कन्नौज: इत्र की राजधानी के नाम से पहचान बनाने वाला कन्नौज आज देश-विदेश तक अपनी खुशबू बिखेर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ इत्र का व्यापार धीरे-धीरे कम होता जा रहा है. ऐसे में सरकार ने इत्र उद्योग को बढ़ाने के लिए एक नया कदम उठाया है. इत्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने "वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट" के अंतर्गत कन्नौज जिले का मुख्य व्यापार इत्र उद्योग को चुना है.
आर्थिक परेशानी से जूझ रहा किसान
मौजूदा समय में सबसे ज्यादा इत्र व्यापार की परेशानी से किसान गुजर रहा है, क्योंकि इत्र की खुशबू का निर्माण खुशबूदार फूलों से किया जाता है और फूलों की खेती करने वाला किसान आर्थिक स्थिति से परेशान है. किसान फूलों की खेती से अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहा है. यदि ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब किसान फूल की खेती से मुंह मोड़ लेगा और इत्र की खुशबू को लोग ढूंढते रह जाएंगे.
पांच हजार साल पूराना है इत्र नगरी का इतिहास
इत्र का इतिहास लगभग पांच हजार साल पुराना है. कन्नौज का नाम जुबां पर आते ही खुशबूदार नेचुरल इत्र की याद आ जाती है. फ्रांस के बाद पूरे भारत में कन्नौज ही एक ऐसा स्थान है, जहां नेचुरल खुशबू के लिए इत्र तैयार किया जाता है.
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ओडीओपी से मिलेगी इत्र नगरी को नई पहचान
इत्र निर्माताओं की मानें तो जीएसटी लगने से गुलाब जल, केवड़ा जल की सेल आधी से कम हो गई है, जिससे इत्र व्यापारियों को झटका लगा है और इत्र व्यापार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इत्र के व्यापार में गिरावट को देखते हुए सरकार ने इत्र उद्योग को एक नई दिशा प्रदान की और इत्र को "वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट" के अंतर्गत चुना गया, जिससे व्यापारियों को आगामी समय में इत्र व्यापार में काफी राहत मिलेगी.
ओडीओपी से व्यापार को बढ़ावा
राज्य सरकार ने किसानों और मजदूरों की परेशानी को देखते इत्र उद्योग को "वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट" के अंतर्गत जोड़कर इत्र व्यापार को बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है. अब यह देखने वाली बात होगी कि सरकार की यह पहल इत्र नगरी को रास आती है या इत्र नगरी बदलते दौर और सरकार की उदासीनता के आगे यू हीं दम तोड़ती रहेगी.