौज की कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के संस्थापक नवाब सिंह यादव ने जयचंद को गद्दार साबित करने वाले को 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है और यह घोषणा कन्नौज किले के चारों ओर बाउंड्री पर लिखवा भी दी है.

नवाब सिंह का दावा है कि जयचंद को कोई गद्दार साबित नहीं कर सकता.

कन्नौज के जयचंद को चंदबरदाई ने अपनी पुस्तक में गद्दार बताया है. दरअसल तराइन युद्ध के दो वर्ष बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने कन्नौज पर आक्रमण दिया. जयचंद के पास उस समय थोड़ी सी ही सेना थी, जिससे दुर्भाग्यवश जयचंद के सीने में तीर लग गया और वह युद्ध के मैदान में ही धराशाई हो गया. इसके बाद राजा जयचंदपर पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया. कहा जाता है कि जयचंद ने पृथ्वीराज पर आक्रमण करने के लिए गौरी को भारत बुलाया था और उसे सैनिक सहायता भी दी थी.

undefined

जयचंद को गद्दार साबित करने वाले को कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के संस्थापक नवाब सिंह यादव ने नकद 5 लाख रुपये का इनाम दिए जाने की घोषणा की है. यह इनाम वह निरंतर बढ़ाते ही जा रहे हैं. उनका दावा है कि इतिहास में ऐसा कहीं भी प्रमाण नहीं है, जो जयचंद को गद्दार साबित कर सके.

Intro:राजा जयचंद को गद्दार साबित करने वाले को मिलेगा पांच लाख का नगद इनाम

कन्नौज के राजा जयचंद को चंदबरदाई ने अपनी पुस्तक में गद्दार बताया है लेकिन राजा जयचंद शूरवीर और पराक्रमी राजा थे इसका साहित्यकार प्रमाण दे रहे हैं जिसको लेकर कन्नौज की कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के संस्थापक नवाब सिंह यादव ने राजा जयचंद्र को गद्दार साबित करने वाले को ₹500000 का नगद पुरस्कार दिए जाने की घोषणा करते हुए उन्होंने किले के चारों ओर बाउंड्री पर लिखवा भी रखा है। क्या है इस नाम का पूरा सच देखें कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट


Body:कन्नौज साम्राज्य के पराक्रमी शासक जयचंद थे । वह गहरवार राज्य वंश से थे । जिसे अब गढ़वाल राजवंश के नाम से जाना जाता है। राजा जयचंद महाराज विजय चंद्र के पुत्र थे, जो कन्नौज के राजा थे। जयचंद का राज्याभिषेक ई0स0 1170 जून को हुआ था। राजा जयचंद की विशाल सैन्य वाहिनी सदैव विचरण करती रहती थी, इसलिए उन्हें दल पंगुल भी कहा जाता था। इसका गुणगान पृथ्वीराज रासो में भी देखने को मिला। राजशेखर सूरी अपने प्रबंध-कोश में कहा कि काशीराज जयचंद विजेता था। और गंगा यमुना दोआब तो उसका विशेष रूप से अधिकृत प्रदेश था । युद्धप्रिय होने के कारण उन्होंने अपनी सैन्य शक्ति ऐसी बढ़ाई कि वह अद्वितीय हो गई। जिससे राजा जयचंद को दल पंगुल की उपाधि से जाना जाने लगा। जब यह युवराज थे तभी से इन्होंने पराक्रम से कालिंजर के चंदेल राजा मदन वर्मा को परास्त किया। राजा बनने के बाद उन्होंने अनेक विजय प्राप्त की जयचंद्र ने सिंधु नदी पर मुसलमानों (सुल्तान, गौर) से ऐसा घोर संग्राम किया कि रक्त के प्रभाव से नदी का नीला जल, एकदम लाल हो गया । राजा जयचंद्र यवनों का विनाश किया। और उत्तर भारत में एक विशाल राज्य बनाया। उन्होंने अड़हिलवाड़ा ( गुजरात ) के शासक सिद्धराज को हराया था । अपनी राज्य सीमा को उत्तर से लेकर दक्षिण में नर्मदा के तट तक बढ़ाया था, जो पूर्व में बंगाल के लक्ष्मण सेन के राज्य को छूती थी। इससे यह एक विशाल साम्राज्य था।

