कन्नौज : 30 साल तक देश सेवा का जो सिला एक पूर्व फौजी को मिला है, उससे उसके इलाके के लोग भी हैरान हैं. अपने देश में जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे होंगे तब एक पूर्व सैनिक अंदर ही अंदर घुट रहा होगा. उसका मन कचोट रहा होगा कि तीन दशक तक सेवा की सेवा करने के बाद, 72 साल की उम्र में पुलिस उसके साथ ऐसे पेश आएगी. पुलिस की कारस्तानी की वजह से उसकी जीने की इच्छा ही खत्म हो जाएगी. लेकिन क्या करें. यह उत्तर प्रदेश की पुलिस है और यहां सब कुछ कानून के हिसाब से ही होता है.
खाकी का सितम जब हद से गुजर गया तब जीने की इच्छा भी उसी के साथ मर गयी. अब यह भूतपूर्व फौजी 72 साल की उम्र में आत्महत्या करना चाहता है. क्योंकि पुलिस के रवैये से वह परेशान है.
कन्नौज जिले के छिबरामऊ स्थित सीएचसी में रिटायर्ड सूबेदार लेफ्टिनेंट कर्नल राजेंद्र बहादुर अपनी पत्नी को कोरोना वैक्सीन लगवाने गये थे. वैक्सीन लगवाकर वह और उनकी पत्नी कोरोना से तो बच जाएंगी लेकिन कन्नौज पुलिस से नहीं बच पाए. 72 साल के राजेंद्र बताते हैं कि वैक्सीनेशन की पर्ची लेने के दौरान सिपाही संदीप ने उनपर जबरदस्ती महिलाओं की लाइन में घुसने और अभद्रता करने का आरोप लगाते हुए पिटाई कर दी. इतना ही नहीं, मारते-पीटते, घसीटते हुए, जैसे वह कोई आतंकी हों, जीप में डाल दिया.
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पूर्व फौजी राजेंद्र बहादुर कहते हैं कि अगर उनके साथ इंसाफ नहीं किया गया तो वह आत्महत्या कर लेंगे. उन्हें डर है कि पुलिस उन्हें किसी दूसरे झूठे मामले में फंसा न दे. वह चाहते हैं कि उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
एसपी ने पूर्व फौजी के साथ मारपीट करने वाले आरोपी सिपाही को लाइन हाजिर कर दिया है. पूर्व फौजी राजेंद्र बहादुर बताते हैं कि सेना में रहते हुए उन्होंने नागालैंड और श्रीनगर में दुश्मनों से मोर्चा लिया है. श्रीलंका में LTTE के खिलाफ जंग में गये भारतीय शांति सेना में भी वह शामिल थे. वह कारगिल युद्ध का भी जिक्र करते हैं.
पूर्व सैनिकों ने इस मामले में कार्रवाई की मांग की है. मुकदमा वापस नहीं लेने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की भी चेतावनी दी है. इन सबके बीच यह भी सच है कि आजादी के अमृत महोत्सव में जब शान से तिरंगा आसमान में फहरा रहा होगा, तब एक रिटायर्ड फौजी अपनी आंखों में आंसू लिए इंसाफ की राह तक रहा होगा. हरे रंग की वर्दी पर खाकी का रंग कहीं दाग न बन जाए. इसका अहसास भी जिम्मेदारों को होना चाहिए.
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