कैसे वीरगति को प्राप्त हुए थे राजा जयचन्द्र

तराइन के युद्ध में गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को परास्त कर दिया था, इसके परिणाम स्वरुप दिल्ली और अजमेर पर मुसलमानों का आधिपत्य हो गया था। यहां का शासन प्रबंध गौरी ने अपने मुख्य सेनापति क़ुतुबुद्दीन ऐबक को सौंप दिया और स्वयं अपने देश चला गया था । तराइन के युद्ध के बाद भारत में मुसलमानों का स्थाई राज्य बना एवं गौरी का प्रतिनिधि बनकर यहां से ऐबक शासन चलाने लगा । इस युद्ध के दो वर्ष बाद गौरी फिर से अपनी विशाल सेना लेकर भारत को जीतने के लिए आया। इस बार उसका कन्नौज जीतने का इरादा था। कन्नौज उस समय एक संपन्न राज्य था। गौरी ने उत्तर भारत में अपने विजित इलाकों को सुरक्षित रखने के अभिप्राय से कन्नौज पर आक्रमण किया। वह जानता था कि बिना शक्तिशाली कन्नौज राज्य को अधीन किए भारत में उसकी सत्ता कायम नहीं रहेगी। तराइन युद्ध के दो वर्ष बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने जयचंद्र के राज्य पर चढ़ाई कर दी। ऐबक की मदद के लिए सुल्तान शहाबुद्दीन भी रास्ते में अपनी 50 हजार सेना के साथ आकर मिल गया। मुस्लिम आक्रमण की सूचना मिलने पर राजा जयचंद भी अपनी सेना के साथ युद्ध क्षेत्र में आ गया । दोनों के बीच इटावा के पास चंदावर नामक स्थान पर मुकाबला हुआ। युद्ध में राजा जयचंद हाथी पर सवार होकर सेना का संचालन करने लगा । इस युद्ध में राजा जयचंद्र की पूरी सेना नहीं थी, सेना विभिन्न क्षेत्रों में थी। जयचंद के पास उस समय थोड़ी सी ही सेना थी, जिससे दुर्भाग्यवश जयचंद के सीने में तीर लग गया जिससे जयचंद युद्ध के मैदान में ही धराशाई हो गया। और इस युद्ध में गौरी की विजय हुई । यह युद्ध ई0स0 1194 को हुआ था।


Conclusion:जिसके बाद राजा जयचंद्र पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया कहा जाता है कि उसने पृथ्वीराज पर आक्रमण करने के लिए गौरी को भारत बुलाया था, और उसे सैनिक सहायता भी दी थी, लेकिन इन आरोपों का कोई प्रमाण नहीं देखने को मिलता है। जिससे यह साबित हो सके कि राजा जयचंद ने गौरी की सहायता की थी । गौरी को बुलाने वाले देशद्रोही दूसरे ही थे जिनके नाम पृथ्वीराज रासो में अंकित हैं । राजा जयचंद को गद्दार साबित करने वाले को कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के संस्थापक नवाब सिंह यादव ने नगद ₹500000 का इनाम दिए जाने की घोषणा की है। यह इनाम वह निरंतर बढ़ाते ही जा रहे हैं। उनका दावा है कि इतिहास में ऐसा कहीं भी प्रमाण नहीं है । जो राजा जयचंद्र को गद्दार साबित कर सके। राजा जयचंद्र शूरवीर और पराक्रमी राजा थे,जो वीरगति को प्राप्त हुए थे ।

बाइट -कलेक्टर सिंह - स्थानीय नागरिक
बाइट- नवाब सिंह यादव -संस्थापक- कान्यकुब्ज एवं समाज सेवा समिति कन्नौज
-------------------

कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
94 15 16 8969
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.